lazy dragon SACHI SHIKSHA HINDI

आलसी अजगर
छोटू अजगर बहुत आलसी था। उसका काम था खाना और दिन भर चादर तान कर सोना।
उसकी मां किसी काम के लिए उसे उठाती, तब भी वह नहीं उठता। जब उसकी मरजी होती, तब सो कर उठता।
खाने और दिनभर सोने के कारण वह मोटा भी होता जा रहा था।

छोटू का मोटापा देखकर उस की मां बहुत चिंतित रहती थी।
‘बेटा, आलस के कारण तुम बहुत मोटे होते जा रहे हो,’ मां को जब भी मौका मिलता, वह छोटू को समझाती, ‘मोटा होना अच्छा नहीं होता। तुम रोज सुबह उठ जाओ और व्यायाम करो।’
छोटू मां की बात इस कान से सुनकर उस कान से निकाल देता था।

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एक दिन मां ने छोटू को नींद से जबरदस्ती जगाया और कहा, ‘तुम्हें अब नहीं सोना है। चलो, उठो, सैर करने जाओ।’
छोटू कुनमुनाता हुआ उठा और अंगड़ाई लेता हुआ सैर करने चल दिया।
अभी वह कुछ ही दूर गया होगा कि आलस ने उसे घेर लिया।
एक कार सड़क के किनारे खड़ी थी।

छोटू कार में घुस गया और पिछली सीट पर जा कर लेट गया।
तभी कार का ड्राइवर कार स्टार्ट करके चल दिया। छोटू को कुछ भी पता नहीं चला। वह आराम से खर्राटे ले रहा था।
अचानक कार का टायर पंचर हो गया।
ड्राइवर कार से नीचे उतर कर डिक्की से दूसरा पहिया निकालने लगा। तब उसकी नजर पिछली सीट पर लेटे छोटू अजगर पर पड़ी।
अरे बाप रे…….सांप…….कार में सांप है।‘ कहकर वह लोगों को बुलाने लगा।

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कुछ लोग जमा हो गए।
’अरे, यह तो बड़ा भारी अजगर है,’ एक आदमी ने डरते हुए कहा, ’यह तो आदमी को निगल जाता है।’
’भैया, इस अजगर को मेरी कार से बाहर निकालने का कोई उपाय करो,’ ड्राइवर लोगों से विनती करता हुआ बोला।
किंतु कोई भी आदमी अजगर को पकड़ने का साहस नहीं कर पा रहा था।

तभी उधर से एक सपेरा गुजर रहा था। उसे देखकर ड्राइवर ने रोकते हुए अजगर के बारे में बताया और उसे कार से बाहर निकालने के लिए कहा। ’अरे, यह तो बहुत मोटा अजगर है,’ सपेरे ने कार के भीतर झांकते हुए कहा,’लेकिन चिंता की बात नहीं है। मैं इस अजगर को बस में कर लूंगा।
यह कहकर उसने छोटू अजगर को पूंछ की तरफ से पकड़ कर कार से बाहर खींच लिया।

इससे छोटू की नींद टूटी। वह कुछ समझ पाता, तब तक सपेरे ने उसे कसकर पकड़ लिया और अपने कब्जे में कर लिया।
छोटू ने अपने आप को छुड़ाने का खूब प्रयास किया मगर कामयाब नहीं हो सका। ’मैं इसे अपने पास रखंूगां,’ सपेरे ने खुश हो कर कहा,’इसे लोगों को दिखाकर पैसे कमाऊंगा।’
यह सुनकर छोटू की आंखों में आंसू आ गए। मैं किस मुसीबत में फंस गया। अब मैं अपने घर कैसे जाऊंगा? यह सपेरा मुझे जाने कहां ले जाएगा।’
सपेरा छोटू को एक बडेÞ से थैले में डालकर चल दिया।

छोटू अजगर अपनी मां को याद करके रोने लगा पर अब रोने से क्या हो सकता था?
सपेरा छोटू को गली-गली घुमाता और लोगों को दिखाकर पैसे कमाता। वह छोटू के खाने-पीने का इंतजाम भी नहीं रखता था।
भूख और प्यास के मारे छोटू की हालत पतली होती जा रही थी। अपनी हालत पर वह रोता रहता था।
तभी एक दिन छोटू की किस्मत का सितारा चमका।

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एक वन्यजीव संरक्षक की नजर अजगर पर पड़ गई। उसने पुलिस से शिकायत करके सपेरे के कब्जे से अजगर को छुड़ा लिया।
छोटू अजगर को वन में छोड़ दिया गया। छोटू ने राहत की सांस ली। वह किसी तरह अपने घर पहुंचा।

उसे देखते ही मां उससे लिपट गई और रोती हुई बोली,’कहां चला गया था, मेरे बच्चे? मैं तुझे ढूंढ-ढूंढ कर कितना परेशान थी।’
’मां, मुझे माफ कर दो,’छोटू अपनी गलती के लिए माफी मांगता हुआ बोला,’अब मैं कभी आलस नहीं करूंगा। तुम्हारी हर बात मानूंगा। मैं समझ गया कि आलसी होना कितना खतरनाक है।
उस दिन के बाद छोटू ने आलस करना छोड़ दिया।
– हेमंत कुमार यादव

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