Shah Satnam Ji Specialty Hospital Sarsa

यहां मिलता है उपचार भी जीवन का उपहार भी
कोरोना महामारी में मरीजों के लिए वरदान साबित हुआ शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल सरसा
कोरोना महामारी से उठे तूफान से दुनियाभर में दर्द की आहें सुनने को मिल रही हैं, वहीं इस भयावह त्रासदी में एक ऐसा वर्ग भी है, जिसने खुद की जान जोखिम में डालकर लोगों को नया जीवन दिया।

यहां बात हो रही है चिकित्सा क्षेत्र की, इस घड़ी में चिकित्सकों के साथ-साथ उनके पैरामैडिकल स्टाफ ने जो सेवाएं मरीजों को उपलब्ध करवाई, वह सराहनीय हैं। ऐसा ही एक अस्पताल है शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल सरसा, जो कोरोना संक्रमित लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है। दावा है कि यहां के अस्पताल में कोरोना संक्रमित मरीजों का रिकवरी रेट औसतन रेट से कहीं बेहतर रहा है। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि यहां मरीजों को सस्ता उपचार ही नहीं, अपितु बीमारी से लड़ने के लिए मोटीवेट भी किया जाता है।

खासकर कोरोना काल में मरीजों को परिजन अकेला छोड़ने को विवश थे, वहीं इस अस्पताल की पैरामैडिकल टीम ने ऐसे लोगोें को अपनों की कमी महसूस नहीं होने दी। उन्हें अस्पताल में परिवारिक सदस्यों का बखूबी अहसास करवाया, शायद यही एक बड़ी वजह रही कि पीड़ित लोग कोरोना को मात देने में कामयाब रहे।

अस्पताल प्रबंधन कमेटी सदस्य गौरव इन्सां बताते हैं कि कोरोना काल के पिछले डेढ़ वर्ष के दौरान 1400 के करीब कोरोना संक्रमित मरीज शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल में इलाज के लिए आए। यह बड़े गर्व का विषय है कि यहां के चिकित्सकों के अनुभव एवं स्टाफ की मेहनत के बलबूते अधिकतर मरीज बिलकुल स्वस्थ होकर घर को वापिस लौटे हैं। अगर यहां के रिकवरी रेट की बात करें तो इस अस्पताल का रिकवरी रेट 85 से 90 फीसदी के बीच रहा है। खास बात यह भी है कि यहां आने वाले अधिकतर मरीज बहुत ही क्रिटिक्ल पॉजिशन में यहां पहुंचते रहे हैं, क्योंकि सिरसा के अलावा पूरे हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश व राजस्थान प्रांत से भी लोग यहां इलाज करवाने के लिए आते रहे हैं जो बेहद ही गंभीर हालत में थे।

ऐसे स्थिति में कोरोना संक्रमण को रोकना पाना अपने आप में एक चुनौती थी, लेकिन पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपार रहमत एवं चिकित्सकों की लगन व अनथक मेहनत से अस्पताल हजारों लोगों का जीवन बचाने में सफल रहा। यहां मरीजों की सुविधा के लिए अस्पताल प्रबंधन की ओर से व्यापक स्तर पर इंतजामात किए गए हैं। यहां वैंटिलेटर की पर्याप्त सुविधा है। यहां आक्सीजन प्लांट लगाने की योजना भी चल रही है, जिसमें प्रतिदिन 100 सिलेंडर तैयार करने की क्षमता होगी। शाह सतनाम जी रिसर्च एवं डिवल्पमेंट फाउंडेशन की ओर से यह व्यवस्था बनाई जा रही है।
बता दें कि शाह सतनाम जी स्पेशलिटी हॉस्पिटल्ज अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से लैस है। विशेषकर यहां पर चेकअप से जुड़ी अत्याधुनिक मशीनें विदेशों से मंगवाई गई हैं, जो देशभर के चुनिंदा अस्पतालों में ही उपलब्ध हैं।

संगीत की धुनों से मिलती है पॉजिटिव थिंकिंग

कहते हैं कि संगीत की धुनें इन्सान के मनोभाव को उत्साहित करती हैं। जैसा संगीत हम सुनते हैं वैसी मनोतरंगे इन्सान में पैदा होने लगती हैं। शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल में इस बात का विशेष ख्याल रखा गया है कि यहां हर वार्ड, रूम या परिसर में म्यूजिक की मधुर धुनें हर समय सुनाई देती रहें। कोरोना वार्ड इंचार्ज डॉ. गौरव अग्रवाल बताते हैं कि मरीजों के उपचार में संगीत का अपना एक अहम रोल देखने को मिला है। कोरोना मरीजों में यह देखने को मिला कि वे खुद को नीरस एवं असहाय सा महसूस कर रहे थे। लेकिन यहां धार्मिक संगीत को सुनने के बाद उनमें एक नई ऊर्जा संचारित होने लगी, जो उपचार में कारगर साबित हुई।

अस्पताल की शान हैं ये चिकित्सक

अस्पताल की चिकित्सा सेवा क्षेत्र में अक्सर चर्चा की जाती रहती है। कोविड वार्ड में इंचार्ज डॉ. गौरव अग्रवाल बताते हैं कि यहां के चिकित्सक खुद को हमेशा सेवा के प्रति समर्पित रखते हैं। डॉ. पुनीत महेश्वरी, डॉ. मिनाक्षी चौहान, डॉ. संदीप भादू, डॉ. नेहा गुप्ता, डॉ. कृष्णा, डॉ. बिजोय परीदा, डॉ. श्रेया, डॉ. काजल, डॉ. अजय गोपालानी, डॉ. शशीकांत, डॉ. विक्रम, डॉ. मोनिका नैन व डॉ. ज्योती इस अस्पताल का गौरव हैं।

यहां के स्टाफ में दिखता है गजब का सेवाभाव

इस अस्पताल में चिकित्सक के साथ-साथ स्टाफ सदस्यों में ड्यटी से बढ़कर सेवाभाव की झलक ज्यादा दिखाई देती है। खास कर बुजुर्ग मरीजों की सार-संभाल के दौरान यहां का स्टाफ तन-मन से सेवा करता है। उनका कहना है कि पूज्य गुरु जी ने अस्पताल उद्घाटन के दौरान यही सीख दी थी कि दिल में हमेशा सेवा का भाव लेकर डयूटी करना है, ताकि कभी भी मरीजों को अकेलापन महसूस ना हो।

दिल के शानदार लुक में बना है यह अस्पताल

इस अस्पताल की शुरूआत पूज्य हजूर पिता संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा 28 मार्च 2014 को अपने पावन कर-कमलों द्वारा डेरा सच्चा सौदा की पावन मर्यादा अनुसार रिबन जोड़कर की गई। हालांकि अस्पताल का डिजाईन, इंटीरियर व एक्सटीरियर इत्यादि सब कुछ पूज्य गुरु जी ने 22 मई 2012 को स्वयं तैयार करवा दिया था।


दिल के शानदार डिजाइन में बने इस अस्पताल के परिसर में तीन ब्लॉक बनाए गए हैं, जो ‘एस’, ‘एम’, और ‘जी’ के आकार में बने हुए हैं। यानि तीनों ब्लॉक डेरा सच्चा सौदा की तीनों पातशाहियों के पावन नामों के प्रथम अक्षर (अंग्रेजी) के डिजाईन में बने हैं। 300 इंडोर व 100 अतिरिक्त बैडों वाले इस अस्पताल में जापान, जर्मन व नीदरलैंड की अत्याधुनिक विदेशी मशीनें लगाई गई हैं जो महानगरों के अस्पतालों में भी उपलब्ध नहीं हैं। यहां समय-समय पर विदेशों से भी चिकित्सक आकर अपनी सेवाएं देते रहते हैं। इस अस्पताल में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का इलाज नि:शुल्क किया जाता है।

कोरोना को अन्यथा में ना लें, सावधानी जरूरी

आरएमओ डॉ. गौरव अग्रवाल ने कोरोना संक्रमण से बचने के लिए कई महत्वपूर्ण टिप्स बताए। बातचीत के कुछ अंश:-
कोरोना से बचने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि मास्क का इस्तेमाल किया जाए, बार-बार हाथ धोते रहें, सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा जाए। पूज्य हजूर पिता संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने जो विधि बताई कि नीम व ग्लोय की भांप लेते रहें, हफ्ते में एक या दो बार काढ़ा पीएं। खास बात यह भी कि प्रोटीन ज्यादा लें, चाहे वह पनीर में हो या पिस्ता, दालें, सोयाबीन इत्यादि में हो। साथ में योग अवश्य करें, प्राणायाम और अलोम-विलोम आसन काफी मददगार साबित हो सकता है। जितने फेफडेÞ सही रहेंगे, उतना ही खतरा कम रहेगा। थोड़ी-थोड़ी जोगिंग भी फेफड़ों में सहायक बन सकती है।

मोटापा बढ़ना हो सकता है चिंता का विषय

जब लॉकडाउन की स्थिति आई है तो लोग घरों तक ही सीमित हो गए थे। जिसके चलते कई लोग मोटापे का शिकार हुए हैं। इसलिए जरूरी है कि वजन को संतुलित रखा जाए, मोटापा ना आने पाए। क्योंकि मोटापा बढ़ने से आपके शरीर का शुगर भी बढ़ सकता है, मधुमेह जैसी बीमारी भी हो सकती है। इसके लिए हैल्दी फूड खाएं, एक्सरसाइज करते रहें।

लक्षण को पहचानें, चिकित्सक से सलाह लें

अमूमन लोग देखते हैं कि पहले दिन हल्का बुखार आया। थोड़ा खांसी-जुकाम हुआ और एक-दो दिन में वह ठीक हो गया। लेकिन 7वें या 8वें दिन अचानक से तेज बुखार आता है तो उसका सीधा प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है। ऐसी स्थिति में तुरंत नजदीकी डॉक्टर से अवश्य मिलना चाहिए और आवश्यकतानुसार टेस्ट भी करवाने चाहिएं। मरीज को जब कोरोना की पुष्टि हो जाती है तो ऐसे में चिकित्सक अधिकतर उपचार में स्टेरॉइड का इस्तेमाल करने के साथ-साथ खून को पतला करने की दवाई देते हैं ताकि नाड़ियों में खून न जमने पाए। देखने में आया है कि कोरोना संक्रमित को हार्टअटैक की संभावना बन सकती है, क्योंकि जब फेफड़ों में खून की नाड़ियां बंद हो गई तो खून में आक्सीजन की मात्रा भी कम हो जाती है।

भारतीय बच्चों में एंटीबॉडीज स्ट्रांग

कोरोना की तीसरी लहर से पूर्व एक सर्वे किया गया है जिसमें बताया गया है कि भारत में 67 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडीज बन चुकी है, खासकर बच्चों में भी। लेकिन फिर भी तीसरी लहर बच्चों पर कितना असर करेगी, यह कहना जल्दबाजी होगी। इसलिए खुद का बचाव जरूरी है। कोरोना वैक्सीन का भविष्य में प्रभाव पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन यह अवश्य देखा गया है कि जिन लोगों ने कोरोना वैक्सीन लगवाई हुई है, उनमें यह बीमारी गंभीर प्रभाव नहीं दिखा पाई। इसलिए सभी को वैक्सीन अवश्य लगवानी चाहिए।

इन बातों का रखें विशेष ध्यान:

कोरोना के बीच लोगों द्वारा लगातार मास्क का इस्तेमाल करने से सांस की बीमारी होने की मिथ्या बातें चलती रही हैं। ऐसे कुछ नहीं होता, हां इतना अवश्य है कि कपड़े का मास्क लगाने से केवल 30 प्रतिशत लोगों को ही फायदा मिलता है। सर्जीकल मास्क, ट्रिंपल लेयर मास्क व एन-95 मास्क में भी 95 प्रतिशत ही बचाव होता है। केवल एन-99 मास्क से ही सौ फीसदी पूरा बचाव संभव है। इसलिए कपड़े का मास्क पहनने की बजाय अच्छे मास्क का इस्तेमाल करें ताकि कोरोना के वायरस से बचाव हो सके। शारीरिक अभ्यास के दौरान मास्क का प्रयोग न करें।

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