नेगेटिव पीयर प्रेशर से बचें -टीनएज एक ऐसी उम्र होती है जब दोस्त ही पूरी जिंदगी लगते हैं। इस उम्र में बच्चों को माता-पिता का कुछ समझाना या सलाह देना, उन्हें डांटना या बात-बात पर टोकना बुरा लगने लगता है। उनके लिए जो वह खुद सोचते हैं, वही सही है। वह अपने दोस्तों में मस्त रहना, उनकी सुनना भी और उनके अनुसार चलना व पहनना पसंद करते हैं। इसके कारण वह अच्छे-बुरे का न सोच सकते हैं, न समझदारी से चल पाते हैं। ऐसे में बच्चों के व्यवहार में बदलाव नज़र आने लगता है।
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हमउम्र के कारण व्यवहार में बदलाव:-
- खान-पान व नींद में गिरावट नज़र आना।
- हर वक्त चिड़चिड़ा- सा रहना या सीधे मुंह जवाब न देना, बात न करना।
- चोरी, छेड़छाड़, मारपीट, जुआ, शराब, नशों जैसी गलत आदतों में पड़ जाना।
- स्कूल जाने के लिए उत्साह न दिखाना। मार्क्स में गिरावट या मनपसंद एक्टिविटी से किनारा कर लेना।
- बार-बार उदास होना, रह रह कर आँखें भर आना या बहुत निराशा जाहिर करना। इनके बढ़ने से बच्चा डिप्रेशन का शिकार हो सकता है।
हमउम्र साथियों के दबाव को पीयर प्रेशर कहा जाता है। जब क्लास के बच्चे ताना कसते हैं, उनका मजाक उड़ाते हैं, आपको देखकर उनका हंसना, आपकी उपस्थिति को नज़रअंदाज करना या बायकॉट कर देना, यह पीयर प्रेशर होता है। पीयर प्रेशर सिर्फ नेगेटिव नहीं बल्कि पॉज़िटिव भी होता है।
पॉजिटिव पीयर प्रेशर:-
उन बच्चों के साथ रहना जिससे बच्चों की न सिर्फ पढ़ाई पर बल्कि पूरी ग्रोथ पर असर पड़े, यह पॉजिटिव पीयर प्रेशर होता है।
- दूसरों को पढ़ता देखकर खुद भी पढ़ना।
- एक्टिविटीज़ में पार्ट लेना।
- अच्छा खाना खाकर अपनी सेहत का ध्यान रखना।
- क्लास में उत्साहित होकर बैठना।
- हर विषय की टीचर को जवाब देने की कोशिश करना।
- अच्छी फिल्में देखना।
- अपने दोस्तों या जरूरतमंदों की मदद करना।
नेगेटिव पीयर प्रेशर:-
नेगेटिव पीयर प्रेशर से बच्चे का तौर तरीका बदलने लगता है, वह गलत आदतों में पड़ने लगते हैं जिससे उनका आत्मविश्वास डगमगाता है।
- सबसे हर समय झूठ बोलना।
- खाने-पीने व नीेंद पर ध्यान न देना।
- शराब, सिगरेट, जुआ खेलना जैसे नशों की चपेट में आ जाना।
- महंगा, ब्रांडेड सामान खरीदना और मनपसंद गैजेट्स न मिलने पर चीखना चिल्लाना।
- हर समय गुस्से में रहना और सबसे बदतमीजी से बात करना।
- चोरी, छेड़छाड़ या मारपीट जैसे अपराधों में लिप्त हो जाना।
- हर समय मोबाइल या कंप्यूटर में जुटे रहना।
सुझाव:-
अगर बच्चे नेगेटिव पीयर प्रेशर में आकर इन आदतों को जिंदगी में शामिल कर देते हैं तो उन्हें सही मार्ग दिखाना जरूरी है। इसके लिए बच्चों के साथ-साथ माता-पिता एवं टीचर को मिलकर काम करना होगा।
सेल्फ हेल्प:-
- अपने आप से एवं अपने माता-पिता से ईमानदार होना अनिवार्य है।
- सही-गलत का फर्क खुद पहचानें और गलत कामों से मुंह मोड़ लेना चाहिए।
- किसी भी समस्या का हल निकालने पर माता-पिता की सहायता लें।
- शो-आॅफ’ में न पड़कर अपने माता-पिता की जेब के अनुसार चलें।
- इस बात को समझें कि आपके माता-पिता आपके भले के लिए ही आपको डांटते हैं। इससे आपको फायदा ही होगा।
- पीयर प्रेशर के कारण अपनी बेहतर आदतों और सम्मान को दाव पर ना लगाएं।
पेरेंटस का रोल:-
- आपके बच्चे के दोस्त कैसे हैं जरूर जानिए। अपने बच्चे से कह कर उसके दोस्तों को घर बुलाएं ताकि आपको उसकी संगति का अंदाजा हो।
- बच्चों को महंगी चीजें न दिलवाएं। उसे सही तरीके से जेब के अनुसार ही खर्च करना सिखाएं।
- अपने बच्चे से बातचीत करें ताकि वह आपसे बातें शेयर करना पसंद करें।
- अगर आपको उनकी कोई बात गलत लग रही है जो वह अपने दोस्तों के दबाव में सोच रहा है, तो उनसे बैठ कर आराम से बात करें और उन्हें बात समझाएं, डांट डपट न करें।
- अगर आपको उनका ग्रुप सही नहीं लग रहा तो और दोस्त या नए दोस्त बनाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करें।
- आप उनके दोस्तों या जान पहचान का दायरा बढ़ाने के लिए उन्हें परिवार के उत्सवों में ले जाएं।
- उन्हें किसी एक्टिविटी जैसे क्रि केट, फुटबाल, स्विमिंग, सिंगिंग, डांसिंग, म्यूजिक यंत्र सीखने में दाखिला दिलाएं।
टीचर के लिए टिप्स:-
- बच्चों की सीट बदलती रहें ताकि क्लास में बच्चों की दोस्ती बढ़े।
- क्लास में शरारती बच्चों को हावी न होने दें।
- नए बच्चों की रैंगिंग न होने दें बल्कि उन्हें सपोर्ट करें।
- बच्चों पर चीखें नहीं बल्कि प्यार से बात समझाएं।
- बच्चा अगर जवाब देते समय हकलाए या अटके तो उसका मजाक ना बनाएं, ना ही बनने दें, बल्कि उससे आसान सवाल पूछें।
- बच्चों को पढ़ाते समय अच्छी बातें व वेल्यूज देकर उनमें अच्छे संस्कार डालें।
- बच्चों पर पढ़ाई का दबाव न डालें। बच्चों में तुलना भी न करें। हर बच्चे की परिस्थिति दूसरे से भिन्न होती है, इस बात पर ध्यान दें।
-शिवांगी झाँब