festival of happiness diwali -sachi shiksha hindi

खुशियों का त्यौहार दिवाली भारतीय संस्कृति में तीज-त्यौहारों के पावन अवसरों पर घरों में रंगोली सजाने की परम्परा प्रचलित है। लक्ष्मी के स्वागत में दीपावली पर हजारों वर्षों में रंगोली सजती आ रही है। इन रंगोलियों में चित्रकला की भारतीय परम्परा की अमिट छाप है। यही वजह है कि हर अंचल की कला शैली इनके डिजाइनों में देखी जा सकती है।

पुराणों में कुल 64 तरह की कलाएं मानी गयी हैं। इनमें से ‘रंगोली’ भी एक है। पौराणिक काल में रंगों की अल्पना बनाकर स्वागत करने की भारतीय परिपाटी के भी संकेत मिलते हैं। पौराणिक काल में तो रंगोली कलाकारों को जहां विशेष सम्मान मिलता था, वहीं राज्याश्रय भी उन्हें मिलता था अत: वे वर्ष भर इसी कला साधना में जुटे रह कर नित नये-नये डिजाइन बनाते थे।

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दीपावली और आतिशबाजी

क्या बच्चे, क्या बूढ़े सभी को पसंद है आतिशबाजी। लेकिन उत्साह उस समय ठंड़ा पड़ जाता है जब थोड़ी सी असावधानी से आपको नुकसान पहुंचता है। इसलिए आतिशबाजी करते समय कुछ सावधानी बरती जाए, तो आप पूरा इंजाव्य करेंगे दीपावली को। पटाखे चलाते समय थोड़े से रहें सावधान, क्योंकि हुई ज़रा सी चूक और कहीं हो जाए अनर्थ।

इसलिए जरूरी हैं टिप्स-

  • इस बात का खास ख्याल रखें कि जहां आतिशबाजी करनी है, वह पूरा इलाका खुला हो। भले ही आपको थोड़े समय के लिए यह अच्छा नहीं लगेगा, लेकिन बाद में आपको यही इंज्वाय देगा।
  • जहां आतिशबाजी कर रहे हैं, वहां पानी भरी बाल्टी अवश्य रखे जिससे की जहां फुलझरी को बुझा सकें, वहीं कुछ भी अनहोनी पर पानी का भी इस्तेमाल कर सकेंगे।
  • कभी भी फुलझरी-बम को हाथ में लेकर ना सुलगाएं। क्योंकि अक्सर यह फुलझरी-बम फट जाता है, जिससे आपको नुकसान पहुंच जाता है। खासकर युवा इसे उत्साही होकर हाथ में ही लेकर सुलगाते हैं, जो खतरनाक है। इस तरह के तरीके से बचिए।
  • यदि आपने पटाखा या बम में आग लगा दी है और वह न चला हो, तो उसमें दोबारा आग लगाने की कोशिश ना करें, इससे खतरा हो सकता है। अगर वह नहीं चल रहा है तो साथ में रखें टब से पानी निकालकर उसपर डालें, जिससे कि उसमें आग बची ना रह जाए।
  • अक्सर ऐसा देखा गया है कि आतिशबाजी घरों में या तंग गलियों में की जाती है, जिससे कई तरह के नुकसान तो होते हैं, खासकर ऐसे समय में गली में गैस भी भर जाता है जो स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है।
  • आतिशबाजी करते वक्त छोटे बच्चों को दूर रखें क्योंकि उनकी त्वचा नाजुक होती है और इससे आंख और कान को खतरा हो सकता है।
  • अगर आपने आतिशबाजी का मन बना ही लिया है, तो इस बात का खास ख्याल रखें कि आप कपड़े कैसे धारण किए हुए हैं। ऐसे समय में लुंगी, धोती, लहंगा आदि न पहनें, तो अच्छा रहेगा।
  • जहां आप आतिशबाजी कर रहे हैं, वहां अगर आसपास स्कूटर, मोटरसाइकिल, कार आदि है तो ध्यान रखें कि यह खतरनाक हो सकता है, इसके लिए ऐसे जगह का चुनाव ठीक नहीं है।
  • पालतु जानवर आतिशबाजी से डरता है। इसलिए इस बात का भी खास ख्याल रखें कि पालतु जानवरों को पहले सुरक्षित स्थान पर रखें, ताकि इसपर कोई खास असर नहीं हो।
  • तेज रोशनी से बच्चों की आंखों पर असर पड़ सकता है, इसलिए इससे बचाव आवश्यक है। खासकर बच्चों का रखें ख्याल, तभी दीपावली का पूरा उत्साह लिया जा सकता है।
  • तेज आवाज भी बच्चों को नुकसान करती है। बच्चे ही नहीं, बूढ़ों को भी तेज आवाज से रखें दूर।
  • अगर बुजुर्ग को सांस की बीमारी है तो ऐसे समय में खासकर जब पटाखे चल रहे हों, उन्हें घर में ही रहना ज्यादा उचित है, नहीं तो पटाखे से निकले बारुद के धुएं नुकसान पैदा करते हैं।
  • बहरहाल आतिशबाजी करते वक्त अगर थोड़ी सी सावधानी बरती गई तो आप दीपावली को पूरा इंज्वाय कर सकेंगे। और आपकी सावधानी से पड़ोसी भी खुश रहेंगे। इसलिए आतिशबाजी करते वक्त कोई चूक ना करें।

सावधानी बरतें मिठाई खरीदते समय

त्यौहार बिना मिठाई और पकवान के फीके से लगते हैं। हर परिवार, हर घर में त्यौहारों पर मिठाई आती है। अब तो मिठाइयों का प्रचलन लेन-देन में भी बढ़ता जा रहा है। कुछ खुशी होने पर मुंह मीठा करने की रस्म तो बहुत पुरानी है। बड़े त्यौहारों पर हलवाई लोग कुछ दिन पहले से तैयारी करनी शुरू कर देते हैं।

अधिकतर मिठाइयां दूध से तैयार की जाती है। दूध को खूब पका कर मावा, पनीर तैयार किया जाता है, जिससे मिठाइयां बनाई जाती हैं। दूध की मिठाई थोड़ी भी पुरानी हो जाये, तो उसका स्वाद खराब हो जाता है जिसके सेवन से मजा किरकिरा हो जाता है। कभी कभी तो मजे के स्थान पर पेट में तेजाब बनना, जी मिचलाना, पेट में अफारा, उल्टी-दस्त लगने की शिकायतें अलग से होने लगती है।

इसलिए मिठाई खरीदते समय निम्न बातों का ध्यान रखें-

  • दूध से बनी मिठाइयां 3-4 दिन में खराब हो जाती हैं। खरीदते समय यह ध्यान रखें कि मिठाई यदि आप अपने घर के लिए खरीद रहे हैं तो दूध से बनी मिठाई को एक या दो दिन में खा कर खत्म कर दें और हलवाई से लाने पर डिब्बा खोलकर जांच कर लें कि सब ठीक-ठाक है, फिर उसे फ्रिज में रख दें।
  • अगर आप किसी और के लिए मिठाई खरीद रहे हैं तो कोशिश करें कि खोये, छैने या पनीर से बनी मिठाई न लें। मिठाई लेने से पूर्व हलवाई से उस मिठाई के छोटे टुकड़े को चख कर खरीदें। दूध से बनी मिठाई खरीदते समय विशेष सावधानी बरतें।
  • दूध से बनी मिठाईयां जैसे रसगुल्ला, चमचम, राजभोग आदि पुरानी पड़ने पर अपना रंग खो देती हैं। इनका रंग पीला या हल्का भूरा हो जाता है। ऐसी मिठाई कभी न खरीदें।
  • खोए से बनी मिठाई यदि पुरानी होगी तो अंगुली से छूते ही भुर जायेगी। ऐसी मिठाई कभी न खरीदें।
  • खट्टे या कड़वे स्वाद की मिठाई भी न खरीदें क्योंकि इसका सेवन खतरनाक हो सकता है।

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