चिंटू का बगीचा
चिंटू के माता-पिता को प्राकृतिक वस्तुओं से बहुत लगाव था। उन्होंने अपने घर के एक कोने में बहुत सुंदर बगीचा बनाया हुआ था। उसमें सुंदर फूल-पौधे लगे हुए थे। वे उस बगीचे की काफी देखभाल करते थे किंतु चिंटू को उसमें कोई दिलचस्पी नहीं थी।
वह अक्सर उसमें फालतू कागज व कूड़ा-करकट डालता रहता था, जिससे उसके माता-पिता उससे नाराज रहते थे। वे उसे उन फूल-पौधों की महत्ता के बारे में बताते किंतु चिंंटू पर कोई असर नहीं होता था।
एक दिन वह अपने एक दोस्त सुमु के जन्मदिन पर उनके घर गया। केक काटने के पश्चात् सबने केक खाया और फिर सुमु बोला, ’चलो, मैं तुम सबको एक प्यारी-सी चीज दिखाता हंू।‘
यह कहकर सुमु अपने सब दोस्तों को अपने घर के लॉन में ले गया। वहां चिंटू के घर की तरह ही एक सुंदर बगीचा था जिसमें फूल पौधे लगे हुए थे। फूलों पर रंग-बिरंगी तितलियां मंडरा रही थी।
यह देखकर उसके सभी दोस्त बहुत खुश हुए लेकिन चिंटू को खुश न देखकर सुमु ने पूछा, ’क्या हुआ चिंटू तुम्हें यह सब अच्छा नहीं लगा।‘ चिंटू ने न में सिर हिलाया व टॉफी का रैपर उस बगीचे की एक क्यारी में डाल दिया।
सुमु को चिंटू पर बहुत गुस्सा आया और वह उस कागज को उठाते हुए बोला, ’चिंटू, बगीचे में कूड़ा नहीं फैंकते।’
चिंंटू उसकी बात सुनकर हैरान रह गया और बोला, ’मेरे मम्मी-पापा भी हमेशा मुझे यही कहते रहते हैं और तुम भी…।‘
सुमु ने उसे समझाते हुए कहा, ’देखो चिंटू, इन फूलों को ध्यान से देखो। कितने सुंंदर हैं ये। इन रंग-बिरंगे सुंदर फूलों पर रंग-बिरंगी तितलियां मंडराती हैं तो कितना अच्छा लगता है। अगर हम इस बगीचे में कूड़ा डालते रहेंगे तो फूलों की जगह यहां कूड़े का ढेर दिखाई देगा जिससे फूलों की सुंदरता पर फर्क पड़ेगा।‘
चिंटू उसकी बात सुनकर कुछ सोचने लगा और फिर घर लौट गया।
घर जाकर वह सीधा बगीचे में गया और फूलों को निहारने लगा। रंग-बिरंगी तितलियां फूलों पर आ जा रही थीं। उसने ध्यान से उनको देखा तो उसे यह नजारा सुंदर लगा और उसे बगीचे की महत्ता समझ में आ गई और उसी पल वह बगीचे में पड़े कूड़े को बाहर निकालने में जुट गया।
उसके मम्मी-पापा दूर से यह सब देख रहे थे। जब चिंटू ने पीछे मुड़कर देखा तो वे मुस्कुरा पड़े।
-भाषणा गुप्ता