व्योवृद्ध एथलीट इलम चंद इन्सां ने फिर जीता सोना – जीवन के 91 बसंत देख चुके इलम चंद की खेल प्रतिभा से आयोजक भी हुए कायल
भक्ति और योग से इन्सान खुद को इतना संबल बना सकता है कि उसके लिए उम्र के हर पड़ाव में सफलता उसके कदम चूमती है। कुछ ऐसे ही जज्बे और साहस के धनी हैं 91 वर्षीय इलम चंद इन्सां, जो इस उम्र में भी खेल का हर मैदान जीत कर निकलते हैं। मैडल मशीन के नाम से मशहूर इलम चंद व्योवृद्ध सम्मान से भी सम्मानित हो चुके हैं।
हाल ही में उन्होंने कर्नाटक में हुई 45 वीं राष्ट्रीय मास्टर्स चैम्पियनशिप में पोल वाल्ट स्पर्धा में स्वर्ण और ऊंची कूद में रजत पदक कर सबको चौंका दिया। वयोवृद्ध एथलीट इलम चंद इन्सां अब तक 530 से अधिक पदक जीत चुके हैं जिसमें 113 अंतराष्ट्रीय 240 राष्ट्रीय पदक शामिल हैं। उम्र का शतक लगाने के करीब पहुंच चुके इलमचंद में आज भी इतनी फुर्ती है कि वे Ñफर्राटा रेस में इतनी तेज गति से दौड़ते हैं कि पलक झपकते ही देखने वाले की आंखों से औझल हो जाते हैं। इस उपलब्धि का श्रेय डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को देते हुए उन्होंने बताया कि वे आज जो कुछ भी हैं, पूज्य गुरु जी पावन प्रेरणा की दौलत ही हैं। उनका मार्गदर्शन ही मेरे जीवन को पल-पल नई गति दे रहा है।
गत 4 से 9 मार्च तककर्नाटक के बेंगलुरु शहर स्थित कांटेरावा इंडोर स्टेडियम और स्पोर्ट्स अथॉरिटी आॅफ इंडिया के मैदान में 45वीं राष्ट्रीय मॉस्टर्स चैम्पियनशिप आयोजित हुई। हरियाणा की ओर से खेलते हुए 91 वर्षीय वयोवृद्ध खिलाड़ी इलमचंद इन्सां ध्वजवाहक बने। इस चैम्पियनशिप में हरियाणा राज्य से 27 महिला खिलाड़ियों सहित कुल 114 खिलाड़ियों ने भाग लिया। 85 वर्ष से अधिक के आयु वर्ग में इलमचंद ने पोल वाल्ट स्पर्धा में स्वर्ण और ऊंची कूद में रजत पदक जीता। योगा कोच की भूमिका निभाने वाले इलम चंद अलग-अलग स्पर्धाओं में अब तक 530 से अधिक पदक जीत चुके हैं। खेलों में शानदार प्रदर्शन की बदौलत इलम चंद अब तक हरियाणा के मुख्यमंत्री द्वारा लाइफ अचीवमेंट अवार्ड, माननीय प्रधानमंत्री द्वारा सम्मान और स्पोर्ट्समैन एडवेंचर में महामहिम उप-राष्टÑपति द्वारा वयोवृद्ध सम्मान से पुरस्कृत हो चुके हैं।
सन् 2000 में बदली जिंदगी, खुला एथलीट का द्वार
मूलरूप से उत्तरप्रदेश के बागपत जिले के गांव रणछाड़ के रहने वाले इलम चंद इन्सां वर्तमान में सरसा जिले के शाह सतनाम जी पुरा गांव में रहते हैं। वे 16 वर्ष तक स्कूल में बतौर प्रिंसीपल सेवाएं दे चुके हैं। योग की शुरुआत उन्होंने सन् 2000 में तब की, जब वे शुगर और खांसी जैसी बीमारियों की लंबी पीड़ा के चलते पहली बार डेरा सच्चा सौदा में सत्संग दौरान पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां से रूबरू हुए। पूज्य गुरु जी ने उस दौरान इलम चंद को कसरत व योग करने की सलाह दी। इसके बाद उन्होंने योग को जीवन का आधार बना लिया, जिससे बीमारियों तो खत्म हुई ही, खेलों की दुनिया में उन्हें नया प्रवेश मिल गया। तभी से इलम चंद जिस भी प्रतियोगिता में खेलने जाते हैं, वहां से पदक जीतकर ही लौटते हैं।