हिमाचल प्रदेश के खजियार को मिनी स्विट्जरलैंड माना जाता है। यह दुनिया की उन 160 जगहों में शामिल है जिन्हें मिनी स्विट्जरलैंड कहा गया है। यह हिमाचल की चम्बा घाटी में स्थित एक मनमोहक पहाड़ी स्थान है।
घने चीड़ और देवदार के वृक्षों से घिरी तथा घास के मैदानों से सजी इस जगह आने वाले पर्यटकों को किसी सुंदर जगह पहुंचने का अहसास होता है।
अप्रैल से जुलाई की गर्मियों से राहत पाने के लिए यह जगह बिलकुल उपयुक्त है। यहां के मौसम में मस्ती है और नजारों में अलग तरह का सौंदर्य हैं। इसी को निहारने और आनंद लेने के लिए निकट और दूर के पर्यटक यहां पहुंचते हैं।
यहां का मौसम, चीड़-देवदार के ऊंचे-ऊंचे, हरे-भरे पेड़, नर्म-मुलायम हरियाली और पहाड़ मन को शांति और सुकून देने वाली वादियां मिलकर इस जगह को अद्भुत खूबसूरत बना देते हैं।
चम्बा से या डलहौजी से खजियार तक की यात्रा अगर बस के द्वारा की जाए तो रास्ते भर प्रकृति के अनूठे दृश्य मन को मुग्ध करते हैं। खजियार में प्रकृति ने खुलकर सुंदरता बांटी है।
यहां एक तश्तरीनुमा झील है जो डेढ़ किलोमीटर लंबी है। इसे खजियार लेक कहा जाता है। यह भी पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है। इस मनोरम हिल स्टेशन पर खज्जी नाग मंदिर है।
यहां नागदेव की पूजा होती है। खज्जी नाग मंदिर 12वीं शताब्दी में बनाया गया था। इस पर लकड़ी का जिस तरह का काम है, वह हिन्दू-मुगल स्थापत्य शैली में रचा गया है। खजियार झील के किनारे स्थित इस मंदिर में शिव और हिडिम्बा देवी की मूर्तियां हैं और पांडव व कौरव की तस्वीरें चित्रित हैं।
इस जगह के मौसम की खासियत और धार्मिक महत्त्व को देखते हुए ही चम्बा के तत्कालीन राजाओं ने एक समय में इसे अपनी राजधानी भी बनाया था और हिमाचल के इतिहास में भी यह है। यह पर्यटन स्थल भले ही छोटा हो लेकिन यहां क आबोहवा पर्यटकों को यहां खींच लाती है।
यहां पहुंचने में भी ज्यादा दिक्कतें नहीं होने के कारण लोग यहां आना पसंद करते हैं। खजियार के कुछ गांव भी बहुत शांत और सुंदर हैं। इन गांवों में पहुंचना और वहां का जीवन देखना पर्यटकों को सुखद आश्चर्य से भरता है।
जीवन के दुख भी तब कुछ कम होते हैं। यहां के लोक निर्माण विभाग के विश्रामगृह के पास स्थित देवदार के छह समान ऊंचाई वाले पेड़ों को पांच पांडवों और द्रौपदी का प्रतीक माना जाता है। ( Mini Switzerland )
पांच पांडवों की यह पौराणिक कथा बहुत ही रोचक और दिलचस्प है। यहां से एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित कालटोप वन्य जीव अभ्यारण में 13 समान ऊंचाई की शाखाओं वाले एक बड़े देवदार वृक्ष को मदर ट्री कहा जाता है। स्विस राजदूत ने इस जगह की खूबसूरती से आकर्षित होकर 7 जुलाई 1992 को खजियार को हिमाचल प्रदेश का मिनी स्विट्जरलैंड कहा था।
कालाटोप अभ्यारण्य:
यहां से कालाटोप वन्यजीव अभ्यारण निकट ही है। 30 वर्ग किलोमीटर में फैला यह अभ्यारण कई जीवों और पौधों का घर है। डलहौजी और खजियार झील के बीच स्थित यह अभ्यारण घूमने के लिहाज से बेहतरीन जगह है।
यहां तेंदुआ, भालू, हिरण, लंगूर, लोमड़ी, हिमालयी ब्लैक मार्टिन सहित कई सुंदर पक्षियों को निहारने का अवसर मिलता है। हिमालय की तलहटी में बसा यह अभ्यारण खूबसूरत है। यहां कुछ छोटी जलधाराएं भी हैं जो रावी नदी की सहायक हैं। इन जलधाराओं से भी इस अभ्यारण्य की खूबसूरती बढ़ जाती है।
हिमालय का अद्भुत नजारा:
खजियार के निकट कई ऐसे गांव हैं जहां से हिमालय की अद्भुत सुंदरता के दर्शन होते हैं। धौलधार और पीर पंजाल पर्वत शृंखलाओं को निहारना अपने आप में सुखद होता है। खजियार की भूमि पर खड़े होकर कैलाश पर्वत के दर्शन भी किए जा सकते हैं। जिन गांवों से हिमालय और कैलाश पर्वत के दर्शन होते हैं वहां से देखने पर जब दूर चोटी पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं तो बर्फ सोने की तरह चमक उठती है और यह सुनहरा नजारा होता है। इन गांवों में सुबह को देखने का विशेष आकर्षण होता है। गांवों में की जाने वाली आवभगत भी आपका मन मोह लेती है। इन गांवों में रुकने की व्यवस्था भी है।
खजियार ट्रैक का आनंद:
खजियार ट्रैक करीब एक 14 किलोमीटर लंबा ट्रैक है। यह देवदार और चीड़ के वृक्षों के पास से गुजरता है। इस ट्रैक से गुजरने वाले आसपास के अनूठे दृश्यों को निहारने का लाभ पाते हैं। यह ट्रैक थोड़ा चुनौतीपूर्ण भी है लेकिन जो यह साहस करते हैं उन्हें उसका सुख भी प्राप्त होता है। हरियाले रास्तों से गुजरना और प्रकृति के वैभव को अपनी आंखों में समेटना आपके हृदय को भी आनंद पहुंचाता है हालांकि जो लोग ज्यादा चल नहीं सकते हैं वे इससे बचें।
एडवेंचर गतिविधियों का केंद्र:
पर्यटक खजियार में हॉर्स-राइडिंग, पैराग्लाइडिंग, जोरबिंग जैसी गतिविधियों में भी हिस्सा ले सकते हैं। लंबे घास के मैदानों में इन गतिविधियों के लिए पर्याप्त जगह रहती है।
ज्यादातर लोग यहां हॉर्स राइडिंग करना पसंद करते हैं। खजियार लेक के समीप ही मैदान में आकर्षक एडवेंचर गतिविधियों का हिस्सा होना अपने आप में बहुत आनंदायी होता है।
धर्म से जुड़ने का मौका भी:
यहां 85 फीट ऊंची शिव प्रतिमा दर्शनीय है। कहा जाता है कि यह हिमाचल में सबसे ऊंची शिव प्रतिमा है। इस पर ताम्र पॉलिश की गई है। इसके अलावा यहां गोल्डन देवी मंदिर भी बहुत सुंदर है। यह खजियार झील के निकट ही स्थित है और लोकप्रिय पर्यटक स्थल है। यहां धर्म के नाम पर आडंबर या दिखावा नहीं मिलता। मंदिर की बनावट आपके मन में आस्था जगाने का काम करती है। मंदिरों में जाना ही एक अलग तरह का आत्मीय अनुभव होता है।
यादें साथ लाएं:
अगर आप डलहौजी और खजियार की यात्रा पर जाते हैं तो तिब्बती हैंडीक्र ाफ्ट्स आपका दिल लुभाते ही हैं। आप घरों के लिए सजावटी सामान लेने को उत्सुक हो जाते हैं और तरह-तरह की टोलियां, ज्वैलरी, कपड़े, पेंटिंग और शिल्प लेकर लौटते हैं। खजियार टूरिज्म ने भी इस तरह की व्यवस्था की है कि आप स्थानीय शिल्पियों की चीजों को खरीद सकें। इसके अलावा पर्यटक सड़क के किनारे मिलने वाली दुकानों से भी पसंद की चीजें खरीद सकते हैं। अपने मित्रों और परिजनों को ये उपहार भेंट करने के लिए बेहतर होते हैं। उनमें इस जगह की याद होती है।
कैसे पहुंचें: वायु मार्ग से:
खजियार से निकटतम हवाई अड्डा पठानकोट है जो 99 किलोमीटर दूरी पर है। अन्य निकट के हवाईअड्डों में कांगड़ा 130 किलोमीटर दूर, अमृतसर 220 किलोमीटर दूर है।
रेल मार्ग से:
निकटतम रेलवे स्टेशन पठानकोट है जो 94 किलोमीटर दूर है। नई दिल्ली से पठानकोट के लिए नियमित ट्रेनें उपलब्ध हैं।
सड़क मार्ग से:
हिमाचल पथ परिवहन निगम की बस सेवाएं पूरे प्रदेश में मुख्य शहरों से खज्जियार पहुंचती हैं। शिमला, सोलन, कांगड़ा, धर्मशाला और पठानकोट से भी बसें मिल जाती हैं।
दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ आदि राज्यों से भी खज्जियार पहुंचने के लिए बसें हैं। – नरेंद्र देवांगन
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