Such flame of education was lit, Punjab government implemented their model in 500 schools

National Awards Punjab Govt राष्टÑीय पुरस्कार से सम्मानित मा. राजिंद्र कुमार ने बदले शिक्षा के मायने

अब तक मिले ये सम्मान

  • 15 अगस्त 2018 को सोशल सर्विस के लिए मुख्यमंत्री के हाथों स्टेट अवार्ड
  • 5 सितंबर 2019 में शिक्षा विभाग द्वारा स्टेट अवार्ड
  • 2017 व 2019 में स्वतंत्रता दिवस पर जिला स्तर का सम्मान
  • 20 से अधिक समाजिक संस्थाओं का सम्मान

करीब 11 साल पहले गांव बाड़ा भाइका (फरीदकोट) के प्राइमरी स्कूल को शायद ही कोई जानता था। गिनती के बच्चे पढ़ने आते थे, यह सिवाय इमारत के कुछ नहीं था। अध्यापक राजिंदर कुमार के आने के बाद स्कूल की स्थिति बदली और परीक्षा परिणामों में काफी अंतर दिखा। समय लगा, लेकिन उन्होंने शिक्षण के फार्मूले से स्कूल को पूरी तरह बदल दिया और बाकी स्कूलों के लिए यह माडल बन गया।

अध्यापक राजिंदर कुमार ने यहां ज्वाइन करते ही प्रण लिया कि वे बच्चों को प्राइवेट स्कूलों जैसी सुविधाएं देकर रहेंगे, लेकिन बजट आड़े आ गया। उन्होंने पहले प्राइवेट स्कूलों में दी जा रही सुविधाओं का अध्ययन किया और एक ऐसा फार्मूला बनाया जिससे बेहद कम लागत में प्राइवेट स्कूलों जैसी सुविधाएं दी जा सकें। देखते ही देखते यह स्कूल प्राइवेट स्कूलों को मात देने लगा। स्कूल में बच्चों की संख्या भी दोगुनी हो गई। उनके इस माडल को राज्य के 500 स्कूलों में लागू किया गया।

इस बार राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित होने वाले वे पंजाब के इकलौते अध्यापक हैं। सरकारी प्राइमरी स्कूल बाड़ा भाईका के अध्यापक राजिंदर कुमार को यह सम्मान लो कास्ट टीचिंग मैट्रेरियल बनाने के साथ ही स्कूल को आधुनिक रंग-रूप देने व विद्यार्थियों के पढ़ने के अनुकूल सभी आधुनिक सुविधाएं व माहौल देने के लिए मिल रहा है। राजिंदर कुमार ने बताया कि 11 साल पहले उन्होंने जब गांव के सरकारी प्राइमरी स्कूल में बतौर ईटीटी अध्यापक अपनी सेवा शुरू की तो स्कूल की हालत बेहद खस्ताहाल थी। इमारत ठीक न होने के साथ ही विद्यार्थी भी कम संख्या में स्कूल आ रहे थे। उनके साथ उनकी पत्नी अध्यापिका हरिंदर कौर ने भी पढ़ाना शुरू किया था।

गांव के हुनरमंद लोगों के सहयोग से बाजार में 35 हजार में मिलने वाली वस्तुओं को उनकी टीम ने 2000 से 2500 रुपये के मध्य तैयार कर दिया, इसमें खेल-खेल में पढ़ाई कराने के लिए खिलौने, स्कूल के कमरों को सजाना, साउंड सिस्टम, एक कक्षा से दूसरे कक्षा को कनेक्ट करना, पढ़ाई की समाग्री का डिजिटलीकरण, मल्टीमीडिया, कमरों में एलईडी लगाना आदि के साथ ही परिसर को भी हरा-भरा करने के साथ रंग-बिरंगे फूल-पौधों से सजाया।

राजिंदर कुमार ने बताया कि उनका स्कूल इंंग्लिश मीडियम में है और वर्तमान समय में आसपास के सात गांवों के 220 विद्यार्थी पढ़ रहे हैंं। हालांकि उनके बेहतर कार्यों को देखते हुए विभाग द्वारा उन्हें तीन बार तरक्की दी गई, परंतु उन्होंने अपने इसी स्कूल में रहकर और काम करना मुनासिब समझा। उनके स्कूल में विद्यार्थियों को मल्टीमीडिया के अलावा कंप्यूटर से शिक्षित किया जाता है। स्कूल व पढ़ाई के प्रति विद्यार्थियों की रूचि को देखते हुए अब तक उनकी लो कास्ट टीचिंग मैट्रेरियल को प्रदेश के पांच सौ से अधिक स्कूलों ने अपनाया है।

हुनरमंद लोगों की टीम बनाई National Awards Punjab Govt

टीचिंग मटीरियल की कीमत कम करने के लिए राजिंदर कुमार ने गांव बाड़ा भाइका के हुनरमंद लोगों की एक टीम बनाई। इसमें राजमिस्त्री, बढ़ई, वेल्डिंग करने वाला, प्लंबर, कंप्यूटर इंजीनियर, माली, ड्रेस बनाने के लिए दर्जी आदि को शामिल किया। ये लोग बेहद कम कीमत पर स्कूल के लिए वस्तुएं तैयार करते हैं। इसी टीम ने प्रदेश के 500 से अधिक स्कूलों को सारा सामान उपलब्ध करवाया।

हमारे लिए गर्व की बात: सरपंच

गांव के नौजवान सरपंच हरविन्दर सिंह का कहना है कि मा. राजिन्द्र कुमार के पढ़ाने की विधि ऐसी है कि बच्चे पूरी रूचि से पढ़ते हैं। हर छोटी -छोटी चीज बारे बच्चों को प्रैक्टिल तौर पर सिखाया जाता है। हमें गर्व है कि उनके गांव के अध्यापक का राष्ट्रीय पुरुस्कार के लिए चयन हुआ है। वहीं स्कूल मैनेजमेंट समिति के सदस्य गिन्दर सिंह ने कहा कि हमें बहुत ही अधिक खुशी है कि मा. राजिन्द्र कुमार की बदौलत हम आने वाले समय में शिक्षा क्षेत्र में और ऊंंचाइयों को हासिल करेंगे।

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