बढ़ रही हैं किडनी की बीमारियों से करें बचाव -डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर एवं पथरी तीन ऐसी बीमारियां हैं जिसके कारण किडनी की बीमारियाँ तेजी से बढ़ती जा रही हैं। जो 50 वर्ष की आयु के आसपास, शुगर एवं बी.पी. के मरीज। जो धूम्रपान करने के आदी हैं, दर्द निवारक दवा अधिक लेते हैं, उन्हें किडनी की जांच अवश्य करवा लेनी चाहिए। शुगर एवं हृदय रोग के बढ़ते खतरों के बीच देश तेजी के साथ दीर्घकालिक किडनी रोग (क्रानिक किडनी डिजीज सीकेडी) के शिकार होते जा रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे महामारी की आहट मानते हैं।
दीर्घकालिक किडनी बीमारियों से पीड़ितों में से 40 से 45 प्रतिशत डायबिटिज, 20 से 25 प्रतिशत बी. पी., हृदय रोग एवं शेष पथरी एवं अन्य कारणों से इसके शिकार हैं जबकि यहाँ गुर्दा रोग से पीड़ित रोगियों में से मात्र एक प्रतिशत ही उपचार का बोझ उठा पाने में सक्षम हैं। वहीं देश में 16 लाख लोगों के अनुपात में मात्र एक गुर्दा रोग विशेषज्ञ चिकित्सक उपलब्ध है। इस कारण भी यहाँ बहुत कम लोगों का किडनी प्रत्यारोपण हो पाता है।
विश्व में 60 करोड़ लोग गुर्दे की बीमारियों से पीड़ित हैं। इनमें से 4 करोड़ लोग भारत में हैं जो गुर्दे की बीमारियों, मधुमेह एवं उच्च रक्तचाप से ग्रस्त हैं। 30 प्रतिशत मधुमेह रोगियों को गुर्दे के काम नहीं करने जैसी गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। यहाँ के मधुमेह रोगी प्रति वर्ष लगभग बारह हजार करोड़ रुपए डायलिसिस पर व्यय कर रहे हैं। किडनी की अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक दोनों ही बीमारियाँ जानलेवा बन जाती हैं।
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किडनी की बीमारियों के कारण:-
- बी. पी. एवं हृदय रोग का बेकाबू होना।
- शुगर का लगातार बढ़ा रहना।
- किडनी में पथरी।
- धूम्रपान एवं नशापान करने की आदत।
- दर्द-निवारक दवाओं का अधिक सेवन।
- विष बाधा, विषैले पदार्थ एवं रसायनों का सेवन।
- शरीर में पानी का कम होना, पानी कम पीना।
- किसी बीमारी का दीर्घकालिक हो जाना।
किडनी की बीमारियों के संकेत:-
- खून की कमी, अनीमिया, खून का पतला होना।
- थकावट, कमजोरी, सांस फूलना एवं बेहोश हो जाना।
- खाने में अरूचि, भूख कम लगना, वजन गिरना।
- मिचली, उल्टी, उबकाई आना।
- पेशाब का कम ज्यादा होना और इसमें तकलीफ होना।
- चेहरा, हाथ, पैर एवं शरीर में सूजन।
- हड्डियों में दर्द होना।
- पेशाब करते समय पीड़ा होना, प्रोटीन एवं खून जाना।
किडनी के रोगों का उपचार:-
- संकेतों की अधिकता की स्थिति में डॉक्टर से मिलें।
- जिम्मेदार रोगों पर नियंत्रण रखें।
- खाने-पीने की चीजों से परहेज करें।
- पानी का सेवन ज्यादा करें, परंतु डॉक्टर की सलाह अनुसार।
- समय पर डायलिसिस कराएं।
- शीघ्र दवा, उपचार से किडनी ठीक हो सकती है।
- नमक, शक्कर, तेल, घी कम कर दें।
- उबला पानी निर्धारित मात्रा में लें।
- डिब्बाबंद, बोतलबंद, जंक फूड एवं बाहरी चीजों से बचें।
- फलियां एवं दालें कम कर दें।
- खट्टी चीजें न खाएं व शाकाहार को ही अपनाएं।
- अचार, पापड़ एवं नमकीन चीजें न खाएं।
- तरल पदार्थ डॉक्टर की सलाह से लें।
- बेकरी आइटम न लें।
- सेब, पपीता, अमरूद, नाशपाती खाएं।
- सलाद व जूस न के बराबर लें।
- दवा डॉक्टर की सहमति से ही लें।
-सीतेश कुमार द्विवेदी