स्मरण शक्ति (Smaran Shakti) के क्षीण होने के कुछ विशेष कारण होते हैं। Yaddasht Kaise Badhaye? अगर हम इस बात को जान लें कि हमारी स्मरण शक्ति क्षीण क्यों होती है तो हम अवश्य ही अपनी स्मरण शक्ति को बढ़ाने का भरसक प्रयास करेंगे।
अक्सर हम कुछ बातों को इसलिए नहीं भूलते क्योंकि हमारी स्मरणशक्ति क्षीण हो रही है बल्कि इसलिए भूल जाते हैं कि हम एक बार में बहुत-सी बातों को याद करना चाहते हैं अथवा किसी दूसरी बात के विषय में सोचते समय कुछ विशेष बातों को भी याद रखना चाहते हैं।
चिन्ता एवं तनाव स्मरण शक्ति के क्षीण होने के मुख्य कारण होते हैं। एक व्यक्ति जो तनाव से घिरा रहता है, उसके मस्तिष्क में विभिन्न प्रकार के विचार चक्कर काटते रहते हैं और वह व्यक्ति बार-बार उन्हीं बातों के विषय में सोचता रहता है। ऐसी दशा में उस व्यक्ति की स्मरणशक्ति क्षीण हो जाती है। तनाव ग्रस्त व्यक्ति शारीरिक एवं मानसिक दोनों ही रूप में सुस्त हो जाता है। इससे उसकी स्मरण शक्ति भी धीरे-धीरे क्षीण होने लगती है।
नशीले पदार्थों का सेवन भी स्मरणशक्ति को कमजोर करता है। यदि नशीले पदार्थ का सेवन बहुत ही कम मात्रा में किया जाय तो स्मरणशक्ति प्रभावित नहीं होती है परंतु बहुत अधिक मात्रा में नशीले पदार्थों का सेवन धीरे-धीरे स्मरणशक्ति को कम करने लगता है।
स्मरणशक्ति पर आयु का भी प्रभाव पड़ता है क्योंकि मस्तिष्क हमारी स्मरणशक्ति को नियंत्रित करता है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ मस्तिष्क की कार्य क्षमता भी कम होने लगती है जिसका प्रभाव व्यक्ति की स्मरणशक्ति पर भी पड़ता है। शारीरिक अथवा मानसिक बीमारी का प्रभाव भी स्मरणशक्ति पर पड़ता है। प्राय: देखा गया है कि मस्तिष्क में गहरी चोट लगने से अथवा मिर्गी का दौरा पड़ने से भी स्मरण शक्ति क्षीण हो जाती है।
अगर किसी को यह ज्ञात हो जाए कि उसकी स्मरणशक्ति के क्षीण होने के कारण उसे शारीरिक अथवा मानसिक बीमारी है तो वह उसके निदान के लिए डाक्टर की सलाह भी ले सकता है और एक बीमारी के दूर होने के साथ-साथ उस व्यक्ति की स्मरणशक्ति भी बढ़ सकती है।
अगर किसी को न तो किसी प्रकार का तनाव ही है और न ही कोई बीमारी तो उसकी स्मरणशक्ति उसकी लापरवाही के कारण क्षीण हो रही है। ऐसे लोग प्रत्येक छोटी-छोटी बातों को भी विशेष ध्यान रखकर अपने मस्तिष्क को अत्याधिक क्रि याशील बनाने के साथ ही अपनी स्मरणशक्ति को भी बढ़ा सकते हैं। उदाहरण के लिए प्राचीन काल में जब पढ़ने-लिखने का अधिक प्रचार नहीं हुआ था तथा उस समय कागज भी उपलब्ध नहीं थे, छपाई की सुविधा भी नहीं थी, फिर भी उस समय के लोग अधिक से अधिक ज्ञान की बातों को स्मरण रखा करते थे।
शब्दों को याद करने की अपेक्षा तस्वीरों को याद रखना अधिक सफल होता है। मान लीजिए, शॉपिंग के लिए जाते समय आप अपनी लिस्ट घर पर भी भूल जाते हैं, उस समय अपने स्टोर रूम के खाली डिब्बों आदि को यदि याद किया जाय तो आपको स्वत: ही उन सामानों का नाम याद आ जाता है जिन्हें आप लेना चाहते हैं। मौखिक रूप से बोल-बोलकर किसी विषय को याद करने से वह विषय जल्दी ही याद हो जाता है।
प्रत्येक कार्य को पहले से ही सुनियोजित ढंग से क्र मानुसार करने से स्मरणशक्ति बनी रहती है। निश्चित स्थान पर किसी वस्तु को रखने की आदत डालकर भी स्मरणशक्ति की तीव्रता में वृद्धि की जा सकती है।
– आनंद कुमार अनंत
सच्ची शिक्षा हिंदी मैगज़ीन से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook, Twitter और Instagram, YouTube पर फॉलो करें।