देश राजपथ से कर्त्तव्य पथ की ओर अब राजपथ का नाम बदलकर ‘कर्तव्य पथ’ कर दिया गया है। किंग्सवे यानि राजपथ को कर्तव्य पथ करते हुए नई इबारत लिखी गई।
यह ऐतिहासिक पथ गुलामी के दौर से लेकर आजाद व लोकतांत्रिक भारत की सुबह तक के घटनाक्रमों का साक्षी रहा है। पिछले सात दशक से ज्यादा समय में इसने स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के सभी उत्सव देखे हैं। एक सदी से ज्यादा के इसके इतिहास में अब नए नाम के साथ नया अध्याय जुड़ गया है। लोकतांत्रिक देश में राजशाही का पर्याय लगने वाला ‘राजपथ’ अब कर्तव्य पथ का बोध कराएगा।
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आजादी के बाद बदले गए नाम
- स्वतंत्रता के बाद किंग्सवे को राजपथ और क्वींसवे को जनपथ नाम दिया गया। अब राजपथ को कर्तव्य पथ किया गया है।
- रायसीना हिल को वायसराय हाउस कहा जाता था, जिसे राष्टÑपति भवन कहा गया।
- ग्रेट प्लेस को विजय चौक के नाम से जाना गया।
- इरविन स्टेडियम को अब कैप्टन ध्यानचंद स्टेडियम के नाम से जाना जाता है।
कुछ ऐसे हुआ नवीनीकरण
- 74 ऐतिहासिक महत्व के लाइट पोल का नवीनीकरण
- 900 नए लाइट पोल स्थापित किए
- 101 एकड़ में विशेष घास का लॉन तैयार किया गया
- 140 नए पेड़ लगाए गए
- 80 सुरक्षाकर्मी लगातार निगरानी करेंगे
- 8 वेंडिंग प्लाजा, जिनमें से प्रत्येक की क्षमता 40 वेंडर्स की है।
- 16 स्थायी वाकवे पुल बनाए गए हैं।
- 16 किलोमीटर का वाकवे पैदल चलने वालों के लिए बनाया गया है
- 1125 वाहन क्षमता का पार्किंग स्पेस तैयार किया गया।
- 400 से ज्यादा बेंच लगाए हैं।
- 64 शौचालय महिलाओं के लिए
- 32 शौचालय पुरुषों के लिए
- 10 शौचालय दिव्यांगजनों के लिए
नेताजी की 28 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण
8 सितंबर को इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 28 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण भी हुआ, जो सजावटी छतरी में स्थित है। 6 फुट चौड़ाई की इस प्रतिमा का वजन 65 मीट्रिक टन है। जिसमें प्रयुक्त ग्रेनाइट को तरासने में 26000 घंटे का समय लगा।
गौरतलब है कि किंग जॉर्ज पंचम की प्रतिमा 1968 में हटाए जाने के बाद से यह छतरी खाली थी और बाद में इस प्रतिमा को उत्तर-पश्चिम दिल्ली में कोरोनेशन पार्क में जगह मिली। संयोग से 1911 में इसी जगह दरबार का आयोजन हुआ था।
अभिलेखीय रिकॉर्ड के अनुसार इंडिया गेट के सामने एक सजावटी छतरी के नीचे स्थित किंग जॉर्ज पंचम की भव्य संगमरमर की प्रतिमा का अनावरण 1939 में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो ने ब्रिटिश सम्राट के लिए एक उपयुक्त स्मारक के रूप में किया था, जिसके शासनकाल में ‘नई दिल्ली’ राजधानी बनाई गई थी।
































































