World Sparrow Day -sachi shiksha hindi

इसचीं-चींको रखना हैसलामत World Sparrow Day

सुबह-सवेरे व शाम के समय चिड़ियों की चहचाहट भला किसे पसंद नहीं! लेकिन आज के आधुनिक दौर में ऐसे नजारे कम ही देखने को मिलते हैं। प्रकृति-प्रेमी तो फिर भी अपने स्तर पर प्रयास करके विलुप्त होते पशु-पक्षियों की संभाल का जिम्मा उठाए हुए है, मगर आधुनिक मानव तो मोबाइल इत्यादि में ही पक्षियों की आवाज का आनन्द ले पाते हैं।

ऐसे ही चिड़ियों की एक प्रजाति है गौरेया, आज का विलुप्त होने की कगार है। गौरेया पृथ्वी पर पाई जाने वाली सबसे आम और सबसे पुरानी पक्षी प्रजातियों में से एक है। गौरेया की विलुप्त होती प्रजाति और कम होती आबादी बेहद चिंता का विषय है।

Many expressions are hidden in the dance of the national bird peacock - Sachi Shiksha Hindiहर साल 20 मार्च को नेचर फॉरएवर सोसाइटी (भारत) और इको-सिस एक्शन फाउंडेशन (फ्रांस) के सहयोग से विश्व गौरेया दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरूआत नासिक के रहने वाले मोहम्मद दिलावर ने नेचर फॉरएवर सोसायटी की स्थापना करके की थी। नेचर फॉरएवर सोसायटी द्वारा हर साल 20 मार्च को विश्व गौरेया दिवस मनाने की योजना बनाई गई। पहली बार साल 2010 में यह दिन मनाया गया था।

विश्व गौरेया दिवस मनाने का उद्देश्य गौरेया पक्षी की लुप्त होती प्रजाति को बचाना है। पेड़ों की अंधाधुंध होती कटाई, आधुनिक शहरीकरण और लगातार बढ़ रहे प्रदूषण से गौरेया विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी है। एक वक्त था जब गौरेया की चीं-चीं की आवाज से ही लोगों की नींद खुला करती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। यह एक ऐसा पक्षी है जो मनुष्य के इर्द-गिर्द रहना पसंद करता है। गौरेया पक्षी की संख्या में लगातार कमी एक चेतावनी है कि प्रदूषण और रेडिएशन प्रकृति और मानव के ऊपर क्या प्रभाव डाल रहा है। इसलिए इस ओर काम करने की जरूरत है।

गौरेया के बारे में रोचक जानकारी:

  • क्या आप नर और मादा गौरेया में मुख्य अंतर जानते हैं? मादाओं की धारियों के साथ भूरी पीठ होती है, जबकि नर की काली बिब के साथ लाल रंग की पीठ होती है। साथ ही, नर गौरेया मादा से थोड़ा बड़ा होता है।
  • गौरेया झुंड के रूप में जानी जाने वाली कॉलोनियों में रहती हैं।
  • अगर उन्हें खतरा महसूस हो तो वे तेज गति से तैर सकते हैं।
  • गौरेया स्वभाव से प्रादेशिक नहीं होती हैं, वे सुरक्षात्मक हैं और अपने घोंसले का निर्माण करती हैं।
  • नर गौरेया अपनी मादा समकक्षों को आकर्षित करने के लिए घोंसले का निर्माण करते हैं।
  • घरेलू गौरेया, गौरेया परिवार पासरिडे का एक पक्षी है।
  • घरेलू गौरेया शहरी या ग्रामीण परिवेश में रह सकती हैं क्योंकि वे लोगों के आवासों से जुड़ी हुई हैं।
  • वे व्यापक रूप से विभिन्न आवासों और जलवायु में पाए जाते हैं, न कि जंगलों, रेगिस्तानों और घास के मैदानों में।
  • जंगली गौरेया की औसत जीवन प्रत्याशा 10 वर्ष से कम है और मुख्य रूप से 4 से 5 वर्ष के करीब है।
  • घरेलू गौरैयों की उड़ान सीधी होती है जिसमें निरंतर फड़फड़ाना और ग्लाइडिंग की कोई अवधि नहीं होती है, औसतन 45.5 किमी प्रति घंटा और प्रति सेकंड लगभग 15 पंखों की धड़कन होती है।

ऐसे बचाएं गौरेया को:

  • गौरेया आपके घर में घोंसला बनाए, तो उसे हटाएं नहीं।
  • रोजाना आंगन, खिड़की, बाहरी दीवारों पर दाना पानी रखें।
  • गर्मियों में गौरेया के लिए पानी रखें।
  • अगर घर में गौरेया आ जाए, तो पंखा इत्यादि बंद कर दें।
  • जूते के डिब्बे, प्लास्टिक की बड़ी बोतलें और मटकी को टांगें, जिसमें वो घोंसला बना सकें।
  • बाजार से कृत्रिम घोंसले लाकर रख सकते हैं।
  • घरों में धान, बाजरा की बालियां लटका कर रखें।
  • ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं, ताकि पक्षी सुरक्षित रहें।
  • पतंग उड़ाते समय नायलॉन या चीनी मांझे का इस्तेमाल न करें, ताकि गौरेया या अन्य पक्षियों को चोट न पहुंचे।
  • ग्लोबल वार्मिंग को कंट्रोल करें, ताकि गर्मी की वजह से पक्षियों की मौत न हो।

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