पेरिस के एफिल टावर से भी ऊंचा है चिनाब ब्रिज Chenab Bridge
दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज चिनाब नदी के ऊपर बनाया गया है। यह ब्रिज इंजीनियरिंग का एक शानदार नमूना है। हर मौसम में कश्मीर घाटी को देश के दूसरे हिस्सों से जोड़ने के इरादे से साल 2003 में सरकार ने इस रेलवे ब्रिज को बनाने का फैसला लिया था। हालांकि 2009 तक इस ब्रिज को बनकर तैयार होना था। मगर करीब दो दशक की कड़ी मेहनत के बाद ये ब्रिज बनकर तैयार हुआ। चिनाब ब्रिज पेरिस के एफिल टावर से भी ऊंचा है।
1.3 किमी लंबे इस ब्रिज को चिनाब नदी पर 359 मीटर की ऊंचाई पर बनाया गया है। यह ब्रिज 18 साल में बनकर तैयार हुआ है। इस प्रोजेक्ट को 1994-95 में मंजूरी मिली थी। चिनाब ब्रिज 40 किलो तक विस्फोटक और रिएक्टर स्केल पर 8 तीव्रता तक का भूकंप झेल सकता है। इस ब्रिज की मियाद 120 साल है। इस ब्रिज को तैयार करने में 1486 करोड़ रुपए की लागत आई है। पुल के निर्माण में कुल 30,000 मीट्रिक टन स्टील का उपयोग किया गया है।
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रेलवे पुल की खासियत:
भारत का पहला केबल आधारित रेलवे पुल बनकर पूरी तरह तैयार है। जम्मू-कश्मीर का यह पुल दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज है। उत्तर रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि जम्मू से करीब 80 किलोमीटर दूर बन रहे इस पुल पर ट्रेन 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेंगी।
- दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल नदी के ऊपर 359 मीटर (1,178 फीट) की ऊंचाई पर चिनाब नदी तक फैला है।
- यह पुल पेरिस के एफिल टावर से 35 मीटर ऊंचा और दिल्ली के कुतुब मीनार से 5 गुना ऊंचा है। पुल की कुल लंबाई 1,315 मीटर है।
- चिनाब रेल पुल आर्क पुल की कैटेगरी में आता है। यह दुनिया का सबसे ऊंचा रेल पुल है।
- इस पुल को पूरा होने में 18 साल का समय लगा। उत्तर रेलवे के अधिकारियों की मानें तो निर्माण में देरी की मुख्य वजह इसका डिजाइन था।
- चिनाब नदी पर बने इस रेल पुल की लाइफ 120 साल की है। इसका डिजाइन 260 किमी प्रति घंटे की स्पीड का तूफान भी झेल सकता है।
- इस पुल पर इस तरह का पेंट यूज किया गया है कि अगले 20 साल तक इसे पेंट करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
- चिनाब ब्रिज देश में पहला ऐसा पुल है जिसे ब्लास्ट लोड के लिए डिजाइन किया गया है। 40 किलो विस्फोटक भी इसका कुछ नहीं कर सकता।
- यह आर्क ब्रिज 8 रिएक्टर स्केल तीव्रता वाले भूकंप के बावजूद भी ऐसे ही खड़ा रह सकता है।
10 डिग्री में भी चलेगी वंदे भारत
कटरा-श्रीनगर वंदे भारत ट्रेन का 25 जनवरी को सुबह ट्रायल किया गया। ट्रेन दुनिया के सबसे ऊंचे रेल ब्रिज (चिनाब ब्रिज) से होकर गुजरी। ट्रेन सुबह 8 बजे कटरा से रवाना हुई और 11 बजे कश्मीर के अंतिम स्टेशन श्रीनगर पहुंची। यानि 160 किलोमीटर का सफर 3 घंटे में पूरा किया। जम्मू-कश्मीर में चलने वाली यह ट्रेन खास तौर पर कश्मीर के मौसम के हिसाब से डिजाइन की गई है। बर्फबारी में भी यह आसानी से चलेगी। ट्रेन में लगा हीटिंग सिस्टम पानी की टंकियों और बायो-टॉयलेट को जमने से रोकेगा। ड्राइवर का विंडशील्ड और एयर ब्रेक माइनस टेंपरेचर में भी काम करेगा। जम्मू-कश्मीर में उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक प्रोजेक्ट के हिस्से कटरा-बडगाम रेलवे ट्रैक पर 41 हजार करोड़ रुपए की लागत आई है। इस प्रोजेक्ट की कुल लंबाई 272 किमी. है। इसमें 111 किमी. का रास्ता सुरंग के भीतर है। 12.77 किमी. लंबी टी-49 सुरंग इस प्रोजेक्ट में सबसे लंबी है।
भारतीय रेलवे का पहला केबल पुल भी इसी प्रोजेक्ट का हिस्सा
भारतीय रेलवे ने इस प्रोजेक्ट के जरिए एक और उपलब्धि हासिल की है। ‘अंजी खे’ पर बनाया गया पुल भारतीय रेलवे का पहला केबल-स्टेड पुल है। यह नदी तल से 331 मीटर की ऊंचाई पर बना है। 1086 फीट ऊंचा एक टावर इसे सहारा देने के लिए बनाया गया है, जो करीब 77 मंजिला इमारत के बराबर ऊंचा है।