cold weather

मनभावन सर्द रुत का लें आनन्द

सर्दी का मौसम, यानी जी भर कर खाने का मौसम, चैटिंग, गप्पबाजी करने का मौसम और कपड़े पहनने का मौसम। मौसम तो सर्दी का होता है लेकिन फिजां में गर्मी का आलम और गर्माहट की सुगबुगाहट होती है। खुशियों भरा सुहाना मौसम किसी पर्व से कम नहीं होता। चारों तरफ नाना प्रकार के फूलों से वसुन्धरा सज उठती है जैसे मौसम स्वयं ही उसका शृंगार करना चाह रहा हो।

आग तपना, रजाई में घुसकर सोना, गरमा-गरम पकौड़े खाना और गर्म चाय-कॉफी पीना किसे नहीं भाता। बुजुर्ग कह गये हैं कि ठण्ड का खाया-पीया सारा साल शरीर को स्वस्थ रखता है। फिर सूर्य-स्रान करना या समुद्र के किनारे लेट कर प्रकृति का मज़ा उठाना, यह शीत ऋतु में ही संभव है।

शीत का मौसम जितना मनभावन होता है, उतना ही विशेष देखभाल की मांग करता है। शीत ऋतु में मालिश का अपना ही मज़ा है। तेल लगाकर मालिश कीजिए और कुछ देर सुबह की धूप के सेवन का मज़ा उठाइये। फिर गुनगुने पानी से शरीर स्क्रबर से रगड़-रगड़ कर नहाइए। हो सके तो किसी सुगंधित गंध, जैसे गुलाब, चमेली, केवड़ा, मोगरा आदि डालकर नहाइये। नहाने का मजा द्विगुणित हो जाएगा। ओडीकॉलोन की चंद बूंदें नहाने के जल में मिलाकर नहाइए। पूरा दिन बदन में स्पेशल खुशबू का भीना-भीना अहसास रहेगा।

वैसे तो आप पूरा साल हर मौसम में अपनी त्वचा और देह लावण्य का ख्याल रखते हैं, मगर ठण्डी ऋतु में जितना हो सके, अपने शरीर को ढकने वाले डिज़ाइन के वस्त्र पहनें, फैशन का फैशन और शरीर की बाह्य ठण्डी हवा से सुरक्षा भी। साथ ही सर्दी के मौसम में स्कार्फ हो या कैप, चुन्नी हो या साड़ी का पल्लू आदि से सिर व कान को अवश्य ढक कर रखें। इसी प्रकार मोजे और दस्तानें भी अवश्य ही धारण करें। ठण्ड में माश्चराइजर या विंटर केयर लोशन लगाना मत भूलिए और औषधीय गुणों से भरपूर सौंदर्य हर्बल प्रसाधनों को अपनाइए। देखिए, खिल उठेगी आपकी त्वचा।

ठण्ड में अपनी बालकनी या गलियारे में बैठ कर साहित्य का आनंद उठाइए या फिर ईअरफोन कानों में लगाकर मनपसंद संगीत कुछ देर के लिए अवश्य सुनिए, मन चंदन-सा महक उठेगा। यह ठीक है कि आज कम्प्यूटर और इन्टरनेट का जमाना है, मगर हर समय कंप्यूटर के आगे आँखें गड़ाए बैठा तो नहीं जा सकता न? और मन भी परिवर्तन चाहता है। अत: कभी पत्र-पत्रिकाएं पढंÞे, कभी कवि सम्मेलनों या गोष्ठी में जाएं, दूसरों को दाद दें और स्वयं भी वाहवाही पाएं।

सर्दियों में फैमिली पार्टी, गॉसिप पार्टी, नामचर्चा (राम-नाम की चर्चा) आयोजित कीजिए। रंगारंग कार्यक्र मों का आयोजन भी कीजिए। बीसवीं सदी से इक्कीसवीं सदी के सफर का लेखा-जोखा कीजिए। मन को तितलियों की तरह उड़ने और भौरों की तरह गुंजन करने के लिये प्रेरित और विवश कीजिए। विंटर फैशन के नए अंदाज़ को मन से परखिए और खुश होइए।

बच्चों की खुशी के लिए भी कभी-कभी कटलेट तो कभी-कभी केक बनाइए। आलू के परांठे और विभिन्न प्रकार के अचार तथा और नहीं तो आंवले का मुरब्बा। बच्चे अपने मनपसंद खाद्य पदार्थ पाकर आपको प्यार करते नहीं थकेंगे। ऊपर से अगर आपने नई सदी के स्वागत के लिए कुछ विशेष और बम्पर सोच लिया है, तो बच्चे अपनी मॉम के दीवाने हो ही जाएंगे। छोटी-छोटी खुशियों से घर का कोना-कोना भर दीजिए। इक्कीसवीं सदी निश्चय ही आपके लिए मंगलकारी होगी।

छोटी-छोटी जल की बंूदें सागर को भर देती हैं, उसी प्रकार बालू की रज नन्ही-नन्ही सुघड़ बूंदें रच देती हैं। ठीक इसी प्रकार छोटी-छोटी खुशियों को अपने स्मृतिपटल पर संजोइये। कैसा बीता आपका साल, सोचकर आप खुद ही खुश हो जाएंगी और समृद्धि का पूरा नया वर्ष आपके स्वागत के लिए तैयार है।
सेतु जैन

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here
Captcha verification failed!
CAPTCHA user score failed. Please contact us!