How to talk to children?

कैसे करें बच्चों से बातचीत?

बातचीत करना भावनाओं की अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम है। इसके जरिये अंतर्मन की इच्छाओं का पता चलता है। खासतौर पर जब बच्चे बातचीत करते हैं तो एक तरफ उनकी टूटी-फूटी भाषा उनकी मन: स्थिति का स्पष्ट चित्रण करती है, वहीं दूसरी ओर नये-नये शब्दों को वे सीखते हैं।

बच्चे राष्टÑ के भावी कर्णधार हैं, अत: उनकी समस्याओं पर गौर करके उनका समाधान करना आवश्यक हो जाता है। इससे उनका संतुलित रूप से सामाजिक विकास होता है। बच्चे कम बोलते हैं या प्रतिक्रि याएं नहीं के बराबर करते हैं। वैसे बच्चे की मनोदशा को समझकर अनुकूल व्यवहार उसे देना चाहिए।

जब आपका बच्चा किसी बडेÞ से भी बात करने की कोशिश कर रहा हो, तो आप उसका उत्साहवर्द्धन अवश्य करें। अगर वह कुछ अनसुलझे पहलुओं से वाकिफ होना चाहता है तो हाय तौबा न मचाकर उसकी बातों पर गौर करें और बाद में उसे समझाएं। इससे आप पर उसका विश्वास जगेगा और असुरक्षा की भावना उसके दिल में नहीं पनपेगी। वह निस्संकोच अपनी बात आपको बता सकेगा।


आपका बच्चा अगर कभी बुरी सोहबत में फंस जाए तो उसे ताने न देकर, अपनी तरह से समझाकर उसे सही राह दिखानी चाहिए। बच्चे जन्म से ही खोजी प्रवृत्ति के होते हैं। वे बहुत कुछ अनुकरण से ही सीखते हैं। उन्हें एक ऐसा स्वच्छ माहौल व वातावरण मिलना चाहिए तो उनके शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास में अहम् भूमिका निभाए।

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एक चार वर्षीय बालक की भी आपकी तरह ही अपनी राय हो सकती है। आपका आदेश, खाने पहनने के मामले में चुप्पी हां या नहीं में बदल सकती है। उससे प्रश्न पूछकर उसकी मनपसंद पोशाक, खाने की रूचि आप जान सकती हैं। अगर बच्चे से कोई गलती हो गई हो तो उसे प्यार से समझाकर उसके हानि-लाभ से उसे परिचित कराया जा सकता है। बच्चे के मन में विश्वास जगाया जा सकता है।

बच्चों को बातचीत करने का पर्याप्त समय देना चहिए। व्यस्त होने पर उन्हें इंतजार करने के लिए कहें। इससे बच्चे में धैर्य की प्रवृत्ति बढ़ेगी। कभी-कभी बच्चे अपनी प्रिय चीज फेंक कर अपना गुस्सा प्रकट करते हैं। वैसी स्थिति में आप उन्हें समझायें कि वे बोलकर भी अपनी समस्या का समाधान करवा सकते थे। इस तरह उनका प्यारा सामान भी मिल जाता और उन्हें गुस्सा करने की भी कोई जरूरत नहीं होती।

बच्चे संवेदनशील होते हैं। अगर उनकी संवेदना को समझकर सही दिशा निर्देश दिया जाए तो वे एक आदर्श नागरिक बन सकते हैं। सही परिवेश के अनुसार ही आप अपनी भावनाएं बच्चों के सम्मुख व्यक्त करें। बच्चे भविष्य होते हैं, इसलिए उनका संतुलित विकास घर, समाज और राष्टÑ के गरिमापूर्ण विकास की दिशा निश्चित करता है।
-आरती रानी

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