अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हों उपभोक्ता
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस हर साल 15 मार्च को मनाया जाता है, वहीं अपने देश में यह दिन 24 दिसम्बर को मनाया जाता है। यह दिन आग्रह करने का अवसर देता है कि सभी उपभोक्ताओं के अधिकारों को मान्यता दी जाए और उनकी रक्षा की जाए, साथ ही उन अधिकारों को खतरे में डालने वाले बाजार के दुरुपयोग और सामाजिक अन्याय का विरोध किया जाए। यह दिन उपभोक्ताओं की शक्ति और सभी के लिए एक निष्पक्ष, सुरक्षित और टिकाऊ बाजार के लिए उनके अधिकारों पर प्रकाश डालता है।
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस अमेरिकी कांग्रेस को राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के विशेष संदेश से प्रेरित है जो 15 मार्च 1962 को दिया गया था। इस संदेश में उन्होंने औपचारिक रूप से ऐसा करने वाले पहले विश्व नेता बनने वाले उपभोक्ता अधिकारों के मुद्दे को संबोधित किया। उपभोक्ता आंदोलन ने पहली बार 1983 में उस तारीख को चिह्नित किया और अब हर साल महत्वपूर्ण मुद्दों और अभियानों पर कार्रवाई करने के लिए दिन का उपयोग करता है।
दरअसल, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 उपभोक्ताओं को वो अधिकार देता है जो उन्हें किसी तरह की जालसाजी या धोखाधड़ी से बचा सके। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम भारतीय संविधान की धारा 14 से 19 बीच आपको ये अधिकार उपलब्ध कराता है।
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उपभोक्ताओं के कुछ अधिकार हैं:
सुरक्षा का अधिकार:
जीवन और संपत्ति के लिए खतरनाक वस्तुओं और सेवाओं के विपणन से बचाव करना। खरीदे गए सामान और सेवाओं का लाभ न केवल उनकी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करना चाहिए बल्कि दीर्घकालिक हितों को भी पूरा करना चाहिए।
सूचना का अधिकार:
माल की गुणवत्ता, मात्रा, शक्ति, शुद्धता, मानक और कीमत के बारे में सूचित करने का अधिकार ताकि उपभोक्ता को अनुचित व्यापार प्रथाओं से बचाया जा सके।
चुनने का अधिकार:
आश्वस्त होने के लिए, जहां भी संभव हो प्रतिस्पर्धी मूल्य पर विभिन्न प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं तक पहुंच। एकाधिकार के मामले में, इसका अर्थ है उचित मूल्य पर संतोषजनक गुणवत्ता और सेवा का आश्वासन पाने का अधिकार।
सुने जाने का अधिकार:
इसका मतलब है कि उपभोक्ताओं के हितों को उचित मंचों पर उचित ध्यान दिया जाएगा। इसमें उपभोक्ता के कल्याण पर विचार करने के लिए गठित विभिन्न मंचों में प्रतिनिधित्व का अधिकार भी शामिल है।
निवारण की मांग करने का अधिकार:
अनुचित व्यापार प्रथाओं या उपभोक्ताओं के बेईमान शोषण के खिलाफ निवारण की मांग करना। इसमें उपभोक्ता की वास्तविक शिकायतों के उचित निपटान का अधिकार भी शामिल है।
उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार:
जीवन-भर एक सूचित उपभोक्ता बनने के लिए ज्ञान और कौशल हासिल करना। उपभोक्ताओं, विशेषकर ग्रामीण उपभोक्ताओं की अज्ञानता उनके शोषण का मुख्य कारण है।
बुनियादी जरूरतों की संतुष्टि का अधिकार:
बुनियादी, आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं तक पहुंच के लिए: पर्याप्त भोजन, कपड़े, आश्रय, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, सार्वजनिक उपयोगिताओं, पानी और स्वच्छता।
स्वस्थ पर्यावरण का अधिकार:
ऐसे वातावरण में रहना और काम करना जो वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों की भलाई के लिए खतरा न हो।
भारत में विभिन्न उपभोक्ता संगठन कार्य कर रहे हैं, जो उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ सहायता प्रदान करते हैं:
- अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत
- कंज्यूमर गाइडेंस सोसाइटी आॅफ इंडिया
- अखिल भारतीय उपभोक्ता संरक्षण संगठन
- द कंज्यूमर आई इंडिया
- यूनाइटेड इंडिया कंज्यूमर एसोसिएशन
- ग्राहक शक्ति बेंगलुरु, कर्नाटक
- उपभोक्ता जागरूकता, संरक्षण और शिक्षा परिषद
- दक्षिण भारत उपभोक्ता संगठनों का संघ
भारत जैसे विकासशील देश में व्याप्त विभिन्न सामाजिक-आर्थिक समस्याओं, गरीबी, निरक्षरता और क्रय शक्ति में कमी के चलते उपभोक्ताओं के ठगे जाने, धोखाधड़ी, गुणों के विपरीत सामान दिये जाने आदि की शिकायतें प्राय: सुनने को मिलती रहती हैं। उपभोक्ताओं में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता की कमी और शोषण के खिलाफ आवाज उठाने के लिये संस्थागत व्यवस्था की कमी इसके प्रमुख कारण हैं।
उपभोक्ताओं की आॅनलाइन शॉपिंग को बदलते वक्त और कंप्यूटर विज्ञान का चमत्कार कहा जा सकता है। ऐसे में देश में डिजिटल रूप से सक्षम समाज के बजाय डिजिटल रूप से सशक्त समाज पर ध्यान देने की जरूरत है। जिस प्रकार एक उपभोक्ता घर पर बैठे हुए उत्पादों को आॅनलाइन खरीदने में सक्षम है, उसी प्रकार वह उसी रीति से शिकायत दर्ज करने और समाधान प्राप्त करने में सक्षम होना चाहिये।
सरकार उपभोक्ताओं को डिजिटाइजेशन के पूर्ण लाभ उपलब्ध कराने और आॅनलाइन व्यवस्था से जुड़े जोखिमों के विरुद्ध सुरक्षोपाय करने के लिये बराबर कार्य कर रही है। आमजन को भी चाहिए कि वह अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो। किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी होने पर उपभोक्ता फोर्म में जाकर अपनी शिकायत दर्ज करवाएं और समय-समय पर उपभोक्ताओं के अधिकारों जुड़ी जानकारी हासिल करना भी आवश्यक है।