कोरोना में बदले नजर आएंगे शादियों के रस्मो-रिवाज The rituals of weddings will be changed in Corona
फूलों से सजी घोड़ी में सवार होकर ढेरों बारातियों के साथ दुल्हन ब्याहने आ रहा दूल्हा अब नजर नहीं आएगा। बारात के दरवाजे पर पहुंचते ही उन्हें घेर लेने और महंगे तोहफे देने वाले बाराती नजर नहीं आएंगे।
हल्दी कुमकुम का टीका नहीं। माला नहीं और गले लगकर मिलनी की रस्म भी अलग अंदाज में।
कोविड-19 संक्रमण के बाद अब होने वाली शादियों का रंग जुदा होगा। वेलकम किट के रूप में एन-95 मॉस्क और सैनिटाइजर की छोटी बोतल मिलेगी तो भारी-भरकम सजावट वाले गेट की जगह सैनिटाइजिंग टनल से निकलना होगा। मिलनी के लिए कडल कर्टेन का इस्तेमाल भी किया जाएगा। सबने अपने व्यवसाय का पैटर्न बदला तो वेडिंग प्लानर भी पूरी तैयारियों के साथ बाजार में उतर आए हैं।
बेंगलुरू, दिल्ली के बाद लखनऊ के वेडिंग प्लानर भी इसके लिए तैयार हो चुके हैं। कोई बड़ा फार्म हाउस नहीं होगा, 100 तरह की डिशेज नहीं होंगी और स्टेज परफॉरमेंस देते कलाकारों के सामने झूमता हुजूम नहीं होगा। शारीरिक दूरी बनाए रखना पहली जरूरत होगी। जून में लॉकडाउन खुलते ही शादियों के लिए इन्क्वायरी आने लगी है। सगाई या गोदभराई, बेबीशॉवर (बरहा) आदि के फंक्शन की बुकिंग हो चुकी हैं। वहीं अक्तूबर से शादियों की शुरूआत भी होगी।
भले ही सरकार ने 30 की संख्या सीमित कर दी हो, लेकिन ज्यादातर वेडिंग प्लानर 50 लोगों के हिसाब से पैकेज लांच कर चुके हैं। इस पैकेज में खाने-पीने, सजावट, दुल्हन की मेहंदी, फोटोग्राफी के अलावा 50 लोगों के लिए 50 मिली बोतल सैनिटाइजर, 50 एन 95 मॉस्क के लिए सैनिटाइजिंग बूथ, टनल और हर मेहमान की थर्मल चेकिंग भी पैकेज का हिस्सा है। लालबाग स्थित माई क्लब की अलीशा कहती हैं कि हमने 1.99 लाख का पैकेज लांच किया है।
इसमें सभी बेसिक चीजें हैं। लखनऊ में जो लोग अपनी शादियों या सगाई आदि की बुकिंग कर रहे हैं तो उनमें वे 30 या 50 के लिए ऐसा हॉल या लॉन देख रहे हैं, जहां 150 लोगों की क्षमता हो ताकि सोशल डिस्टेंसिंग हो सके। परिवर्तन चौक स्थित एक वेडिंग प्लानर शिवानी भी इसकी पुष्टि करती हैं। कहती हैं कि नवम्बर-दिसम्बर तक की बुकिंग में भी कोविड-19 से बचाव पर ही फोक्स है। उस शू कवर डिस्पेंसर की बहुत मांग है जिसमें पैर रख कर दबाने भर से आपके जूते पर कवर चढ़ जाएगा।
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थर्मल स्क्रीनिंग के बाद होगी एंट्री:
कोविड-19 के मद्देनजर इवेंट हॉज कंपनी ने कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश में 50 लोगों की शादी मैनेज करने के लिए करीब दो लाख रूपये का पैकेज निकाला है जिसमें ई-इनविटेशन कार्ड, मेहंदी, फोटो बूथ, डेकोरेशन, 50 मेहमानों के लिए शाकाहारी खाने जैसी जरूरतों के साथ थर्मल स्क्रीनिंग, हैंड सैनिटाईजेशन, मास्क देने जैसी सुविधाएं भी जोड़ी गईं हैं। इवेंट हॉज के संस्थापक रवि शंकर बताते हैं कि आजकल शादियां मैरिज हॉल या घरों में ही हो रही हैं।
होटल और बड़े हॉल अभी खुले नहीं हैं। नियमों को ध्यान में रखते हुए हमने पचास मेहमानों के लिए पैकेज निकाला है। जहां हम मेहमानों को हैंड सैनिटाईजर और मास्क देंगे। बड़े राउंड टेबल पर उचित दूरी पर लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है। हम एक फीट की दूरी तो बनाकर रखेंगे ही साथ ही क्लाइंट से भी रस्में जल्दी पूरी करने के लिए कहेंगे ताकि देर होने से व्यवस्था प्रभावित न हो। हमारे राज्य में 50 लोगों को शादी में बुलाने की स्वीकृति है। इससे ज्यादा लोगों के लिए सरकार से परमिशन लेनी होगी। हमारे दो या तीन लोग सारा कुछ मैनेज करेंगे। अनुमान है कि इस पूरे साल में ऐसे ही शादियां चलेंगी।
लद गए बिग फैट बेडिंग के दिन
कोरोना संक्रमण ने शादी का परिदृश्य इतना बदल दिया है कि नाचते-गाते हुए आने वाले ढेरों बारातियों की जगह अब गिनती के बारातियों के साथ ही दूल्हा ब्याह रचाने वाला है। हाल ही में जोगिन्द्र नगर (हिमाचल प्रदेश) की एक शादी में वीडियो कॉलिंग के जरिए ही परिवार ने बेटे की शादी की पूरी रस्में देखीं और उसी में ही वर-वधू को आशीर्वाद भी दिया। दरअसल अब बिग फैट वेडिंग की जगह साधारण शादियों का दौर आया है। शादी में वर वधू दोनों पक्षों की ओर से चंद लोग ही शामिल हो रहे हैं और शादी पर खर्च भी कुछ हजार रुपये का ही आ रहा है। कम मेहमानों के चलते कुछ घंटों में शादी भी पूरी हो जाती है।
डीजे की जगह गजलों का लुत्फ
सरकार द्वारा लागू नियमों के पालन के साथ उत्सव के रंग बनाए रखने के प्रयास के बारे में द ईडब्ल्यू कंपनी की लुधियाना ब्रांच की वेडिंग प्लानर वीनू अरोड़ा कहती हैं, शादियों में लोगों की मौजूदगी कम कर दी गई है। मेहंदी और संगीत कार्यक्रम अलग तरीके से आयोजित किए जा रहे हैं। डीजे की जगह गजलों का कार्यक्रम रखा जा रहा है ताकि शारीरिक दूरी बनी रहे। होटल में नियमित रूप से मास्क, सैनिटाईजर आदि मुहैया करवाए जा रहे हैं। यह व्यवस्था भी की जा रही है कि होटल के नजदीकी अस्पताल से शादी में कुछ मेडिकल स्टॉफ भी रहे ताकि किसी तरह की परेशानी होने पर कोई असहजता न होने पाए।
किचन से क्रॉकरी तक सब सैनिटाईज
इस दौर में सैनिटाईजेशन से किचन भी अछूती नहीं रहेंगी। शेफ हितेश अरोड़ा बताते हैं कि अब शादियां जरूरी रिश्तेदारों तक सिमट गई हैं। किचन से लेकर क्रॉकरी तक सैनिटाईज की जा रही हैं और शेफ से लेकर वेटर तक मास्क और ग्लव्स पहनते हैं। इसी प्रकार रेड टैग वेडिंग प्लानर के ओनर धर्मवीर चौधरी बताते हैं कि किचन स्टॉफ को थर्मल स्क्रीनिंग के बाद ही अंदर आने दिया जाता है। स्टॉफ मैंबर्स पूरी तरह से पीपीई किट के साथ ही शादी में शामिल रहते हैं। वैन्यू पर एक दिन पहले ही पूरी तरह से सैनिटाईजेशन किया जाएगा, ताकि कोरोना से पूरी तरह सुरक्षा बनी रहे।
क्या बदलेगा
- सजावट व शो की जगह सेफ्टी पर फोक्स
- बारात में बैंड बाजे व लाइट की जगह डीजे
- वॉटर स्टेशन की तरह जगह-जगह बनेंगे सैनिटाइजिंग बूथ
- जो मेहमान नहीं शामिल हुए उन्हें स्पेशल फील कराने के लिए लाइव टेलीकॉस्ट के लिए अलग ऐप
- भारी-भरकम कार्डों की जगह ई-कार्ड है वेडिंग प्लानिंग का हिस्सा
पीपीई किट के साथ मेकअप
दुल्हन को सजाने वाली मेकअप आर्टिस्ट भी अब किसी कोरोना योद्धा की तरह फेस शील्ड के साथ डिस्पोजेबल पीपीई किट पहन रही हैं। हाल ही में गुरुग्राम की मेकअप आर्टिस्ट पारूल गर्ग ने अपनी सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया जिसमें वे पीपीई किट की तरह के डिस्पोजेबल कवर पहने अपनी सहायक ब्यूटीशियंस के साथ ब्राइडल मेकअप कर रही हैं। इसी क्रम में पिआजा हेयर ब्यूटी के मेकअप हेड अभय गिरिधर बताते हैं अपॉइंटमेंट से आ रही दुल्हनों के सबसे पहले हैंड सैनिटाइजर किए जा रहे हैं।
इसके बाद उन्हें शू कवर, ग्लव्स आदि मुहैया करवाए जा रहे हैं। मेकअप व नेल आर्ट के लिए जिन प्रोडक्ट का इस्तेमाल किया जाना है वो अलग ब्रश से ट्रे में निकाले जा रहे हैं। उन ब्रशों का दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाना है। ब्यूटी एक्सपर्ट ध्यान रख रहे हैं कि उनके यहां दुल्हन व अन्य सभी सुरक्षित महसूस करें। इसके उपाय भी किए जा रहे हैं। एक समय में एक दुल्हन को बुलाया जा रहा है।
मेकअप ही नहीं अब वेडिंग की ड्रेस में बदलाव आ रहे हैं। फैशन डिजाइनर भावना पुष्कर संदल बताती हैं कि दुल्हनें अब हल्का फैब्रिक का लहंगा तैयार करवा रही हैं। इसके साथ ही खास बात यह है कि लहंगे के साथ मैचिंग डिजाईनर मास्क भी तैयार किए जा रहे हैं। इन मास्क को तैयार करते समय सुरक्षा का ध्यान रखते हुए जॉर्जट फैब्रिक पर जरदोजी, मिरर वर्क को तवज्जों दी जा रही है।
भविष्य के दफ्तरों में इस तरह के कुछ बदलाव हो सकते हैं
लिफ्ट लॉबी:
आॅफिस में पहुंचने के लिए सबसे पहले हम लिफ्ट की मदद लेते हैं। वहीं लिफ्ट में जाने से पहले लॉबी में कुछ कोट्स या तस्वीरें लगी हों, जो सोशल डिस्टेंसिंग, सफाई और सैनिटाईजेशन की जरूरत बताएं।
रिसेप्शन:
कम्युनिटी डेस्क या रिसेप्शन में लोगों का आना-जाना सबसे ज्यादा होता है। ऐसे में भीड़ से बचने के लिए यहां जमीन पर फुटस्टेप्स के स्टिकर लगे होंगे। यह स्टीकर दो लोगों के बीच छह फीट की दूरी बताएंगे। इसके अलावा नजदीक ही टच फ्री हैंड सैनिटाईजर मौजूद होगा।
लाउंज:
आॅफिस के इस क्षेत्र में कर्मचारियों के अलावा दूसरे लोग भी मौजूद होते हैं। इसीलिए पहले की तुलना में यहां बैठने की जगह में बदलाव होंगे। उदाहरण के लिए जहां पहले चार लोग बैठते थे, अब वहां एक या दो ही लोग बैठ सकेंगे।
पेंट्रीज:
आॅफिस की पेंट्रीज में भी बदलाव देखने को मिलेंगे। यहां उपकरणों के साथ-साथ कम छूने वाली चीजें शामिल होंगी। चीनी या कांच के बर्तनों के बजाए डिस्पोसेबल कप यूज होंगे। यहां टच फ्री सोप डिस्पेंसर और वाईप्स लगाए जाएंगे।
मीटिंग रूम:
मीटिंग रूम को इस तरह से तैयार किया जाएगा ताकि लोग आराम से बात कर सकें। टेबल के ऊपर ही स्टीकर लगा दिए जाएंगे, जो सिटिंग बताएंगे। टीवी मॉनिटर्स पर हाईजीन की गाईडलाइन्स और सावधानियां दिखाई जाएंगी।
वर्किंग टेबल:
वर्किंग टेबल पर दो कर्मचारियों के बीच जगह बढ़ जाएगी। इसके अलावा एम्पलाई टेबल पर हैंड सैनिटाईजर और वाईप्स की व्यवस्था भी होगी। जिसकी मदद से कर्मी इस्तेमाल के बाद कीबोर्ड और माउस जैसी लगातार छूने में आने वाली चीजों की सफाई कर सकेंगे।
फोन बूथ:
आॅफिस में फोन बूथ ज्यादा सुरक्षित होंगे। बंद जगह होने के कारण यहां लगातार सफाई और सैनिटाईजेशन किया जाएगा। आपके नजदीक डिस्पेंसर लगाए जाएंगे।
जो भी लोग अंदर जाएं वे बाहर आते वक्त जगह को साफ करें। यहां पर नियमों और सावधानियों के पोस्टर लगाए जाएंगे।
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