new consumer protection act 2019 will be implemented from july 20 - Sachi Shiksha

उपभोक्ता संरक्षण कानून में बदलाव

उपभोक्ता के अधिकारों को और सशक्त करने वाला उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 देशभर में लागू हो गया है। नए कानून के अंतर्गत घटिया सामान बेचने, गुमराह करने वाले विज्ञापन देने पर जेल जाना पड़ सकता है। इसमें छह महीने की जेल या एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है।

इस कानून को पहले जनवरी 2020 में लागू किया जाना था, जिसे बाद में मार्च कर दिया गया। मार्च में कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते इसे लागू नहीं किया जा सका था। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने 20 जुलाई को इसे लागू करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। पहली बार आॅनलाइन कारोबार को भी इसके दायरे में लाया गया है। आईए जानते हैं कि इन नए नियमों से आपकी ई-शॉपिंग में क्या बदलाव आने वाला है?

क्या है नया कानून और नए नियम?

  • पिछले साल संसद ने कंज्यूमर प्रोटेक्शन बिल 2019 को मंजूर किया था। यह नया कानून कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 की जगह लेगा। नया कानून 20 जुलाई से लागू हो गया है।
  • यह कानून पिछले साल अगस्त में बना था। लेकिन अलग-अलग नियमों के चलते लागू नहीं हो सका। नए कानून में कई प्रावधान किए गए हैं, जिसमें ई-कॉमर्स को जवाबदेही तय करना प्रमुख है।
  • केंद्र सरकार ने कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट-2019 के नाम से जो नया कानून बनाया है, उसके चैप्टर तीन के सेक्शन 10 से 27 को लेकर फिलहाल, कोई फैसला नहीं किया है।
  • जिला आयोग के निर्णय की अपील राज्य आयोग में करने की मियाद 30 से बढ़ाकर 45 दिन कर दी गई है। अब जिला, राज्य और राष्ट्रीय आयोग अपने फैसले का रिव्यू भी कर सकते हैं।
  • नए कानून से कंज्यूमर यानी ग्राहक ताकतवर हो गया है। डिस्ट्रिक्ट और स्टेट कमीशन ने अगर कंज्यूमर के पक्ष में फैसला दिया है तो उसकी अपील राष्ट्रीय आयोग में नहीं होगी।
  • अब कंज्यूमर फोरम में जनहित याचिका भी दाखिल की जा सकेगी। ई-कॉमर्स, आॅनलाइन, डायरेक्ट सेलिंग और टेलीशॉपिंग कंपनियों की जवाबदेही तय की गई है।

पुराने से किस तरह अलग है यह नया उपभोक्ता कानून?

  • केंद्र सरकार ने इस कानून में कई बदलाव किए हैं। अब तक 20 लाख रुपए तक के मामलों की सुनवाई डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम करते थे। इसे बढ़ाकर एक करोड़ रुपए कर दिया गया है।
  • फिलहाल, कंज्यूमर की शिकायतों में 20 लाख से ज्यादा की राशि का विवाद होने पर स्टेट कमीशन में याचिका दायर करने जाना पड़ता था।
  • नए कानून के अनुसार एक करोड़ रुपए से ऊपर और 10 करोड़ रुपए तक के मामले स्टेट कमीशन के सामने जा सकेंगे। वहीं, 10 करोड़ रुपए से ज्यादा के मामले नेशनल कमीशन में जाएंगे।

ई-कॉमर्स वेबसाइट्स अब कुछ नहीं छिपा सकेंगी कंज्यूमर्स से?

  • इन नए नियमों को कंज्यूमर प्रोटेक्शन (ई-कॉमर्स) रूल्स 2020 नाम दिया गया है। इसमें आॅनलाइन रिटेलर्स को रिटर्न, रिफंड प्रॉसेस आसान बनाई गई है।
  • ई-कॉमर्स नियम उन सभी ई-रिटेलर्स पर लागू होंगे जो भारतीय कंज्यूमर्स को प्रोडक्ट और सर्विस दे रहे हैं। फिर चाहे उनका रजिस्टर्ड आॅफिस भारत में हो या विदेश में।
  • अमेजन, फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स साइट्स को कंज्यूमर को हर तरह की जानकारी देनी होगी। जो कंज्यूमर को शॉपिंग का फैसला लेने में मदद करें।
    कंज्यूमर को बताना होगा कि विक्रेताओं के साथ क्या एग्रीमेंट हुआ। उनका पता क्या है, प्रोडक्ट की मैन्यूफैक्चरिंग कहां हुई, साथ ही एक्सपायरी डेट, पेमेंट गेटवे की सेफ्टी और कस्टमर केयर नंबर भी बताना होगा।
  • रिटर्न की प्रॉसेस, रिफंड की प्रोसेस और विक्रेता की रेटिंग बतानी होगी। कस्टमर्स के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं हो सकेगा। इसी तरह विक्रेताओं के साथ भी भेदभाव नहीं हो सकेगा।
  • कंज्यूमर को वह तरीके बताने होंगे जिससे वे किसी विक्रेता के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं। उनकी शिकायत की सुनवाई की प्रक्रिया का अपडेट भी उन्हें मिलता रहेगा।
  • अब तक विक्रेताओं की जिम्मेदारी बनती थी, लेकिन अब ई-कॉमर्स कंपनियां भी जिम्मेदार होंगी। क्योंकि, उनके प्लेटफार्म पर दिखाए गए प्रोडक्ट को उनके गेटवे पर भुगतान कर खरीदा गया है।

कहीं से भी शिकायत करने की आजादी:

  • नए कानून से कंज्यूमर को कहीं से भी इलेक्ट्रॉनिक तौर पर शिकायत दर्ज करने का विकल्प मिल गया है। वे अपने घर के पास के किसी भी कंज्यूमर कमीशन में शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
  • पहले उन्हें वहां जाकर शिकायत करनी होती थी जहां सामान खरीदा है या जहां विक्रेता का रजिस्टर्ड आॅफिस है। लेकिन अब इसकी जरूरत नहीं होगी।
  • कंज्यूमर्स के विवादों के निपटारे के लिए नए नियमों के तहत पांच लाख रुपए तक के केस फाइल करने पर कोई फीस नहीं लेगा।
  • यदि शिकायतकर्ता केस की सुनवाई में खुद फोरम पहुंचकर भाग नहीं ले पा रहा तो वह नए कानून के मुताबिक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हो सकता है।

ई-कॉमर्स वेबसाइट्स से भी मांग सकेंगे मुआवजा:

  • नया कानून प्रोडक्ट के निमार्ता, प्रोडक्ट के सर्विस प्रोवाइडर और प्रोडक्ट के विक्रेता को किसी भी मुआवजे के दावे में शामिल करता है।
  • ई-रिटेलर्स को व्यवसाय के नाम सहित माल और सेवाओं की पेशकश करने वाले विक्रेताओं के बारे में विवरण प्रदर्शित करना होगा, चाहे वह रजिस्टर्ड हो या न हो।
  • यदि किसी को नकली/फर्जी सामान बनाने या बेचने का दोषी पाया जाता है तो दो साल तक के लिए लाइसेंस सस्पेंड होगा। दूसरी बार शिकायत मिलने पर उसका लाइसेंस रद्द किया जाएगा।
  • कंज्यूमर कमीशन में मीडिएशन सेल बनेगी। किसी शिकायत में मध्यस्थता की गुंजाइश होने पर उससे यह सेल डील करेगी। दोनों पक्षों को किसी एक समाधान पर सहमत करने की कोशिश होगी।

नकली सामान से मौत होने पर उम्रकैद तक का प्रावधान:

  • कंज्यूमर मिलावटी और नकली सामान के लिए मैन्यूफेक्चरर्स और विक्रेताओं को कोर्ट में ला सकते हैं और हर्जाना मांग सकते हैं।
  • नए कानून में मैन्यूफेक्चरर और विक्रेता डिफेक्टिव प्रोडक्ट या सर्विस की वजह से लगने वाली चोट या नुकसान की भरपाई करने के लिए जिम्मेदार होगा।
  • यदि डिफेक्टिव प्रोडक्ट की वजह से कंज्यूमर को कोई चोट नहीं लगी तो विक्रेता को 6 महीनों तक की सजा और एक लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।
  • यदि डिफेक्टिव प्रोडक्ट की वजह से कंज्यूमर को चोट लगती है तो सामान बेचने वाले को जेल की अधिकतम सजा 7 साल हो जाएगी और जुर्माना भी पांच लाख रुपए तक बढ़ जाएगा।
  • यदि डिफेक्टिव प्रोडक्ट या सेवा की वजह से कंज्यूमर की मौत हो जाती है, तो विक्रेता को सात साल से उम्रकैद तक की सजा होगी। जुर्माना भी 10 लाख रुपए हो जाएगा।

विज्ञापन करने वाले सेलिब्रिटी की जवाबदेही भी तय:

  • भ्रामक विज्ञापन करने पर सेलिब्रिटी पर भी 10 लाख रुपए तक जुर्माना हो सकता है। सेलिब्रिटी की जिम्मेदारी होगी कि वह विज्ञापन में किए गए दावे की पड़ताल कर ले।
  • मिलावटी सामान और खराब प्रोडक्ट पर कंपनियों पर जुर्माना व मुआवजे का प्रावधान है। झूठी शिकायत करने पर अब 50 हजार रुपए तक जुर्माना लग सकेगा।

35 सदस्यों वाली सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन काउंसिल बनेगी:

कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 के तहत कंज्यूमर से जुड़े मुद्दों पर एक एडवायजरी बॉडी के रूप में सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन काउंसिल की स्थापना होगी। इस काउंसिल की अध्यक्षता केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री करेंगे और उपाध्यक्ष राज्य मंत्री होंगे। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के 34 अन्य सदस्य करेंगे। तीन साल के कार्यकाल वाली इस काउंसिल में प्रत्येक क्षेत्र के दो राज्यों- उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम और उत्तर-पूर्व के उपभोक्ता मामलों के मंत्री होंगे।

सच्ची शिक्षा हिंदी मैगज़ीन से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें FacebookTwitter, और InstagramYouTube  पर फॉलो करें।

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here
Captcha verification failed!
CAPTCHA user score failed. Please contact us!