शरीर में चुस्ती लाता है ताड़ासन
ताड़ासन सभी आसनों के प्रारंभ में करना चाहिए, क्योंकि इससे बाजुओं, टांगों, कंधों, पेट, कमर सभी अंगों की स्ट्रेचिंग हो जाती है और शरीर में चुस्ती आती है। इस आसन को सभी आयु के लोग कर सकते हैं।
यदि 10-12 साल के बाद बच्चे करें तो लंबाई बढ़ती है। शरीर की हड्डियां खिंचाव में आती हैं। ताड़ासन दो तरीके से किया जा सकता है। सभी लोग दोनों तरीकों से इस आसन को कर सकते हैं, एक खड़े होकर और दूसरा पीठ के बल लेटकर।
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खड़े होने वाले ताड़ासन की विधि
आसन के बीचों बीच खड़े हो जाएं। दोनों एड़ी और पंजों को मिला लें, दोनों हाथ शरीर के साथ सटे हुए, आंखें कोमलता से बंद किए खड़े हों। फिर श्वास भरते हुए दोनों हाथ सिर की ओर ऊपर ले जाकर एड़ियों को ऊपर उठाते हुए हाथों को ऊपर की ओर खींच कर रखें। जो लोग ब्लड प्रेशर के रोगी हों उन्हें श्वास रोक कर नहीं रखना है, बाकी लोग श्वास रोक कर रखें। जब न रुका जाए तो श्वास छोड़ते हुए धीरे-धीरे पांव आसन पर लाएं, हाथों को ढीला करें।
एक दो लंबे श्वास के बाद फिर से श्वास भरते हुए दोनों हाथ ऊपर ले जाएं। पंजों के बल खड़े होकर, दोनों भुजाएं कानों के साथ लगाते हुए पंजों के बल से ऊपर उठें। मानो आकाश छूने का प्रयास कर रहे हों। थोड़ी देर रुक कर श्वास छोड़ते हुए धीरे धीरे वापस आएं। ऊपर दोनों बाजुओं में कंधों की चौड़ाई जितना फासला रखें। अब हाथ नीचे लाते हुए विश्राम करें। विश्राम करते समय थोड़ी-सी चिन ऊपर की ओर गहरे लंबे श्वास।
लेटने वाले ताड़ासन की विधि
आसन पर पीठ के बल लेट जाएं। दोनों एड़ी पंजों को मिला लें, पंजे तानें। दोनों हाथों को श्वास भरते हुए सिर की ओर ले जाकर तानें। कोहनी से हथेली तक का पृष्ठ भाग आसन पर लगा रहे। हाथों में कंधों की चौड़ाई जितना फासला रहे। दोनों पांव और दोनों हाथ विपरीत दशा में खींचे। कुछ देर श्वास रोकें। जो लोग श्वास न रोक पाएं वो धीरे-धीरे श्वास लेते रहें। न रुका जाए तो श्वास छोड़ते हुए शरीर को ढीला करें, लंबे गहरे श्वास लें। कुछ पल विश्राम के बाद इस प्रक्रि या को पुन: दोहराएं। पूर्ण अवस्था में ध्यान शरीर के अंगों पर लगाएं।
ध्यान रखें
इसमें ध्यान देने योग्य बात यह है कि श्वास भरकर ही समूचे शरीर को खीचें। इस क्रि या को दो बार दोहराते समय एक आवृत्ति के बाद दूसरी आवृत्ति के बीच विश्राम अवश्य लें।
- दोनों विधि से ताड़ासन करने का लाभ बराबर मिलता है।
- हृदय रोगी, अस्थमा रोगी को श्वास नहीं रोकना होता है।
लाभ
- सभी जोड़ मजबूत बनते हैं।
- बच्चों का कद बढ़ता है।
- आलस्य दूर भागता है, मन में उत्साह भरता है।
- बढ़ती उम्र में हाथों-पैरों में कंपन्न नहीं होता।
- पेट ढीला पड़ने से लटकता है, ये दोष दूर होते हैं।
- अतिरिक्त चर्बी कमर की कम होती है। बॉडी शेप में आती है।
- पाचन क्रि या, श्वसन क्रि या, ब्लड सर्कुलेशन की क्रि या उचित ढंग से काम करने लगती हैं।
- मांसपेशियों का दर्द, पिंडलियों का दर्द दूर होता है। मांसपेशियां मजबूत बनती हैं।
-नीतू गुप्ता