पर्व की परंपरा मनाएं, पतंग उड़ाएं लोहड़ी व मक्कर सक्रांति विशेष त्यौहार है, इसलिए इस दिन देर तक सोने का कोई औचित्य नहीं है। बच्चों से लेकर बड़ों तक, सभी को सूर्य उदय से पहले नींद से जगा दें। पर्व की रस्में निभाएं।
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जल्दी उठने की शुरूआत भी अब से की जा सकती है।
दान करें:
मकर संक्रांति को दान-पुण्य का दिन माना जाता है। यदि आप पूरब की खिचड़ी दान की परम्परा को जानना चाहते हैं, तो समझिए कि इस दिन परिवार का हर इंसान ऐसी सामग्री दान करता है जिससे कोई एक व्यक्ति त्यौहार खुशी से मना पाए। इस दान के सामान में होते हैं,
- दाल,
- चावल,
- आलू,
- गाजर,
- अमरूद,
- बेर,
- खड़ी मिर्च,
- नमक,
- थोड़ा-सा घी और लड्डू।
यानी खिचड़ी बनाने का पूरा सामान, फल और लड्डू तथा कुछ रुपए जरूरतमंद को दिए जाते हैं। अगर इससे पहले इस पर्व पर कभी दान नहीं किया है, तो इस संक्रांति दान जरूर करें और दान करने की परम्परा आरम्भ करें।
घर को पर्व रूप दें:
त्यौहार घर पर ही मनाना है, तो कुछ सजावट कर लीजिए। गेंदे के फूलों की लड़ियां लगाएं। आंगन या छत को रंग-बिरंगी पतंगों से सजा दीजिए। घर के जिस हिस्से में परिवार के साथ बैठने वाले हैं और पतंग उड़ाने वाले हैं, उसे चटख रंग के कपड़ों से सजा सकते हैं। छत पर एक कैम्प लगा लीजिए, जहां खाने-पीने का सामान रखकर, पूरे दिन पतंग उड़ाकर मकर संक्रांति का त्यौहार मनाइए।
पतंग उड़ाएं:
छत पर पतंग उड़ाने जैसा कोई खेल नहीं हो सकता, जिससे घर पर ही रहकर, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पर्व का आनंद उठाया जा सके।
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लोहड़ी व मक्कर सक्रांति के आहार-विहार
दिन-रात अपने कद की अदला-बदली करने वाले हैं। सूर्य अब प्रखर होंगे। इस मेल के साक्षी है लोहड़ी और मकर संक्रांति व इस दिन मनाए जाने वाले अन्य राज्यों के पर्व। अब खान-पान भी बदलेगा और विहार भी। तो चलिए देखते हैं कि कैसा है पर्व सम्मत आहार जो पौष्टिक भी है, और स्वाद-भरा भी।
मिठास और विटामिन:
लोहड़ी की रात यह प्रसाद अर्पित होता है और फिर भर-भर के इसे खाते हुए खूब खुशियां मनाई जाती हैं। इसमें शामिल होते हैं पॉपकॉर्न, मूंगफली, चावल के फुल्ले और गुड़-तिल की रेवड़ी। पौष्टिकता की दृष्टि से ये एक तरह से पूर्ण आहार हो जाता है क्योंकि मूंगफली, फुल्ले और पॉपकॉर्न के मिश्रण से प्रोटीन मिलता है, फुल्ले और तिल आयरन देते हैं, तिल से कैल्शियम, ओमेगा-3 जिंक आदि मिलते हैं। फुल्लों से विटामिन-ए भी प्राप्त हो जाता है। मूंगफली और तिल फैट के भी अच्छे स्रोत हैं। मधुमेह के रोगी तिल की रेवड़ी की जगह प्रसाद में सादे तिल का सेवन कर सकते हैं।
गुड़ की रोटी:
इस पर्व पर गुड़ की रोटी, दही भल्ले और लस्सी भी भोजन में शामिल किए जाते हैं। सभी प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन-ए और ऊर्जा से भरपूर खाद्य हैं। विटामिन-ए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में आवश्यक है, जो ठंड के मौसम के लिए जरूरी है, सो इसके बेहतरीन स्रोत मक्के की रोटी और सरसों के साग को इन दिनों खूब खाया जाता है।
खिचड़ी:
मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाई जाती है, इसमें कई सब्जियां डाली जाती हैं। दाल और चावल के मिश्रण से आवश्यक प्रोटीन मिलता है तथा सब्जियों से सूक्ष्म पोषक तत्व, विटामिन व खनिज मिल जाते हैं। इस खिचड़ी को संपूर्ण रुप से पौष्टिक बनाने के लिए वसा जरुरी है, सो वो घी के रुप में मिलाकर जोड़ ली जाती है।
गुड़-तिल के लड्डू:
संक्रांति पर तिल गुड़ खाने की परम्परा है। कहीं लड्डू आटे और तिल के बनते हैं, तो कहीं गुड़ में तिल और मूंगफली डालकर। कुल मिलाकर प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम और विटामिन के अच्छे स्रोत बन जाते हैं।
मधुमेह के रोगियों के लिए इस पर्व पर कुछ मीठा बनाना हो, तो मूंगफली और तिल का मीठा बना सकते हैं, जिसे बांधने के लिए अंजीर को भिगोकर-कूटकर इस्तेमाल करें। इस मीठे का बहुत सीमित मात्रा में ही उपयोग करें, केवल त्यौहार पर मुंह मीठा करने जितना।