योग को बनाएं जीवन का अहम अंग अंतर्राष्टÑीय योग दिवस (21 जून) Make yoga an important part of life
अक्सर बच्चे खेलकूद एवं अन्य गतिविधियों में अधिक व्यस्त रहते हैं, जोकि उनके स्वस्थ रहने के लिए महत्वपूर्ण भी हैं। बच्चों की शारीरिक विकास की बात हो या मानसिक क्षमता को विकसित करने का उद्देश दोनों आवस्थाओं में बच्चों के लिए योग बेहद महत्वपूर्ण होता है।
जो माता-पिता अपने बच्चों का क्रमिक विकास चाहते हैं उन्हें योग को अपने बच्चों के लिए अनिवार्य कर देना चाहिए। बच्चे अपने शरीर में नियमित अभ्यास से अपने शरीर में लोच लचक पैदा कर उच्च अभ्यास को भी आसानी से कर सकते हैं। बच्चों के लिए योग की बात हो रही हो या व्यस्कों के लिए,
सच्चाई तो यह है कि प्रतिदिन योगाभ्यास करने से शरीर के सभी अंग सुचारू रूप से कार्य करने लगते हैं। स्मरण शक्ति बढ़ाने, लंबाई बढ़ाने, दृष्टि दोष दूर करने जैसी शारीरिक एवं मानसिक आवश्यकताओं को पूरा करने का सबसे अच्छा माध्यम सम्पूर्ण योग की शिक्षा ही है।
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बच्चों के लिए योग:
बच्चों के लिए योग की बात करें तो सबसे पहले बच्चों को यौगिक सूक्ष्म व्यायाम, यौगिक स्थूल व्यायाम, पवनमुक्तासन समूह की क्रियाओं को एवं ऊर्जा प्रदायक विशेष आसन व क्रियाओं को लगभग 2 से 6 महीने तक सीखना चाहिए। ऐसा करने से शरीर में स्फूर्ति, एक नई ताजगी व सुदृढ़ता आएगी एवं बच्चों की योग में रुचि भी बढ़ेगी।
इसके अलावा क्रमश: हलके फुल्के योग, अनुलोम-विलोम प्राणायाम, उज्जायी, भ्रामरी, उद्गीथ प्राणायाम एवं योग निद्रा के अभ्यास से बच्चे अपने अंदर एक नया आत्म-विश्वास पैदा कर सकते हैं, जो बच्चों के भविष्य के लिए एक उपलब्धि से कम नहीं होगा। बच्चों के लिए योग के लिए चाहिए कि स्वयं बच्चे या उनके माता पिता अपनी अनुकूलतानुसार अपने लिए योग अभ्यास हेतु सारिणी तैयार करवा लें एवं नियमित अभ्यास करके इस कला को आत्मसात् करने की कोशिश करें।
महिलाओं के लिए योग
महिलाओं के लिए योग की बात करें तो हम पाएंगे कि महिलाएँ अपने स्वास्थ्य के लिए सबसे ज्यादा चिंतित रहती हैं। अधिकतर महिलाएँ मानती हैं कि उन्हें कोई न कोई बीमारी लगी रहती है। बहुत ही कम महिलाएँ अपने आप को पूर्णत: स्वस्थ मानती हैं। आज महिलाओं का जीवन पहले की अपेक्षा काफी बदल गया हैं।
क्योंकि पहले की स्त्रियाँ सुबह से शाम तक घरों के काम में लगी रहती थीं। इस कारण अनजाने में ही योग की क्रियाएँ हो जाया करती थीं। जैसे सूर्योदय से पहले उठना, झाडू लगाना, साफ सफाई करना, पानी भरना, अनाजों को साफ करना, भोजन तैयार करना, चक्की चलाना, दही बिलोना, मक्खन निकाल कर घी बनाना इत्यादि। उन्हें ऐसे कई कामों में व्यस्त रहना होता था एवं इसी कारण दिनभर की थकान की वजह से रात्रि को नींद भी अच्छी आया करती थी,
परन्तु आज का वातावरण, परिवेश व परिस्थियाँ बदल गई हैं।आज की महिलाएँ नौकरी एवं व्यवसाय को सँभालने लगी हैं। अत: घरों में उनके काम करने की जिम्मेदारी नौकर-चाकरों और विद्युत मशीनों ने ले ली है। साथ ही और भी कई कारण आज प्रकट हो गये हैं। इसीलिए आजकल महिलाओं को कई बीमारीयाँ बहुत जल्दी घेर लेती हैं जैसे मोटापा, कमरदर्द, प्रदर, हिस्टीरिया, मानसिक तनाव इत्यादि।
इसलिए इन सब समस्याओं से निजात पाने के लिए बच्चों के लिए योग के समान ही महिलाओं के लिए भी योग बेहद जरुरी हो जाता है। योगाभ्यास ही एक ऐसा माध्यम है, जो महिलाओं को सम्पूर्ण स्वास्थ्य के साथ सुन्दरता प्रदान कर सकता है। अत: नियमित रूप से प्रतिदिन 1 घंटा योगासन व प्राणायाम के लिए निकालना अतिआवश्यक हो गया है।
आॅफिस में काम करने वालों के लिए योग:
आॅफिस में काम करने वाले व्यक्ति स्वयं थोड़ा सा परिवर्तन ला कर स्वस्थ रह सकते हैं। इसके लिए उन्हें निम्न टिप्स अपनाने की आवश्यकता हो सकती है। कार्यालय में पहुंचते ही मानसिक रूप से तरोताजा महसूस करें और मुस्कराते हुए कुर्सी पर बैठे, मेरुदण्ड सीधा रखे एवं आँखें बंद कर ओम का या अपने इष्ट का उच्चारण करें।
पाँच बार लम्बी गहरी श्वास लें व छोड़ें। इसके बाद आत्मविश्वास के साथ कार्य करने हेतु तैयार हो जाएँ। चूँकि टेबल-कुर्सी में काम करते रहने से मेरुदण्ड, गर्दन, आंखों और मस्तिष्क पर अधिक जोर पड़ता है। अत: कुर्सी पर बैठने के तरीके में परिवर्तन लाएँ। मेरुदण्ड सीधा रखें। गर्दन झुकाकर काम करने से गर्दन में विकार उत्पन्न हो जाते हैं, इसलिए कुर्सी पर बैठे-बैठे ही ग्रीवा शक्ति विकासक क्रिया को 2 से 5 मिनट करें।
आंखों के लिए दृष्टि वर्धक क्रियाओं को अवश्य करें एवं मानसिक विकास के लिए योगनिद्रा, ध्यानयोग व प्राणायामों को नियमित रूप से प्रात:काल में करें। सुबह 1 घंटे का समय निकालें। सबसे पहले सरल अभ्यास से शुरू करें। और बाद में निम्न योगासन किये जा सकते हैं।
‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ को मनाये जाने की पहल भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने 27 सितम्बर, 2014 को ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ में अपने भाषण में रखकर की थी, जिसके बाद ‘21 जून’ को ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ घोषित किया गया। 11 दिसम्बर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र में 193 सदस्य देशों द्वारा 21 जून को ही ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली। प्रधानमंत्री मोदी जी के इस प्रस्ताव को 90 दिन के अंदर ही पूर्ण बहुमत से पारित किया गया, जो संयुक्त राष्ट्र संघ में किसी दिवस को प्रस्ताव के लिए सबसे कम समय है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रस्ताव का 177 देशों ने समर्थन किया था।
डेरा सच्चा सौदा का उल्लेखनीय योगदान व अवार्ड
कोई भी अच्छा-नेक कार्य हो उसमें डेरा सच्चा सौदा हमेशा अग्रणी रहता है। योग के क्षेत्र में भी डेरा सच्चा सौदा ने कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पाक-पवित्र प्रेरणानुसार यहां के शाह सतनाम जी शिक्षण संस्थानों में उनकी स्थापना (1994 व 1996) से ही योगा क्लासेस शुरू कर दी गई थी।
पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की कोचिंग (बताए गए टिप्स) की बदौलत वर्ष 2001 में शाह सतनाम जी शिक्षण संस्थानों के बच्चों द्वारा पहली बार योगा इंटरनेशनल लेवल पर खेली गई और शाह सतनाम जी शिक्षण संस्थान अब तक योगा के 11 इंटरनेशनल खिलाड़ी पूरे देश को दे चुका है। इन 11 खिलाड़ियों ने 5 बार एशियन योगा चैम्पियनशिप, 8 बार वर्ल्ड योगा चैम्पियनशिप यानि कुल 13 बार इंटरनेशनल लेवल पर भारत का रिप्रजेंटेसन किया है।
इनमें एशियन चैम्पियनशिप में 46 और वर्ल्ड चैम्पियनशिप में 61 मैडल हासिल किए हैं, यानि कुल मिलाकर शाह सतनाम जी शिक्षण संस्थानों ने केवल योगा में भारत को अब तक 107 मैडल दिलवालाएं हैं और वो भी अपने सिर्फ सरसा के शिक्षण संस्थानों द्वारा। यह सब पूज्य गुरु जी की प्रेरणाओं तथा उनकी कोचिंग व उनके पावन आशीर्वाद का कमाल है।
इसके साथ ही वर्ष 2016 में 29 अप्रैल को शाह सतनाम जी धाम, सरसा में आयोजित पावन भण्डारे के सुअवसर पर इस उपलब्धि के लिए ‘योगा फैडरेशन आॅफ इंडिया’, ‘एशिया योगा फैडरेशन’, ‘इंटरनेशनल योगा फैडरेशन’ और ‘इंटरनेशनल योगा स्पोर्ट्स फैडरेशन’ की तरफ से पूज्य गुरु जी को ‘अवार्ड आॅफ आॅनर’ देकर भी सम्मानित किया गया है।
कौन सी बीमारी के लिए कौन-सा योगासन
- दमा (अस्थमा), श्वास संबंधी बीमारियों में योगासन:
शीर्षासन समूह, सवार्गासन, भुजंगासन, शलभासन, धनुरासन, वीरासन, उष्ट्रासन, पयंर्कासन, पश्चिमोत्तानासन, सुप्त वीरासन, नाडी-शोधन प्राणायाम, सूर्यभेदन प्राणायाम, उड़ियान बंध, योग निद्रा। - हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप)
हाई ब्लड प्रेशर या उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों में योगासन की बात करें तो इनमें पद्मासन, पश्चिमोत्तानासन, सिद्धासन, पवनमुक्तासन, नाड़ी-शोधन प्राणायाम (कुंभक को छोड़कर), सीतकारी, सीतली, चन्द्रभेदन प्राणायाम, उज्जायी, योग निद्रा इत्यादि किये जा सकते हैं । इसके अलावा शांत भाव से बैठकर ईश्वर का ध्यान करें, एवं हमेशा बगैर तेल-मसाले के शाकाहारी भोजन ग्रहण करें। - लो ब्लड प्रेशर (निम्न रक्तचाप)
निम्न रक्तचाप जैसी बीमारी से ग्रसित व्यक्ति शशांकासन, नाडी-शोधन प्राणायाम, भस्त्रिका, कपाल-भाति, सूर्य भेदन प्राणायाम, सालंब शीर्षाशन, सवार्गासन, हलासन, कर्ण पीड़ासन, वीरासन सूर्य नमस्कार एवं शवासन जैसे योगासन किये जा सकते हैं । - डायबिटीज मधुमेह के लिए योगासन:
डायबिटीज जैसी बीमारी में शीर्षासन एवं उसके समूह, सूर्य नमस्कार, सवार्गासन, महामुद्रा, मंडूकासन मत्यस्येन्द्रासन, शवासन, नाडी-शोधन प्राणायाम इत्यादि किये जा सकते हैं। - सिरदर्द जैसी बीमारियों में योगासन:
सिरदर्द में माजार्री आसन, नाड़ी-शोधन प्राणायाम/अनुलोमविलोम प्राणायाम, योग निद्रा, पद्मासन, शीर्षासन, हलासन, सर्वांगसन, पवनमुक्तासन, पश्चिमोत्तासन, वज्रासन इत्यादि किये जा सकते हैं। - मिर्गी के लिए योगासन:
मिर्गी की बीमारी में हलासन, महामुद्रा, पश्चिमोत्तानासन, शशांकासन, भुजंगासन और बिना कुंभक के नाडी-शोधन प्राणायाम, अंतकुंभक के साथ उज्जायी प्राणायाम, शीतली प्राणायाम, योग निद्रा इत्यादि किये जा सकते हैं इनके अलावा बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को शाकाहारी भोजन एवं ध्यान करना चाहिए।