Children's story - Mother's love

बाल कथा :- मां का प्यार – ‘छोड़ो, यह बच्चा मेरा है।’ ‘नहीं, यह बच्चा मेरा है।’ ‘इस बच्चे को छोड़ दे वरना तुझे जान से मार दूंगी।’ ‘तुम झूठ बोलती हो। बच्चा मेरा है।’ चंदा और तारा नामक बकरियों की लड़ाई बहुत बढ़ गई। इस बात का निर्णय होना कठिन था कि बच्चा दोनों में से किसका है? दोनों ही बच्चे पर अपना-अपना हक जमा रही थीं। अब यह फैसला हो तो कैसे ? लड़ाई देखने भीड़ इकट्ठी हो गई थी। तभी भीड़ से निकलते हुए भालू ने कहा, ‘ठहरो, तुम्हारे झगड़ने से इस बात का फैसला नहीं होगा कि बच्चा किसका है।’ भालू की आवाज सुनकर दोनों बकरियां रूक गर्इं। वहां खड़े सभी जानवर भालू की ओर देखने लगे, मानो वे सभी पूछना चाहते थे कि इसका फैसला कैसे होगा?

हाथी ने कहा, ‘इसका फैसला कभी हो ही नहीं सकता।’ ‘हो सकता है,’ भालू बोला। ‘कैसे?’ दोनों बकरियों ने हैरानी से भालू की ओर देखते हुए पूछा। ‘हमारे वन में वकील पेंग्विन रहता है। वह बहुत अनुभवी है। वह इसका फैसला कर देगा कि यह बच्चा किसका है।’ भालू बोला। तब दोनों बकरियों ने एक साथ कहा, ‘भालू भाई, हमें उसके पास ले चलो।’ देखते ही देखते पूरी भीड़ के साथ ही दोनों बकरियां बच्चे के साथ वकील पेंग्विन के पास पहुंच गईं। भालू ने पेंग्विन को दोनों बकरियों के झगड़े की कहानी सुनाई और बच्चे को उसके सामने कर दिया। पेंग्विन बच्चे को देखकर मुस्कुराया। फिर उसने दोनों बकरियों से कहा, ‘सच-सच बताओ कि यह बच्चा किसका है ?’

Also Read:  पर्यावरण संरक्षण ही हमारी असल पूंजी

‘बच्चा मेरा है,’ दोनों बकरियां एक साथ बोल पड़ीं। दोनों बकरियों की बातें सुनकर वकील पेंग्विन दुविधा में पड़ गया। उसके लिए यह निर्णय करना कठिन हो गया कि बच्चे की मां कौन है? फिर कुछ देर तक सोचने के बाद पेंग्विन ने मुस्कुरा कर कहा, ‘मैं तुम दोनों की परीक्षा लूंगा। यह बच्चा बीच में रहेगा। तुम दोनों बच्चों के दोनों तरफ खड़ी हो जाओ। फिर मेरा संकेत मिलने पर तुम दोनों में से जो भी पहले बच्चे को उठाकर गोद में ले लेगी, बच्चा उसी को मिलेगा।’ वकील पेंग्विन की इस बात पर सभी जानवरों को आश्चर्य हुआ।

‘मैं तीन तक गिनूंगा। तीन कहते ही बच्चे को उठा लेना।’एक, दो, तीन कहते ही दोनों बकरियां उस बच्चे पर टूट पड़ीं। एक ने बच्चे के पैर पकड़ लिए और दूसरी ने हाथ। अब क्या था। दोनों की खींचातानी में बच्चा चिल्लाने लगा। दर्द के मारे उसकी जान निकली जा रही थी। वहां खड़े सभी जानवर आश्चर्य से देख रहे थे। तभी चंदा बकरी रूक गई और रो पड़ी। तारा बकरी ने बच्चे को पकड़ लिया। उसकी आंखों में आंसू नहीं थे।

‘क्यों वकील साहब, अब तो आपको यह विश्वास हो गया न कि यह बच्चा मेरा ही है?’ तारा बकरी ने पूछा। ‘नहीं, यह बच्चा तुम्हारा नहीं है,’ पेंग्विन बोला।‘यह आप क्या कह रहे हैं ?’ तारा चीखी। पेंग्विन ने कहा, ‘वही कह रहा हूं जो सच्चाई है। क्या कोई ऐसी मां इस संसार में है जो अपने ही बच्चे को खींच-खींचकर टुकड़े-टुकड़े करने को तैयार हो जाए? भाईयों, बताइए कि आज तक आप लोगों ने ऐसी मां को देखा है ? बच्चा दर्द के कारण चिल्ला रहा था किंतु तारा को इसकी कोई परवाह नहीं थी। कुछ देर तक बच्चे को पाने के लिए चंदा कोशिश करती रही किंतु जब बच्चा दर्द से तड़पने लगा तो यह उससे देखा नहीं गया और उसने रोते हुए बच्चे को छोड़ दिया। वास्तव में यही मां की ममता है, यानी बच्चे की असली मां चंदा बकरी ही है।’

Also Read:  बेटा! काम तो मालिक ने करना है -सत्संगियों के अनुभव

जानवरों की भीड़ वकील पेंग्विन के इस निर्णय पर हैरान थी। तारा बकरी का सिर शर्म से झुक गया। उसने चुपचाप बच्चे को चंदा बकरी को सौंप दिया।
-नरेन्द्र देवांगन

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here