वर्षा ऋतु में करें बिजली से बचाव Avoid lightning in rainy season
प्रचण्ड ग्रीष्म के बाद वर्षा राहत देती है, न सिर्फ मनुष्य वरन् पशु-पक्षी, वनस्पति जगत को भी। चतुर्दिक हरीतिमा नजर आती है लेकिन यह ऋतु अनेक प्राकृतिक आपदाएं-दुर्घटनाएं भी लेकर आती हैं। बिजली के करंट से होने वाली क्षति इनमें से प्रमुख है। वर्षा ऋतु में बिजली से होती दुर्घटनाओं को दो भागों में रखकर देखा जा सकता है-घर के अंदर-घर के बाहर।
घरों में प्रयोग होने वाली विद्युत तारों का इन्सुलेशन पी. वी. सी. का होता है। परिपथ की ओवरलोडिंग के कारण तारों में क्षमता से अधिक विद्युत धारा प्रवाहित होती है।
फलत: ऊष्मा भी अधिक उत्पन्न होती है। इससे पुरानी होती गई वायरिंग का इन्सुलेशन कमजोर होकर जगह-जगह चटक जाता है। उसमें दरारें पड़ जाती है। इन दरारों से होकर वातावरण में मौजूद नमी तार के संपर्क में आकर लीकेज को जन्म देने लगती है। इससे दीवारों, लोहे की चौखट, दरवाजों, नलों की टूटियों आदि में करंट उतरने का खतरा बढ़ जाता है।
इसके अलावा घरों की वायरिंग में ‘आर्थिंग’ की भूमिका अति अहम् होती है। अर्थ के सही होने पर किसी भी प्रकार की लीकेज से उत्पन्न खतरों से यह हमें सुरक्षा प्रदान करती है,
अत: वर्षा आरंभ होने से पूर्व या बाद में ही सही किसी इलेक्ट्रीशियन से वायरिंग की जांच करा लेनी चाहिए। समय-समय पर ‘अर्थ‘ की जांच भी महत्त्वपूर्ण होती है। इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि मेन स्विच, स्विच बोर्ड व डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड आदि ऐसे स्थान पर लगे हों जहां वे वर्षा से न भीगें। यदि किसी कारण ये पानी से गीले हो जाएं या इनमें नमी आ जाए तो इन्हें किसी भी हालत में स्पर्श न करें। वर्षा के समय खुले में विद्युत उपकरणों का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए। विद्युत प्रवाह क्षेत्र से दूर रहना चाहिए।
हवाई करंट से आघात का खतरा रहता है।
नंगे पैर या गीले हाथ से कभी भी स्विच आॅन-आॅफ न करें। वर्षा ऋतु में समाचार पत्रों में ‘टूटी तार से करंट लगने से तीन मरे‘, ‘तालाब में भैंसें करंट लगने से मरी‘, ‘पेड़ के नीचे खड़े व्यक्ति की बिजली गिरने से मृत्यु जैसी खबरें बहुतायत से छपती हैं। वर्षा होने के समय या उसके बाद भी बिजली के खम्बों, धातु निर्मित ढांचों, तार-बाड़ इत्यादि न छुएं। बिजली का तार गिरा हो तो निकट के पानी का स्पर्श न करें। तार को किसी भी चीज से छूने की हरकत न करें। तार हटाना जरूरी होने पर इसके लिए कुचालक वस्तु का ही प्रयोग करें। बिजली गिरने या वज्रपात के खतरे से बचने के लिए, आंधी तूफान, बादलों की गड़गड़ाहट, बिजली की चमक-कड़क की दशा में खुले स्थान पर वृक्ष के नीचे न रहें।
बात बिजली से क्षति की हो रही है तो ऋतु विशेष से तनिक अलग हटकर नित्य की सुरक्षा-सावधानी के लिए एक बात और बेडरूम में लगे विद्युत उपकरणों को सोने से पूर्व न सिर्फ बंद करें बल्कि उनके प्लग भी साकेट से निकाल दें। प्लग, इलेक्ट्रिक स्विच या ऐसे उपकरण जिनमें विद्युत प्रवाहित हो रही है, की दूरी पलंग से कम से कम पांच फिट अवश्य होनी चाहिए। वैज्ञानिक खोजों से पता चला है कि इन विद्युत चुंबकीय तरंगों से मानसिक तनाव पैदा होता है।
पीठ-कमर व घुटनों में दर्द होता है। माइग्रेन, सिरदर्द के अलावा शरीर में अकड़न अनिद्रा, अधिक नींद, चर्मरोग या विविध प्रकार की एलर्जी से जूझना पड़ सकता है। इसी तरह मोबाइल फोन के संदर्भ में भी सावधानी बरतें। मोबाइल फोन कान के पास लाने पर मस्तिष्क की विद्युत तरंगें लाखों गुना बढ़ जाती हैं। फोन को हृदय के पास न रखें। कार में इसका उपयोग हैण्ड्स फ्री सेट के जरिए करें। शेष समय में इयर फोन एवं माइक्रोफोन का उपयोग करें। ध्यान रखें कि माध्यम कोई भी उपकरण हो, विद्युत चुम्बकीय तरंगे ऋणात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती हैं। जहां तक भी संभव हो, अपना सानिध्य कम रखें।
-ज्योति कुमारी ‘नीलम’