गुरु के रंग में सजी गुरु पूर्णिमा
- सर्वधर्म संगम के रूप में बांटा गया चारों धर्मों का प्रशाद
- गुरु शब्द से जुड़े नए शिष्य
- देर रात तक चला गुरु पूर्णिमा का कार्यक्रम
- लाईव प्रसारण से घर-घर मना त्यौहार
- पहली बार देश-दुनिया ने देखा ऐसा लाईव नजारा
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‘सर (एमएसजी) का एक भी कदम बिना वजह के नहीं उठता, जितना मैं जानती हूं’ एमएसजी द वारियर्स लॉयन हार्ट मूवी का यह डॉयलॉग वास्तविकता में भी कुछ ऐसा ही नजर आता है। युग परिवर्तन मिशन के जनक संत डॉ. एमएसजी का हर कदम दुनिया की भलाई के लिए ही उठता रहा है और वर्तमान में भी उनके हर कार्य के पीछे मानवता की परिपाटी ही नजर आती है। अपने जीवन का हर पल लोगों के लिए समर्पित करने वाले पूज्य गुरु जी हमेशा ही अपने कर्म-वचन से समाज के उत्थान और कल्याण के लिए कार्य करते आए हैं।
शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा (उत्तर प्रदेश) में अपने 30 दिन के प्रवास के दौरान पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने जिस प्रकार बिना रुके, बिना थके मेहनत की है, वह बेमिसाल है। पूज्य पिता जी 24 घंटे के दौरान मात्र 3 घंटे ही आराम फरमाते, बाकि 21 घंटे व्यस्तम दिनचर्या में गुजारते। पूज्य गुरू जी ने कई दफा अपने मुखारबिंद से फरमाया कि समाज का कल्याण करना ही संतों का एकमात्र मकसद होता है, गुरू, पीर-फकीर भी अपनी औलाद से मिलने के लिए उतने ही उत्सुक होते हैं जितनी एक मां अपने बच्चे के लिए होती है।
जब गुरु शिष्य का मिलन होता है वो घड़ी मुबारक हो जाती है। और जब गुरु पूर्णिमा जैसे पावन अवसर पर एक शिष्य को अपने गुरु से रूबरू होने का नसीब प्राप्त हो जाए तो उसकी समस्त मंगलकामनाओं की अपने आप पूर्ति हो जाती है। इसी प्रकार 13 जुलाई के पावन अवसर पर गुरु पूर्णिमा के दिन करोड़ों शिष्य अपने दाता, रूहानी गुरु से रूबरू हुए तो उनके वारै न्यारै हो गए। उनकी मुरादें पूरी हो गई। अपने सोहणे सतगुरु के नूरानी दर्श से गुरु पूर्णिमा मुक्कमल हो गई। उनके लिए गुरु पूर्णिमा का यह दिन दुर्लभ हो गया। यह पावन उत्सव मन की मुरादों से भर गया। देश-विदेश में लाखों-करोड़ों की साध-संगत ने गुरु पूर्णिमा के इस त्यौहार को नजारों के साथ मनाया।
पूज्य गुरु जी ने अपने प्यारे शिष्यों पर प्यार लुटाते हुए उन्हें लाईव आकर दर्श-दीदार दिए। पूरे देश ही नहीं, विदेशों में भी इस त्यौहार का आनन्द मानकर हर शिष्य आनन्द विभोर हो गया। इस त्यौहार की खुशियों को पाने के लिए जहां हर कोई अपने मोबाइल फोन पर जुड़ा हुआ था, वहीं जगह-जगह पर बड़ी-बड़ी स्क्रीनों के माध्यम से हजारों की तादाद में सामूहिक रूप से इन खुशियों को सहेजा। यह पावन गुरु पूर्णिमा लाखों नए लोगों के लिए जीवनदायिनी साबित हुई। क्योंकि इस पावन अवसर पर नए लोग भी पूज्य गुरु जी के दर्श-दीदार के लिए बड़े उत्साह व हर्ष के साथ पहुंचे हुए थे। देश-विदेश में जहां भी साध-संगत के द्वारा प्रबंध किए गए थे, वहीं पूज्य गुरु जी ने गुरूमंत्र देकर इन नए शिष्यों को अपने चरणों में जोड़कर उनकी गुरु पूर्णिमा को साकार कर दिया। इस दिन गुरु जी की शरण को पाकर नए बने शिष्य भी धन्य-धन्य हो गए। उनकी जिंदगी का यह दिन यादगार हो गया जो उन्हें रूहानी उजाले से भर गया। पूज्य गुरु जी के दर्श व पावन वचनों से हर कोई निहाल हो गया।
पूज्य गुरु जी ने इस पावन अवसर पर अपने शिष्यों को रूहानियत के साथ इंसानियत का पाठ पढ़ाते हुए फरमाया कि गुरु शब्द अपने आप में बहुत बड़ा शब्द है। ‘गु का मतलब अंधकार और ‘रू का मतलब प्रकाश होता है। जो अज्ञान ता रूपी अंधकार में ज्ञान का दीपक जला दे और बदले में किसी से कुछ ना ले वही सच्चा गुरु होता है। गुरू की जरूरत हमेशा से थी, है और हमेशा रहेगी। खास करके रूहानियत, सूफियत, आत्मा, परमात्मा की जहां चर्चा होती है, उसके लिए गुरु तो अति जरूरी है। यह कार्यक्रम दुनियाभर में 265 स्थानों पर लाइव चल रहा था, जिसमें करोड़ों की संख्या में साध-संगत शामिल थी। इस अवसर पर पूज्य गुरु जी ने संगत से दो नए कार्य शुरू करने का प्रण भी करवाया। इससे पूर्व गुरु महिमा को दर्शाते भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए, वहीं एक डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई गई। कार्यक्रम में साध-संगत को सर्व धर्म का प्रशाद बूंदी, हलवा, सेवियाँ व केक का प्रशाद भी बांटा गया।
5 वर्षों की हर बात हुई सांझा
पूज्य गुरु जी ने आॅनलाइन कार्यक्रम के दौरान हर ब्लॉक की साध-संगत से रुबरू होते हुए उनके पिछले करीब 5 सालों के हर दु:ख-सुख को जाना। इस अवधि के दौरान जिन परिवारों के सदस्य इस नश्वर संसार से अलविदा हुए, उनसे संवेदना जताई और जिन परिवारों में बच्चों के रूप में नए सदस्य आए, उन्हें भरपूर प्यार लुटाया। खास बात यह भी रही कि इन 60 महीनों के अंतराल में जो युगल शादी के बंधन में बंधे, उन्हें टॉकन आॅफ लव के रूप में आशीर्वाद भी मिला।
परमार्थी कायों में जुड़े 3 अनमोल मोती
140वां कार्य : (9 जुलाई)
- रोजाना खाना खाने से पहले एक रोटी जीव-जंतुओं के लिए निकालेगी साध-संगत
141 व 142 वां कार्य: (13 जुलाई)
- स्वच्छ भारत मोबाइल टॉयलेट अभियान चलाएगी संगत
- हमेशा तिरंगे की आन, बान और शान को ऊँचा रखेंगे और अपने घरों पर तिरंगा फहराएंगे