Rajpath to Duty Path -sachi shiksha hindi

देश राजपथ से कर्त्तव्य पथ की ओर अब राजपथ का नाम बदलकर ‘कर्तव्य पथ’ कर दिया गया है। किंग्सवे यानि राजपथ को कर्तव्य पथ करते हुए नई इबारत लिखी गई।

यह ऐतिहासिक पथ गुलामी के दौर से लेकर आजाद व लोकतांत्रिक भारत की सुबह तक के घटनाक्रमों का साक्षी रहा है। पिछले सात दशक से ज्यादा समय में इसने स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के सभी उत्सव देखे हैं। एक सदी से ज्यादा के इसके इतिहास में अब नए नाम के साथ नया अध्याय जुड़ गया है। लोकतांत्रिक देश में राजशाही का पर्याय लगने वाला ‘राजपथ’ अब कर्तव्य पथ का बोध कराएगा।

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21000 करोड़ रुपए से तैयार हुए कर्तव्य पथ के निर्माण में ध्यान रखा गया है कि इस पर चलने वाले पैदल यात्रियों को सारी सुविधाएं मिलें। पैदल यात्री ही नहीं बल्कि दिव्यांग जनों को भी यहां कोई समस्या न हो। इसे बनाने में लाल पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। इससे पहले यहां बजरी जैसी रेत का इस्तेमाल हुआ था। यहां 64 शौचालय महिलाओं के लिए तो पुरुषों के लिए 32 शौचालय बनवाए गए हैं। शौचालय की उत्तम व्यवस्था के अलावा पीने के पानी की सुविधा भी उपल्ब्ध है, इस पथ पर लगीं पुरानी लाइटों को भी बदल दिया गया है, करीबन 900 नए लाइट पोल को लगाया गया है।

साव को रोकने के लिए लगभग 74,900 वर्ग किलोमीटर नहरों का भी नवीनीकरण किया गया है, पार्किंग के लिए भी व्यवस्था की गई है. लगभग 101 एकड़ लॉन का नवीनीकरण भी किया गया है, जहां घास की विभिन्न प्रजातियां हैं। इस इलाके में कई सारे पेड़ थे, जिनमें से कई जामुन के पेड़ थे लेकिन अब उन्हें हटा कर कहीं और शिफ्ट कर दिया गया है और 140 नए पेड़ लगाए गए हैं। 1911 में ब्रिटिश शासक किंग जार्ज पंचम ने भारत की राजधानी को कलकता (अब कोलकाता) से बदलकर नई दिल्ली करने का फैसला किया था।

5 दिसंबर, 1911 को किंग जार्ज पंचम और क्वीन मैरी ने ब्रिटिश राज में नई दिल्ली की नींव रखी थी। सर एडविन लुटियन और सर हर्बर्ट बेकर ने नई दिल्ली को तैयार करने की जिम्मेदारी निभाई थी। नई राजधानी बनने के बाद रायसीना हिल से इंडिया गेट तक के मार्ग को किंग्सवे नाम दिया गया। 1951 से अब तक गणतंत्र दिवस के सभी आयोजन राजपथ पर हुए हैं। 26 जनवरी 1950 को पहला गणतंत्र दिवस इरविन स्टेडियम में मनाया गया था।

आजादी के बाद बदले गए नाम

  • स्वतंत्रता के बाद किंग्सवे को राजपथ और क्वींसवे को जनपथ नाम दिया गया। अब राजपथ को कर्तव्य पथ किया गया है।
  • रायसीना हिल को वायसराय हाउस कहा जाता था, जिसे राष्टÑपति भवन कहा गया।
  • ग्रेट प्लेस को विजय चौक के नाम से जाना गया।
  • इरविन स्टेडियम को अब कैप्टन ध्यानचंद स्टेडियम के नाम से जाना जाता है।

कुछ ऐसे हुआ नवीनीकरण

  • 74 ऐतिहासिक महत्व के लाइट पोल का नवीनीकरण
  • 900 नए लाइट पोल स्थापित किए
  • 101 एकड़ में विशेष घास का लॉन तैयार किया गया
  • 140 नए पेड़ लगाए गए
  • 80 सुरक्षाकर्मी लगातार निगरानी करेंगे
  • 8 वेंडिंग प्लाजा, जिनमें से प्रत्येक की क्षमता 40 वेंडर्स की है।
  • 16 स्थायी वाकवे पुल बनाए गए हैं।
  • 16 किलोमीटर का वाकवे पैदल चलने वालों के लिए बनाया गया है
  • 1125 वाहन क्षमता का पार्किंग स्पेस तैयार किया गया।
  • 400 से ज्यादा बेंच लगाए हैं।
  • 64 शौचालय महिलाओं के लिए
  • 32 शौचालय पुरुषों के लिए
  • 10 शौचालय दिव्यांगजनों के लिए

नेताजी की 28 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण

8 सितंबर को इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 28 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण भी हुआ, जो सजावटी छतरी में स्थित है। 6 फुट चौड़ाई की इस प्रतिमा का वजन 65 मीट्रिक टन है। जिसमें प्रयुक्त ग्रेनाइट को तरासने में 26000 घंटे का समय लगा।

गौरतलब है कि किंग जॉर्ज पंचम की प्रतिमा 1968 में हटाए जाने के बाद से यह छतरी खाली थी और बाद में इस प्रतिमा को उत्तर-पश्चिम दिल्ली में कोरोनेशन पार्क में जगह मिली। संयोग से 1911 में इसी जगह दरबार का आयोजन हुआ था।

अभिलेखीय रिकॉर्ड के अनुसार इंडिया गेट के सामने एक सजावटी छतरी के नीचे स्थित किंग जॉर्ज पंचम की भव्य संगमरमर की प्रतिमा का अनावरण 1939 में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो ने ब्रिटिश सम्राट के लिए एक उपयुक्त स्मारक के रूप में किया था, जिसके शासनकाल में ‘नई दिल्ली’ राजधानी बनाई गई थी।

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