Jaggery winter

Jaggery शीत ऋतु का अमृत है गुड़ Jaggery winter -आयुर्वेद ग्रन्थों के अनुसार ’गुड़‘ में सिर्फ मिठास ही नहीं है बल्कि इसमें पित्तनाशक, रक्तशोधक, प्रमेहनाशक व थकान नाशक आदि अनेक गुण हैं। ’राजनिघण्टु‘ नामक आयुर्वेद ग्रन्थ के अनुसार गुड़ हृदय के लिए हितकारक, त्रिदोषनाशक, खुजली आदि चर्म रोग नाशक तथा मल-मूत्र के अनेक दोषों को भी नष्ट करने वाला होता है।

हरीति ऋषि द्वारा रचित ‘हारित संहिता’ के अनुसार गुड़ क्षयरोग (टी.बी.), खांसी, अल्सर, क्षीणता, पीलिया तथा रक्त की कमी (अनीमिया) आदि अनेक रोगों को नष्ट करने वाला अमृत तुल्य पदार्थ है। प्रसव के बाद महिलाओं के शरीर में पुन: शक्ति संचार हेतु गुड़ और मेवे के लड्डू या गुड़ के साथ अलसी का लड्डू दिया जाता है।

Jaggery गुड़ केवल पोषण ही नहीं करता बल्कि शरीर को रोगों से लड़ने योग्य भी बनाता है। यह बच्चों के सूखा रोग में भी लाभप्रद है। गुड़ में उपस्थित प्रचुर मात्र में विटामिन ’ए‘ रतौंधी, पेचिश, तपेदिक, जलोदर, आंतों की सूजन, दांत, गले तथा फेफड़े के रोगों पर लाभप्रद है। गुड़ में उपस्थित ’बी‘ काम्पलेक्स, शरीर शैथिल्य, हृदय की दुर्बलता, यकृत, गुर्दे तथा पाचन संस्थान की कमजोरी और स्रायु संबंधी रोगों से शरीर की रक्षा करता है।

शीतऋतु में गुड़ व तिल के लड्डू या तिल की गज्जक खाने से शरीर स्वस्थ व निरोग रहता है तथा जुकाम, खांसी आदि रोग नहीं होते। भोजन के बाद गुड़ और तिल के बने लड्डू या पापड़ी, गज्जक आदि या गुड़ से बने विभिन्न पदार्थों को खाने से भोजन सुपाच्य हो जाता है, गरिष्ठ भोजन भी पच जाता है। सुबह नाश्ते में गुड़ का हलवा खाने से शारीरिक संवृद्धि के साथ चेहरे पर नया निखार आ जाता है। गुड़ और गेहूं के आटे से राबड़ी बनाकर खाने से शरीर में नए जीवन का संचार हो जाता है। इसे और पौष्टिक बनाने के लिये बादाम, मेवा आदि भी मिलाया जा सकता है।

किसी भी कारण से जी मिचलाता हो, सिर चकराता हो तो गुड़ के पानी में जरा-सा अदरक का रस मिलाकर पीने से तुरन्त लाभ होता है। सर्दी से या अन्य किसी भी कारण से गला खराब हो जाने, गला बैठ जाने पर या आवाज दब जाने पर दो दाने काली मिर्च (गोलाकी), पचास ग्राम गुड़ के साथ खाने पर गले की सारी शिकायतें दूर हो जाती हैं।

पतले दस्त लगने एवं तेज बुखार के कारण शरीर में पानी की कमी होने पर गुड़ के पानी में नींबू के रस को मिलाकर पिलाने से तत्काल राहत मिलती है। जिन लोगों को सूर्य निकलने के पहले सिरदर्द होता है, उन्हें प्रात: थोड़े से गुड़ में गाय का घी मिलाकर खिलाने से चमत्कारिक लाभ होता है।

साधारण खांसी में गुड़ में पिसी काली मिर्च को मिलाकर छोटी-छोटी गोली बनाकर दिन में दो-तीन बार चूसते रहने से खांसी दूर हो जाती है। सूखी खांसी या दमा की बीमारी में गुड़ में सरसों तेल मिलाकर चाटने से लाभ होता है। औषधीय प्रयोग हेतु पुराने गुड़ को ही लेना चाहिए।

गर्भावस्था में गुड़ का प्रयोग नहीं करना चाहिए। रक्त संबंधी विकारों में तथा रक्तस्राव की स्थिति में भी गुड़ का प्रयोग वर्जित होता है। एक साथ अधिक मात्रा में गुड़ नहीं खाना चाहिए।
– आरती रानी

Jaggery गुड़ की चाय

जाड़े से सुरक्षा के लिए गुड़ की चाय उत्तम मानी जाती है। उबलते हुए पानी में कालीमिर्च और सौंठ को चौथाई चम्मच पीसकर डालें और कुछ देर के बाद पुराने गुड़ की एक छोटी डली लगभग बीस ग्राम डाल दें। जब गुड़ पिघल जाए तो चार पत्ती तुलसी की डालकर उतार कर छान लें। गुड़ की यह चाय आपका सर्दी से पूरा बचाव करेगी। आपको जुकाम हो गया है, नाक बहने लगी है, सिरदर्द होने लगा है तो उस स्थिति से शीघ्र आराम पहुंचाने के लिए गुड़ की यह चाय चमत्कारिक सिद्ध होगी।

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