Digital Budget आम बजट-2021 हेल्थकेयर, इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निवेश पर रहा जोर
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट के जरिए नये भारत का खाका देश के समक्ष रखा।
कोरोना महामारी की पृष्ठभूमि में बजट पेश करते हुए सीतारमण ने हेल्थकेयर, इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निवेश के जरिए रोजगार सृजन पर जोर दिया है। उन्होंने अपने भाषण की शुरूआत में कहा कि कोविड-19 संकट के बाद से अब तक सरकार कई मिनी बजट ला चुकी है।
कोरोना महामारी की वजह से इस बार का बजट पेपरलेस हो गया। वित्त मंत्री ने एक टैब के जरिए अपना तीसरा बजट पेश किया। 2021-22 के बजट में किसान आंदोलन को देखते हुए खेती के लिए बड़ी घोषणाओं की उम्मीद थी, लेकिन वैसा कुछ भी नहीं हुआ। बजट पर राजनीति का असर दिखता है।
इस साल असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल में चुनाव होने हैं, उनके लिए अलग घोषणाएं की गई हैं। हालांकि चुनावी राज्य पुद्दुचेरी के लिए बजट में कुछ भी नहीं है।
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Digital Budget आइए 2021 के बजट को 21 पॉइंट्स में समझते हैं
इनकम टैक्स स्लैब या टैक्स रेट में कोई बदलाव नहीं
बजट में न तो पुराने टैक्स ढांचे में कुछ बदला है, न नए में। बस 75 साल से ज्यादा के बुजुर्गों को कुछ राहत मिली है। अगर उनकी कमाई सिर्फ पेंशन और ब्याज से हो रही है, तो उन्हें इनकम टैक्स रिटर्न नहीं भरना होगा। हालांकि टैक्स कंप्लायंस आसान किया गया है। इनकम टैक्स रिटर्न में कैपिटल गेन, पोस्ट आॅफिस और बैंक से मिलने वाले ब्याज की जानकारी पहले से भरी होगी।
अभी सैलरी, टैक्स पेमेंट और टीडीएस की जानकारी पहले से भरी होती है। अभी तक 6 साल पुराने टैक्स मामले को री-असेसमेंट के लिए खोला जा सकता था। इसे 3 साल कर दिया गया है, लेकिन 50 लाख या उसके ज्यादा की कमाई छुपाने का मामला है तो 10 साल तक री-असेसमेंट किया जा सकेगा। छोटे टैक्सपेयर्स के लिए डिस्प्यूट रिजॉल्यूशन पैनल बनेगा।
आॅटो पार्ट्स पर ड्यूटी बढ़ी, गाड़ी खरीदना महंगा होगा
कुछ आॅटो पार्ट्स पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाकर 15% की गई है। इससे गाड़ियां महंगी हो सकती हैं। पेट्रोल पर 2.5 रुपए और डीजल पर 4 रुपए प्रति लीटर एग्री सेस लगा है। सोना-चांदी पर भी 2.5% एग्री सेस लगाया गया है, हालांकि इस पर इंपोर्ट ड्यूटी 12.5% से घटाकर 7.5% कर दी गई है। इंपोर्टेड सेब, काबुली चना, मटर और मसूर पर भी सेस लगा है।
हेल्थ बजट 137% बढ़ाया गया, हेल्थ इन्फ्रा के लिए अलग योजना
कोरोना को देखते हुए हेल्थकेयर के लिए 2.23 लाख करोड़ दिए गए हैं। यह पिछले साल से 137% ज्यादा है। हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधारने के लिए आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना लाई गई है। इस पर 6 साल में 64,180 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। गांवों में 17,000 और शहरों में 11,000 हेल्थ और वेलनेस सेंटर खोले जाएंगे। निमोनिया की नीमोकॉक्कल वैक्सीन पूरे देश में बच्चों को दी जाएगी। इससे 50 हजार बच्चों की हर साल जान बचाई जा सकेगी।
कोरोना वैक्सीन के लिए 35,000 करोड़
देशभर में कोरोना वैक्सीन के लिए 35 हजार करोड़ रुपए का फंड रखा गया है। ये रकम हेल्थ बजट में ही शामिल है। देश में 75 हजार नेशनल हेल्थ सेंटर बनेंगे। 602 जिलों में क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल शुरू किए जाएंगे।
होम लोन के ब्याज पर एक्स्ट्रा छूट और एक साल
किफायती घरों के लिए होम लोन के ब्याज पर 1.5 लाख रुपए की एक्स्ट्रा छूट और एक साल के लिए बढ़ा दी गई है। यह पहले से मिल रही 2 लाख रुपए की छूट के अलावा है। इसे 2019 में लागू किया गया था। पिछले साल भी इसे एक साल के लिए बढ़ाया गया था। डेवलपर्स को किफायती घरों के प्रॉफिट पर मिलने वाली टैक्स छूट भी एक साल के लिए बढ़ाई गई है।
सरकारी खर्च बढ़ने से मिलेगा रोजगार
नौकरी ढूंढने वाले युवाओं के लिए बजट में कोई अलग घोषणा नहीं है। 6 बार रोजगार और 3 बार नौकरियां का जिक्र किया, लेकिन कुछ बताया नहीं कि कितनी नौकरियां देंगे? एक जगह नौकरियों का आंकड़ा दिया है। कहा है कि रिसाइकलिंग कैपिसिटी को बढ़ाकर 2024 तक दोगुना किया जाएगा, जिससे 1.5 लाख नौकरियां पैदा होंगी।
हालांकि नए प्रोजेक्ट पर सरकारी खर्च 4.39 लाख करोड़ से 34.5% बढ़ाकर 5.54 लाख करोड़ रुपए किया गया है, इससे नए रोजगार निकलेंगे। कई हाईवे प्रोजेक्ट की भी घोषणा की गई है, यहां भी लोगों को काम मिलेगा। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म वर्कर्स और कंस्ट्रक्शन वर्कर्स के लिए नया पोर्टल बनेगा। इस पर उनसे जुड़ी जानकारियां उपलब्ध होंगी। इससे उन्हें सोशल सिक्युरिटी बेनिफिट देने में आसानी होगी।
15 हजार स्कूल आदर्श स्कूल बनेंगे
उच्च शिक्षा आयोग का गठन होगा। 15 हजार स्कूलों को आदर्श स्कूल बनाया जाएगा। 100 से ज्यादा सैनिक स्कूल खोले जाएंगे। लेह में सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनेगी। आदिवासी इलाकों में 750 एकलव्य स्कूल खुलेंगे। इसके लिए 38 करोड़ रुपए खर्च होंगे। शिक्षा का कुल बजट 85,089 करोड़ से बढ़ाकर 93,224 करोड़ रुपया किया गया है।
कृषि कर्ज का लक्ष्य 10% बढ़ा
2021-22 में खेती के लिए 16.5 लाख करोड़ का कर्ज दिया जाएगा। मौजूदा साल में यह 15 लाख करोड़ था। हालांकि किसान आंदोलन को देखते हुए ज्यादा की उम्मीद की जा रही थी। आॅपरेशन ग्रीन स्कीम में जल्द खराब होने वाली 22 फसलें शामिल की जाएंगी। कोच्चि, चेन्नई, विशाखापट्टनम, पारादीप और पेटुआघाट जैसे शहरों में 5 बड़े फिशिंग हार्बर बनेंगे। 1,000 और मंडियों में इलेक्ट्रॉनिक तरीके से कारोबार होगा।
पांच साल में 2.86 करोड़ घरों में नल से पानी मिलेगा
शहरी जल जीवन मिशन के लिए 2.87 लाख करोड़ रुपए रखे गए हैं। हालांकि ये अगले 5 साल में खर्च होंगे। इस मिशन का मकसद सभी 4,378 शहरी निकायों में घर-घर तक नल के जरिए पानी पहुंचाना है। इससे 2.86 करोड़ घरों में नल लगेगा। कचरा प्रबंधन के लिए भी 1.78 लाख करोड़ दिए गए हैं, जो 5 साल में खर्च होंगे। अगले 3 साल में 100 जिलों में पाइपलाइन से गैस की सप्लाई होगी। 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले 42 शहरों में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए 2,217 करोड़ रुपए दिए गए हैं।
2023 तक रेल लाइनों का 100% इलेक्ट्रिफिकेशन
1.10 लाख करोड़ रुपए रेलवे को दिए गए हैं। इसमें 1.07 लाख करोड़ रुपए नए प्रोजेक्ट के लिए हैं। जून 2022 तक ईस्टर्न और वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर तैयार हो जाएगा। दिसंबर 2023 तक सभी ब्रॉड गेज लाइनों का इलेक्ट्रिफिकेशन किया जाएगा।
रक्षा बजट सिर्फ 0.9% बढ़ाया गया
डिफेंस का बजट 1% भी नहीं बढ़ा है। इसे 3.43 लाख करोड़ से बढ़ाकर सिर्फ 3.47 लाख करोड़ किया गया है। इसमें हथियार खरीदने के लिए 1.35 लाख करोड़ हैं। पिछले साल हथियारों के लिए 1.13 लाख करोड़ दिए गए थे।
नई स्क्रैप पॉलिसी: 15 साल पुराने कमर्शियल वाहन हटेंगे
केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को बजट भाषण में स्क्रैप पॉलिसी का ऐलान किया। इसके तहत हर गाड़ी के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट जरूरी होगा। सरकार ने ऐलान किया है कि वॉलेंट्री स्क्रैप पॉलिसी जल्द लॉन्च होगी। नई स्क्रैपिंग पॉलिसी के प्रस्ताव में 20 साल पुराने निजी वाहन और 15 साल पुराने व्यवसायिक वाहन को स्क्रैप करने की बात कही गई है।
इस पॉलिसी को 1 अप्रैल, 2022 से लागू किया जाएगा। सरकार ने वायू प्रदूषण कंट्रोल करने के लिए यह कदम उठाया है। एयर क्लीन के लिए भी 5 साल में 2000 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। बजट में सरकार ने ऐलान किया कि आॅटोमेटेड फिटनेस सेंटर बनाए जाएंगे। पर्सनल व्हीकल को 20 साल बाद और कमर्शियल वाहनों को 15 साल बाद आॅटोमेटेड फिटनेस सेंटर ले जाना होगा। यहां इन्हें स्क्रैप किया जाएगा।
सरकार मानना है कि इससे रोजगार को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि स्क्रैप सेंटर खोले जाएंगे। सरकार ने 2030 तक देश को पूरी तरह से ई-मोबिलिटी पर शिफ्ट करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इसका मकसद देश के कच्चा तेल आयात बिल को कम करना है। बता दें कि केंद्र सरकार ने देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए 15 साल से अधिक पुराने वाहनों को कबाड़ में बदलने के लिए 26 जुलाई, 2019 को मोटर व्हीकल कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया था।
ये होगा महंगा
- मोबाइल फोन
- मोबाइल के चार्जर
- मोबाइल पार्ट्स पर छूट घटी
- रत्न, जूते, चमड़ा,
- तांबे का सामान, सूती कपड़े
- इलेक्ट्रॉनिक सामान
- कॉटन के कपड़े
- लेदर के जूते
- सोलर इन्वर्टर महंगा
- सेब, काबुली चना
- यूरिया, डीएपी खाद
- चना दाल महंगी
- पेट्रोल-डीजल
- शराब, आॅटो पार्ट्स
क्या होगा सस्ता
- नायलन के कपड़े
- स्टील के बर्तन
- पेंट
- ड्राई क्लीनिंग
- पॉलिस्टर के कपड़े
- सोलर लालटेन
- सोना-चांदी
- स्टील के बर्तन
- इंश्योरेंस
- बिजली
- जूता
- तांबे का सामान
- कृषि उपकरण
- लोहे के उत्पाद