आपकी बचत कहां है सुरक्षित सोना, चांदी या बैंक!
अनिश्चितता के इस दौर में जब कोरोना संक्रमण के चलते पल-पल विश्व के हालात बदल रहे हैं, आम व्यक्ति के समक्ष यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि वो अपना पैसा कहां इन्वेस्ट करे। हममें से अधिकांश लोग आर्थिक विश्लेषक नहीं होते, ना बाजार की हमें ज्यादा पकड़ होती है, ऐसे में यह जानना कि पैसा कैसे बचाएं कि हमारा भविष्य सुरक्षित हो पाए, यह एक अहम व बड़ा सवाल है।
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आइए जानते हैं कुछ आर्थिक विश्लेषकों से कि पैसा ज्यादा सुरक्षित कहां रहेगा:
सोना:
उच्च तरलता और मुद्रास्फीति क्षमता जैसे कुछ प्रभावशाली कारकों के कारण, सोना भारत में सबसे पसंदीदा निवेशों में से एक है। पारंपरिक रूपों में, आप गहने, सिक्के, या कलाकृतियों के रूप में सोना खरीदते थे। आजकल परिदृश्य बदल गया है आप गोल्ड ईटीएफ, गोल्ड फंड, सोवरन गोल्ड बांड्स खरीद सकते हैं।
गोल्ड ईटीएफ:
गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) के जरिये भी सोने में निवेश किया जा सकता है। गोल्ड ईटीएफ की यूनिटें स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होती हैं। आप वहां से इन यूनिटों को खरीद सकते हैं। इनका मूल्य सोने की कीमतों की तर्ज पर होता है। गोल्ड ईटीएफ में निवेश के लिए आपके पास डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट होना चाहिए।
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फिजिकल गोल्ड:
ज्वैलर्स, बैंक, आॅनलाइन स्टोर, एनबीएफसी इत्यादि से सोने के सिक्के या बिस्कुट खरीदकर आप फिजिकल गोल्ड में निवेश कर सकते हैं। सोने के सिक्के आमतौर पर पांच और दस ग्राम जैसे स्टैंडर्ड डीनॉमिनेशन के होते हैं। जबकि बिस्कुट (बार) 20 ग्राम के होते हैं। इनमें 24 कैरेट शुद्धता होती है। बीआईएस स्टैंडर्ड के अनुरूप ये हॉलमार्क के साथ आते हैं। यह सोने में निवेश करने का पारंपरिक तरीका है। निवेशक आमतौर पर साल के शुभ दिनों में सोना खरीदते हैं।
डिजीटल गोल्ड:
आजकल इंटरनेट की उपलब्धता बहुत आसान हो गई है। ऐसे में निवेशक आसानी से डिजिटल गोल्ड रीयल-टाइम मार्केट रेट्स पर खरीद सकते हैं। मार्केट में गोल्ड के भाव में उतार-चढ़ाव का डिजिटल गोल्ड के भाव पर तुरंत प्रभाव दिखता है। बेहतर इंटरनेट एक्सेस से निवेशक सही फैसला ले सकते हैं। डिजिटल गोल्ड का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि इसमें निवेशकों को मेकिंग चार्जेज नहीं देने होते हैं। निवेशक को केवल खरीदते समय गोल्ड की कीमत चुकानी होती है। हालांकि निवेश अवधि पूरा होने पर या डिजिटल गोल्ड की बिक्री करने पर डिलीवरी व मेकिंग चार्ज फिजिकल गोल्ड की तरह चुकाना होता है। जब कोई ग्राहक डिजिटल गोल्ड खरीदता है तो उस पर तीन फीसदी की दर से जीएसटी लगाया जाता है। इसके अलावा डिजिटल गोल्ड पर कोई मुनाफा होता है तो फिजिकल गोल्ड, गोल्ड म्यूचुअल फंड्स या गोल्ड ईटीएफ की तरह इस पर टैक्स देय होता है।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स:
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड डिजिटल गोल्ड खरीदने का सबसे सुरक्षित तरीका है, क्योंकि वे भारत सरकार की ओर से प्रतिवर्ष 2.50 की सुनिश्चित ब्याज के साथ भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए जाते हैं। बांडों को एक ग्राम की मूल ईकाई के साथ सोने की ईकाइयों में दर्शाया जाता है। एक अधिकतम निवेश चार किलो का हो सकता है। इन बांडों में आठवें वर्ष के बाहर निकलने के विकल्प के साथ आठ साल का कार्यकाल होता है।
सोने के कुछ शीर्ष फंड:
- एक्सिस गोल्ड फंड
- आदित्य बिड़ला सन लाइफ गोल्ड फंड
- केनरा रोबेको गोल्ड सेविंग फंड
- एच.डी.एफ.सी. गोल्ड फंड
- आई.सी.आई.सी.आई. प्रु रेगुलर गोल्ड सेविंग फंड
सोने में निवेश क्यों करें:
एक पारंपरिक निवेशक के लिए, सबसे महत्वपूर्ण मानदंड सुरक्षा, तरलता और लाभदायक रिटर्न है। आप सोने में निवेश करते समय इन सभी मानदंडों को पूरा करने की उम्मीद कर सकते हैं। यदि आप भौतिक सोने को रखने के पक्ष में नहीं हैं, तो अन्य विकल्प लिए जा सकते हैं।
आपको क्या दस्तावेज चाहिए:
दो लाख से अधिक सोने में निवेश आप करते हैं तो पैन कार्ड चाहिए। ईटीएफ में, आपको उसी फर्म के साथ डीमैट खाते के बाद ब्रोकरेज फर्म के साथ एक खाता खोलना होगा। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स में निवेश के लिए, केवाईसी के लिए आवश्यक दस्तावेज, फिजिकल गोल्ड (आधार, पैन, वोटर आईडी या पासपोर्ट) खरीदने के लिए आवश्यक हैं।
चांदी:
चांदी सस्ती और विश्वसनीय कीमती धातु है। शुभ कार्यों के लिए सोने की जगह चांदी हम बरसों से इस्तेमाल करते आ रहे हैं। यदि आप कुछ हजार रुपये चांदी में निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो आप सिक्के खरीदने पर विचार कर सकते हैं। सिक्कों में आमतौर पर चित्र और श्रम शुल्क अंतिम मूल्य में जोड़ा जाता है। यह वेतनभोगी व्यक्तियों और व्यवसायिक लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प है। आप अपनी क्षमता के अनुसार हर महीने कुछ सिक्के जमा कर सकते हैं और जब आप अपने निवेश को समाप्त करना चाहते हैं तो उन्हें बेचना भी संभव है। चांदी के सिक्के खरीदने का एक और लाभ बैंकों में उनकी उपलब्धता है। आपको शुद्धता का प्रमाण पत्र भी मिलता है। बैंक केवल चांदी के सिक्के बेचेंगे और बाद में उन्हें वापिस नहीं खरीदेंगे।
भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर आपको अपने चांदी के सिक्के बेचने के लिए ज्वैलर्स से संपर्क करना होगा।
विशाल निवेश के लिए सिल्वर बार्स चुनें:
आप इस प्रकार की चांदी की बार्स पर थोक में निवेश कर सकते हैं। बाजार में चांदी की सलाखों की अच्छी मांग है, जब आप उन्हें बाद में बेचना चाहते हैं तो आपको कोई समस्या नहीं होगी। सुनिश्चित करें कि आपके पास अतिरिक्त आवश्यकताओं के लिए पर्याप्त धनराशि है। चांदी के सिक्के और बार हमेशा विश्वसनीय स्रोतों से खरीदने चाहिए। बैंकों से प्रमाणित सिक्के खरीदने चाहिए। भले ही वे कुछ अतिरिक्त प्रीमियम लें। चांदी के बार्स की बात करें तो आपको स्थानीय ज्वैलर्स से संपर्क करना चाहिए। चांदी को सुरक्षित रखने के लिए हमेशा बैंक लॉकर्स का चयन करना चाहिए। चांदी की दरों में दैनिक आधार पर उतार-चढ़ाव बना रहता है। कई ऐप और अन्य स्रोत हैं जो बाजार में नवीनतम चांदी की कीमत के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करेंगे और आप सटीक विवरण प्राप्त करने के लिए अपने मोबाइल फोन पर उनका उपयोग कर सकते हैं।
ई-चांदी:
नेशनल स्पॉट एक्सचेज लिमिटेड, जोकि एक मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज है, में डी-मैट अकाउंट द्वारा ई-चांदी में निवेश कर सकते है। आप इसे प्रत्यक्ष बेचना चाहते हैं तो बेच सकते हैं। आप इसे छोटी-छोटी मात्राओं में भी बेच सकते हैं। जैसे कि एक यूनिट। जो कि 500 ग्राम के गुणन में भी उपलब्ध है।
सिल्वर फ्यूचर्स:
सिल्वर फ्यूचर्स चांदी में निवेश का एक और तरीका है। सिल्वर फ्यूचर्स खरीदकर डेरीवेटिव मार्केट में भी निवेश किया जा सकता है। सिल्वर फ्यूचर सबसे बेहतर तरीकों में से एक है जहां पर कम नुकसान और अधिक लाभ के मौके होते हैं। यह अधिक जोखिम और अधिक लाभ वाला विकल्प है, इसलिए आपका इसे बेहतर ढंग से समझना ज्यादा जरूरी है और आपके पास मांग और पूर्ति की स्थिति को समझने का पर्याप्त समय होना चाहिए। सिल्वर फ्यूचर का व्यापार सामान्य रूप से एक दिन का होता है और जिसमें जल्द ही बदलाव होते रहते हैं। ऐसे में जल्दी नुकसान होने के इसमें अधिक मौके होते हैं और कुछ ही समय में अप्रत्याशित मुश्किलें भी आ सकती हैं।
बैंक
अधिकांश निवेशक इस प्रकार से निवेश करना चाहते हैं कि उन्हें मूल धन खोने के जोखिम के बिना जितनी जल्दी हो सके उच्च रिटर्न मिले। वास्तव में, जोखिम और रिटर्न सीधे संबंधित होते हैं। रिटर्न जितना अधिक होता है, जोखिम उतना ज्यादा। बैंकों में आपका पैसा हमेशा सुरक्षित रहता है और थोड़ी बहुत घटत-बढ़त के साथ ब्याज मिलता है।
बैंक सावधि जमा (एफडी):
बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट को सुरक्षित माना जाता है। एक बैंक में प्रत्येक जमाकर्ता को मूलधन और ब्याज राशि दोनों के लिए चार फरवरी, 2020 से अधिकतम पांच लाख रुपये तक का बीमा किया जाता है। आवश्यकतानुसार, कोई भी व्यक्ति मासिक, त्रैमासिक, अर्धवार्षिक, वार्षिक या संचयी ब्याज विकल्प चुन सकता है। अर्जित ब्याज दर को आय में जोड़ा जाता है और आय स्लैब के अनुसार कर लगाया जाता है।
सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ):
15 सालों तक के लिए कोई भी भारतीय नागरिक सार्वजनिक भविष्य निधि बैंक या पोस्ट आॅफिस में खुलवा सकता है। इसका ब्याज इनकम टैक्स से कर मुक्त है और चक्रवृद्धि दरों पर दिया जाता है। न्यूनतम राशि प्रतिवर्ष एक हजार जमा करानी होती है और अधिकतम डेढ लाख करवायी जा सकती है। चार वर्ष बाद इस पर लोन लिया जा सकता है। सरकार द्वारा हर तिमाही पर ब्याज दर की समीक्षा की जाती है। 15 वर्ष पश्चात् 5-5 साल इसे आप बढ़ा सकते हैं।
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस):
यह सरकार द्वारा प्रायोजित पेंशन योजना है। इसे जनवरी 2004 में सरकारी कर्मचारियों के लिए लॉन्च किया गया था। 2009 में, इसे सभी वर्गों के लिए खोल दिया था। योजना कामकाजी जीवन के दौरान पेंशन खाते में नियमित रूप से योगदान करने की अनुमति देती है। सेवानिवृत्ति के बाद, आप धन का एक हिस्सा निकाल सकते हैं और शेष धन का उपयोग कर सकते हैं, जिससे हर महीने आप एक निश्चित रकम पा सकें।
वरिष्ठ नागरिकों की बचत योजना:
इस योजना में केवल वरिष्ठ नागरिक या प्रारंभिक सेवानिवृत्त व्यक्ति ही निवेश कर सकते हैं। एससीएसएस का लाभ 60 से ऊपर के किसी भी डाकघर या बैंक से लिया जा सकता है। एससीएसएस का पांच साल का कार्यकाल है, जिसे योजना के परिपक्व होने के बाद तीन साल और बढ़ाया जा सकता है। ऊपरी निवेश सीमा 15 लाख रुपये है और एक से अधिक खाते खुल सकते हैं। एससीएसएस पर ब्याज दर त्रैमासिक देय है और पूरी तरह से कर योग्य है। योजना की ब्याज दर हर तिमाही की समीक्षा और संशोधन के अधीन है। एक बार जब योजना में निवेश किया जाता है, तो योजना की परिपक्वता तक ब्याज दर समान रहेगी।