आओ! अपने भविष्य के लिए पानी बचाएं -सम्पादकीय
गर्मी अपने तेवर दिखाने लगी है। वैसे भी हर साल पहले के मुकाबले गर्मी का प्रकोप बढ़ ही रहा है। गर्मी के भयंकर तेवरों से आमजन बेहाल हो जाता है। चिलचिलाती धूप और हीटवेव जब परेशानी का सबब बनता है तो इन्सान तो इन्सान, सभी जीव-जंतुओं की हालत भी पतली हो जाती है। ये दिन बड़े झुलसाने वाले होते हैं। इन्हीं दिनों एक तो सूर्यदेव आग के गोले बरसा रहे होते हैं और दूसरा पानी की किल्लत से भी सभी को दो-चार होना पड़ता है।
इस तरह से पूरा कोहराम मच जाता है। तब पता चलता है कि पानी की अहमियत क्या है, क्योंकि आम दिनों में हम पानी के बारे कभी फिक्रमंद ही नहीं रहते। पता नहीं हम हर रोज कितना ही पानी यूं ही व्यर्थ बहा देते हैं और जब गर्मी के दिनों में पानी की समस्या से निपटना पड़ता है तो समझ आता है कि पानी हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण व अमूल्य है। वाकई पानी, जो आसानी से हर जगह उपलब्ध है, वह हमारे लिए बहुत ही अनमोल है। यह इतना दुर्लभ है कि एक समय हम भोजन के बिना तो रह सकते हैं, लेकिन पानी न मिले तो मनुष्य जीवित ही न रहे। क्योंकि पानी हमारे लिए है ही इतना जरूरी। तो कह सकते हैं कि ‘पानी है तो जिंदगी है’।
बादशाह सिकंदर के बारे हमने बहुत पढ़ा है, सुना है। उसकी मौत पानी के न मिलने से ही हुई थी। दुनिया को जीतने वाला था सिकंदर और बेबीलोन (ईरान-ईराक) के जंगलों में तेज़ बुखार में तड़पता हुआ पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसते हुए मर गया। सैकड़ों साल पहले हुई यह घटना पानी के महत्व को समझने के लिए आज भी प्रासंगिक है, विचारणीय है। क्योंकि जीवन भी वही है और जरूरत भी वही है। आज भी जब हमें कहीं कोई पशु-पक्षी या व्यक्ति बेहोश हुआ मिलता है तो हम झट से उस पर पानी के छींटें डालते हैं, ताकि उसे बचाया जा सके। सही समय पर हमारा ऐसा प्रयास किसी की जान बचा सकता है।
गर्मी से बेबस जनमानस को ऐसी मदद की दरकार रहती है, क्योंकि यह गर्मी किसी के लिए बड़ी जानलेवा साबित हो सकती है। पानी न मिलने से असहाय पशु-पक्षी कई बार इस हालत में पहुंच जाते हैं। इसलिए हमें उन बेजुबानों का भी पूरा ध्यान रखना होगा। कई बार हम खुद भी असावधानी बरत जाते हैं। हमें भी गर्मी के इस मौसम में कहीं आने-जाने में पूरा सजग रहने की जरूरत है। कम से कम पानी की बोतल तो साथ लेकर चलें। क्या पता इससे किसी और की कहीं भी जान बचाई जा सके। अपने आस-पास पेड़-पौधों को पानी देकर बचाने के प्रयास करें, क्योंकि मनुष्य होने के नाते हमारा यह परोपकारी फर्ज भी बनता है। किसी को पानी पिलाना हमें सुकून देता है और यह कर्म हमें महान भी बनाता है। गर्मी के थपेड़ों में सूख रहे किसी हल्क को जब पानी से तर कर देते हैं तो हम अपना एक सर्वश्रेष्ठ कर्म पूरा कर लेते हैं।
याद करें, पिछली गर्मियों में हमने इस परोपकारी जलसेवा में कितना सहयोग दिया! किसी पशु-परिंदे, किसी पेड़-पौधे या व्यक्ति को पानी देकर हमने अपने हिस्से में एक और पुण्य का यह कर्म जोड़ा है या नहीं! अगर किया होगा तो आज भी आपको एक सुखद अहसास और प्रेरणा देगा। अगर नहीं किया तो इस बार करके देखना। आपको एक अद्द खुशी मिलेगी। आपकी आत्मा को भी बहुत सुकून मिलेगा। आप एक सकारात्मक ऊर्जा से भर उठेंगे। डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत पूज्य गुरु जी की पावन शिक्षाओं पर चलते हुए 168 मानवता भलाई कार्यों में ‘प्याऊ’ मुहिम के तहत जगह-जगह पानी की छबीलें लगाती हैं, राहगीरों को पानी पिलाती है व पशु-पक्षियों के लिए पानी का इंतजाम करती है। वहीं ‘ड्रॉप’ मुहिम के तहत ग्रामीण क्षेत्र व झुग्गी-झोपड़ियों में पेयजल फिल्टर स्थापित करके शुद्ध व ठंडा पानी उपलब्ध करवाते हैं।
गर्मी का ये मौसम बड़ा लाचार व बेज़ार कर देने वाला है। इसमें हर नज़र एक राहत की दरकार में रहती है। और सबसे उपयोगी साबित होती है पानी से मिलने वाली राहत। इसलिए इन दिनों हमें स्वयं का व दूसरों का ख्याल रखना जरूरी बन जाता है। यह मौसम हमें बहुत बड़ा सबक देने वाला भी होता है। पानी बचाने का सबक जो हमें इन दिनों देखने को मिलता है, उससे हम एक सीख हासिल कर सकते हैं। यह कि पानी को दूषित न होने दें, उसको संभाल कर रखें, व्यर्थ न बहने दें। मतलब कि पानी बेशकीमती धरोहर है, नियामत है, जिस पर हर किसी को गौर करनी होगी। हमें याद रखना होगा कि हमारे बड़े-बुजूर्गों ने जो पानी तालाबों व कुओं में देखा था, वो सब स्त्रोत सूख रहे हैं और आज हमें वो ही पानी कैंटरों, कैनों व बोतलों में देखने को मिल रहा है। यह किसी और का नहीं, बल्कि खुद मनुष्य का ही किया-धरा है। यह स्थिति और बदतर न हो, इसके लिए हमें संभलना होगा। अगर आज न संभले तो कल यह जल नहीं रहेगा और जल नहीं तो जीवन भी मुश्किल हो जाएगा।