Negatively Thinking

नकारात्मक सोच की बजाय अच्छे पहलुओं पर गौर करें -अक्सर बातें चुभती भी उन्हीं की है जो हमारे करीब होते हैं। मसलन एक राह चलता आदमी आपको क्या कह रहा था, आपको इसकी परवाह नहीं। हां, अगर घर में, या किसी करीबी रिश्तेदार या मित्र ने कुछ कह दिया हो तो वह हमें परेशान कर देने के लिए काफी होता है।

ऐसी क्या वजह है कि जिसके कारण इन्सान को किसी के द्वारा कही गई बातें झट से बुरी लग जाती हैं। दरअसल इस दुनिया में हर व्यक्ति खुश रहना चाहता है और इस चक्कर में वह दुखी हो जाता है। अपनी खुशी में जरा भी खलल उसे मंजूर नहीं, इसलिए किसी के कहे कमेंट्स उसे बर्दाश्त नहीं होते और बस इन बातों को वह दिल से लगा लेता है।

कुछ लोग इतने स्वाभिमानी होते हैं कि यदि उनकी शान के खिलाफ कुछ कह भी दिया जाए तो उनमें सहनशक्ति जैसी कोई चीज भी नहीं होती। हालांकि हर व्यक्ति स्वयं को दूसरों से ज्यादा अक्लमंद मानता है और इसलिए भी अपनी बुराई नहीं सुन सकता। दोस्तों और रिश्तेदारों को सभी अपना समझते हैं और चाहते भी हैं कि वे उनके सुर में सुर मिलाकर बोलें। यदि जरा भी सुर बदला तो आप समझेंगे कि उसे तो आप से कोई लगाव ही नहीं। वह तो मतलबी है वगैरह-वगैरह और आपको उसकी बातें चुभने के अलावा और कुछ नहीं लगेंगी।

अक्सर किसी नए रिश्ते में या नई दोस्ती में देखा जाता है कि लोग काफी खुश रहते हैं लेकिन कुछ समय बाद उनमें भी कड़वाहट आने लगती है। होता क्या है कि शुरू में तो हर कोई अपने नए मित्र या रिश्तेदारों की बुराईयों को नजर अंदाज करके उस पर विश्वास करके उसे सिर्फ अच्छा मानकर चलता है लेकिन दो लोगों के ख्याल कहीं तो विपरीत होंगे ही। इसलिए जहां उनकी बातें, उनका व्यवहार एक-दूसरे से मेल नहीं खाता तो एक कह देता है और दूसरा उसे दिल पर ले लेता है।

गहराई से सोचा जाए तो इन्सान की जिंदगी में हर रोज ऐसी छोटी-छोटी बातें होती रहती हैं। यदि उन्हें नजर अंदाज करके नहीं चलेंगे तो न हम स्वयं पर भरोसा कर पाएंगे, न ही किसी अन्य पर और बगैर विश्वास के जिंदगी जीना बेमानी (अर्थहीन) है। इन छोटी-छोटी बातों को दिल से निकाल देने में ही समझदारी है।

यदि हम इन्हीं बातों में रोज फंसे रहेंगे तो हम अपने भविष्य और वर्तमान के बारे में कुछ भी नहीं सोच पाएंगे। सिर्फ जो गुजर गया, वही हमारे जहन में घूमता रहेगा और आगे बढ़ने के लिए यह कोई अच्छा संकेत नहीं। जितना बीती बातों के बारे में सोचा जाएगा, उतना ही हमारा मन किसी न किसी की बातों को सुनकर तड़पता रहेगा।

यदि हमें किसी की बातें चुभती हैं तो यह भी ध्यान रखें कि कहीं हमारी बातें तो किसी को परेशान नहीं करती। किसी को बुरी तो नहीं लगती, इस बात का विश्लेषण करना भी जरूरी है। शायद आपमें दूसरों को नीचा दिखाने की आदत हो, तभी लोग आपको भी मौका मिलते ही कुछ कह जाते हों।

कोई कुछ भी कहे, आप यह जरूर देख लें कि उसकी बातों से आप अपने में सुधार ला सकते हैं तो बहुत अच्छी बात है। दोबारा उसे ऐसा कहने का मौका ही नहीं मिलेगा। हर बात को नकारात्मक तरीके से न सोचें, उसके अच्छे पहलुओं पर भी गौर करें। शायद इसमें आपका ही कोई फायदा हो।
-शिखा चौधरी

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here
Captcha verification failed!
CAPTCHA user score failed. Please contact us!