Best Happy New Year 2022

गुजरते साल ने जो कुछ सिखाया, वो जीवन-भर के सबक
इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि बरस 2021 मुश्किलों और चुनौतियों भरा साल रहा।

कितना कुछ सहा हम सबने, लेकिन अब जरा नजर पलट कर देखिए। क्या सिखा गया हमें 2021? कितनी बातें रहीं, जिन पर शायद हमने पहली मर्तबा गौर किया। कितने काम ऐसे थे, जिन्हें पहले कभी करने का ख्याल भी नहीं आया होगा।

देखते हैं, कैसे पिछले बरस के अनुभव आगे आएंगे काम।

नए कार्यों की संभावनाएं:

कोरोना काल के बाद से अब तक अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं लौटी है। इसके साथ ही एक सबसे बड़ा कारण रहा किसान आंदोलन, जिसके कारण देश का अन्नदाता भी धरनों-प्रदर्शनों में बैठा रहा। इसके अलावा बेमौसमी बरसात से फसलों का नुक्सान। धरना-प्रदर्शनों के कारण बड़े मार्गों पर जाम रहने से भी व्यापार क्षेत्र को बड़ा धक्का लगा। कृषि क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है, इसीलिए अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे उभर रही है। लेकिन इस समय को यदि सकारात्मक दृष्टिकोण से देखा जाए, तो कुछ किसानों ने अपनी मानसिकता को बदला वहीं बिजनसमैन लोगों ने भी मेक इन इंडिया के तहत कई नए बिजनस शुरू किए। वास्तव में बिजनस क्षेत्र के कार्यों में कई प्रकार के बदलाव हुए हैं। रोजगार की कमी के बीच लोगों ने अपने बिजनस को महत्व दिया और कई नई संभावनाओं को तलाशा।

शादियों से बाजार हुए गुलजार:

वर्ष 2021 में लोगों को कोरोना से राहत मिली। देश धीरे-धीरे अनलॉक की तरफ बढ़ता गया। पाबंदियों व मास्क, सैनीटाइजर को लोग भूलते गए। बाजारों में पहले की तरह भीड़ उमड़ी और रौणक दिखने लगी। दीपावली के त्यौहार पर भी पहले जैसा नजारा देखा गया। सबसे बड़ी बात विवाह-शादियों की है। हमारे देश में शादियां कितनी धूम-धाम से मनाई जाती हैं। लंबे समय से शादियों की रौणक खत्म थी, 2021 में शादियों के जुड़े व्यापार भी गुलजार हुए। रिश्तेदारों ने पहले की भांति बिना मास्क के शादियां अटैंड की।

तीन कृषि कानून वापिस:

2021 की सबसे बड़ी यादगार तीन कृषि कानून हैं। इन कानूनों की वापिसी को लेकर पिछले एक वर्ष से किसान आंदोलन कर रहे थे। हालांकि इस आंदोलन में कई किसानों की मौत भी हुई। आखिर केंद्र सरकार को अपना फैसला वापिस लेना पड़ा। नवंबर 2021 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के नाम संबोधन के दौरान किसानों से माफी मांगते हुए तीन कृषि कानूनों को वापिस लेने का फैसला किया और राज्य सभा में कानून वापिसी को लेकर प्रस्ताव पारित किया।

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‘डायरी’ बनेगी आपका सच्चा साथी

प्लानर या डायरी हम सभी के पास होते हैं। कुछ लोग इसमें महीने भर में होने वाले खर्चों का लेखा-जोखा रखते हैं, तो कुछ रोजमर्रा के कामों की सूची और योजनाएं।

इस साल में भी आपने कई योजनाएं बनाकर रखी होंगी। लेकिन अक्सर इस तरह की योजनाएं चंद दिनों में ध्वस्त हो जाती हैं। कुछ सुझाव आप से साझा कर रहे हैं जिसकी मदद से आप अपने स्वास्थ्य, वित्त और दिनचर्या का नियम से पालन कर सकते हैं। यह एक तरह का ट्रैकर होगा, जो आपकी हर योजना पर नजर रखेगा।

ट्रैकर बनाएं:

अपनी दिनचर्या और जरूरी कार्यों को डायरी में रोज, सप्ताह और महीने के मुताबिक बांट लें। यदि व्यायाम, फल खाने जैसी दिनचर्या का रोज पालन करना है, तो इन्हें दिन और तारीख सहित प्लानर के पन्ने पर लिखें और इनके आगे एक खाली बॉक्स बनाएं। यदि नियम का पालन किया है, तो उस पर सही का निशान लगाएं और जो भूल गए हैं, उस पर गलत का निशान लगा दें। महीने के खर्चों और कार्यों की सूची महीने की शुरूआत होने से पहले एक-साथ तैयार कर लें। जब दिनचर्या या कार्यों को इस पर लिखेंगे और पूरा न होने पर जब निशान लगाएंगे, तो कुछ दिन बाद काम याद रहने लगेंगे।

खुद की सेहत का ट्रैकर:

प्रतिदिन कितने गिलास पानी पी रहे हैं, इसके लिए गिलास के मुताबिक बॉक्स बना लें। मान लीजिए, दिन में छह गिलास पानी पीना तय किया है, तो हर दिन छह छोटे गोले या बॉक्स बना लें। रात को इन पर निशान लगाएं। यदि पांच पर ही सही लगा होगा, तो आप अगले दिन खुद ही उनकी गिनती बढ़ाने के लिए मन से तैयार होंगे। इसी तरह सोने का समय और आज कितना जंक फूड खाया, कितना स्वस्थ भोजन लिया, रोज का एक फल खाया या नहीं आदि की सूची भी ट्रैकर में लिख सकते हैं। दवाइयों की नियमितता भी डायरी में लिखें।

बचत और खर्चों का लेखा-जोखा:

वित्त से जुड़े कार्यों को रोज, सप्ताह और महीने में बांट सकते हैं। छोटी-छोटी चीजों पर रोजाना थोड़ा बहुत खर्च होता ही है। पर इनके अतिरिक्त खर्च कर रहे हैं, तो प्लानर में लिखें। इससे आप फिजूल के खर्चों पर नजर रख सकेंगे। महीने के बिल, राशन, किराया आदि देना याद रखने में ट्रैकर मदद करेगा।

जरूरत याद रख सकेंगे:

सप्ताह, महीने और साल के कुछ ऐसे खर्च भी हैं जो हमारी आवश्यकता हैं। साल में एक बार कार या दो पहिया वाहन को जांच और सर्विसिंग करवानी भी जरूरी है। जिस दिन इसे शोरूम में लेकर जाएं, तो उसकी तारीख लिख लें। इसी तरह नया गैस सिलेंडर कब बुक करना है और किस तारीख को इसे इस्तेमाल में लेना शुरू किया था, वो भी लिखें। गैस कितने दिन तक चली-इसका अंदाजा रहेगा। इसी तरह अन्य खर्चें लिखें और अनावश्यक खर्चों से बचें।

बच्चों को भी सिखाएं:

बच्चे अपना काम खुद करें और जिम्मेदार बनें, इसके लिए उन्हें भी एक डायरी दें। यदि बच्चे ने अपना कमरा व्यवस्थित नहीं किया है, तो उसे भी लाल से निशान बनाने के लिए कहें। खेल और पढ़ाई का समय तय करें।

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