सूर्य सी ऊर्जा पाने के लिए करें नमस्कार

पृथ्वी पर ऊर्जा और जीवन शक्ति का सबसे बड़ा स्त्रोत है ‘सूर्य’। इसीलिए प्राचीन ग्रंथों में सूर्य-पूजन के बारे में काफी लिखा गया है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से तो सूर्य एक आग का गोला है, लेकिन हिन्दू धर्म में सूर्य देवता का जिक्र किया गया है, जोकि सूर्य को चलाते हैं। अगर एक दिन भी सूर्य न निकले तो सृष्टि पर अंधेरा छा जाएगा और सारे कार्य ठप हो जाएंगे। सूर्य न हो तो पृथ्वी पर जीवन संभव ही नहीं है। जिस तरह सूर्य की हमारे जीवन में अत्यंत आवश्यकता है, उसी तरह ‘सूर्य नमस्कार’ का भी हमारे पूरे शरीर के अंगो के लिए महत्वपूर्ण योगदान है।

सूर्य नमस्कार के 12 आसन होते हैं, जिन्हें एक के बाद एक लगातार किया जाता है। इन सभी 12 आसनों का एक चक्कर माना जाता है, जिसे घड़ी के 12 चरणों की तरह ही सम­ा सकते हैं। जिस तरह घड़ी की सुईयां 12 पर आकर अपना एक चक्कर पूरा करती है, उसी तरह सूर्य नमस्कार के 12 चरण पूरे करने के बाद एक चक्कर पूरा होता है। योग के अनुसार प्रतिदिन हमें 12 चक्कर करने चाहिए, जिससे हम सूर्य नमस्कार का पूर्णत: लाभ उठा सकते हैं। इसका नियमित अभ्यास बाह्य व आंतरिक अंगों की सभी समस्याओं व बीमारियों को शरीर से दूर रख सकता है।

इस आसन को नियमित करने से सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा को भी ग्रहण किया जा सकता है, जो हमें पूरा दिन तरोताजा व स्वस्थ महसूस करवाने में सहायता करता है। शाम को सूर्य छिपने के बाद भी सूर्य नमस्कार कर सकते हैं, लेकिन सुबह जल्दी करना सबसे ज्यादा लाभदायक है। पूजनीय गुरु डॉ. एमएसजी ने सूर्य नमस्कार को एक संपूर्ण व्यायाम के रूप में दैनिक जीवन में अपनाने के लिए फरमाया है। सूर्य नमस्कार के 12 आसनों का शरीर पर अलग-2 प्रभाव पड़ता है। प्रणाम मुद्रा, हस्त उत्तानासन, हस्त पादासन, अश्व संचालन आसन, पर्वतासन, अष्टांग प्राणायाम, भुजंग आसन, पर्वतासन, अश्व संचालन आसन, हस्त पादासन, हस्त उत्तानासन, प्रणाम मुद्रा सूर्य नमस्कार में उपयोग किए जाने वाले

12 आसनों को करने का तरीका व लाभ निम्नलिखित हैं:-

प्रणाम मुद्रा विधि:-

  • अपने योगा मैट या चटाई के किनारे पर हाथ जोड़कर खड़े हो जाएं। आँखें भी बंद कर सकते हैं।
  • शरीर को आराम की स्थिति में रखें।

हस्त उत्तानासन विधि:-

  • सांस लेते हुए हाथों को ऊपर उठाते हुए पीछे की तरफ कमर ­ाुकाएं। क्षमता अनुसार ही पीछे की तरफ जाएं।
  • चाहें तो पैरों को खोल भी सकते हैं।

हस्तपादासन विधि:-

  • साँस छोड़ते हुए आगे की ओर ­ाुकें।
  • अपने दोनों हाथों को दोनों पैरों के बाहर की तरफ धरती पर नीचे लेकर जाएं।
  • लगातार अभ्यास से पेट अंदर कर छाती को टांगों से टूने की कोशिश करें।

अश्व संचालन आसन:-

  • खड़े होकर सांस लेते हुए दाहिने पैर को पीछे ले जाकर घुटने को नीचे लगाएं।
  • अपने बाएं घुटने को मोड़ें व हथेलियाँ नीचे रखें।
  • कंधों को पीछे की ओर मोड़े और ऊपर या सीधे देखें।

दंड आसन विधि:-

  • सांस छोड़ते हुए बायां पैर पीछे ले जाएं।
  • हथ्ोलियां नीचे रखते हुुए कुल्हों को ऊपर उठाएं।
  • ऐड़ियाँ नीचे लगाए रखने की कोशिश करें।

अष्टांग नमस्कार विधि:-

  • पैरों की अंगुलियां मोड़ते हुए घुटनों को नीचे लाएं।
  • कुल्हों को ऊपर रखते हुए कंधों, छाती व माथे को धरती पर छूने दें।
  • कूहनियां ऊपर की तरफ रहेंगी।

भुजंगासन विधि:-

  • सांस लेते हुए आगे की तरफ खिसकें और छाती को कोबरा की स्थिति में उठाएं।
  • कंधे ऊपर की तरफ रहेंगे।
  • कमर मोड़ते हुए आसमान की तरफ देखें।

पर्वतासन विधि:-

  • सांस छोड़ते हुए दोबारा कुल्हों को ऊपर उठाएं।
  • ऐड़ियां व हथेलियां धरती पर रहेंगी।

अश्व संचालन आसन विधि:-

  • सांस लेते हुए बांए पैर को दोनों हाथों के बीच लेकर आएं।
  • फिर अपने धड़ व कंधों को ऊपर की तरफ लेकर जाएं।
  • निगाह आसमान की तरफ हो।

हस्तपादासन विधि:-

  • सांस छोड़ते हुए दाएं पैर को बाएं पैर के पास लेकर आएं।
  • दोनों हाथों को पैरों के पास रखें।
  • छाती व सिर को ठोडी से लगाने की कोशिश करें।

हस्त उत्तानासन विधि:-

  • सांस लेते हुए भुजाओं को पीछे की तरफ ले जाएं।
  • पीछे की ओर आर्च बनाने की कोशिश करें।

प्राणामासन मुद्रा:-

  • सांस छोड़ते हुए सीधे होकर प्रणाम मुद्रा में हाथ जोड़ें।
    -नीलम इन्सां, योगा वर्ल्ड चैम्पियन

सूर्य नमस्कार आसन के लाभ

  • तंत्रिका तंत्र को आराम मिलता है।
  • तनाव को दूर करता है।
  • शरीर को ऊर्जावान रखने में मदद करता है।
  • आत्म जागरुकता को बढ़ाता है।
  • लम्बाई बढ़ाता है।
  • शारीरिक संतुलन बनाता है।
  • कंधों को मजबूत बनाता है।
  • मानसिक रोग दूर करने में सहायक है।
  • आँखों को आराम मिलता है।
  • फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है।
  • याद्दाश्त तेज होती है।
  • रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बढ़ता है।
  • हृदय सम्बंधी समस्याओं को दूर करता है।
  • पाचन तंत्र को मजबूत करता है।
  • अस्थमा में लाभदायी है।
  • अनिद्रा की षिकायत को दूर करता है।
  • जोड़ों व घुटनों को मजबूत बनाता है।
  • मैटाबॉलिज्म में सुधार करता है।
  • मानसिक शक्ति बढ़ाने में सहायक है।
  • माँसपेशियों को शक्ति प्रदान कर उनमें लचीलापन लाता है।
  • शरीर की मुद्रा में सुधार लाता है।
  • एकाग्रता बढ़ाने में मदद करता है।
  • शरीर के सभी अंगों में सुधार करता है।
  • मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करता है।
  • पेट की चर्बी कम करता है।

सावधानियां:-

  • कठिन कमर, घुटने व सर्वाइकल दर्द में सूर्य नमस्कार ना करें।
  • महिलाएं मासिक धर्म के समय में दो या तीन दिन न करें।
  • अभ्यास साफ-सुथरी व हवादार स्थान पर ही होना चाहिए।
  • सूर्य नमस्कार सुबह के समय ही करें। दोपहर को बिल्कुल न करें, क्योंकि उस समय सूर्य की तपिश होती है। शाम के समय भी कर सकते हैं।

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