परमार्थ के रूप में मनाया अवतार दिवस

परमार्थ के रूप में मनाया अवतार दिवस
परमार्थी कार्यों के लिए हमेशा अग्रणी रहने वाला डेरा सच्चा सौदा अपने हर कार्यक्रम को समाज की भलाई के लिए समर्पित करता रहा है। पावन अवतार दिवस पर भी डेरा सच्चा सौदा ने अपने परमार्थी कार्यों की लड़ी को आगे बढ़ाते हुए जरूरतमंदों के लिए 4505 यूनिट रक्तदान किया, वहीं बीमारियों से पीड़ित 1030 लोगों को मुफ्त चैकअप व दवाइयां उपलब्ध करवाई। डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत ने भी इस पावन दिवस के उपलक्ष्य में कई भलाई कार्य किए।

बता दें कि डेरा सच्चा सौदा की ओर से 134 मानवता भलाई कार्य किए जा रहे हैं, जिन्हें साध-संगत अपने ब्लॉकों में बतौर सेवा के रूप में करती है। पावन अवतार दिवस नवंबर माह की खुशी में साध-संगत ने 4 निर्धन परिवारों को पूरा घर बनाकर दिया, जिसमें मकान, रसोई, स्रानघर व चारदीवारी शामिल है। नामचर्चा के दौरान ब्लाकों के जिम्मेवार सदस्यों द्वारा इन घरों की चाबियां परिवारों के मुखिया को सौंपी गई। नामचर्चा के दौरान ही साथी मुहिम के तहत 12 दिव्यांगों को ट्राई साइकिलें भी प्रदान की गई। वहीं डेरा सच्चा सौदा की ओर से आत्म सम्मान मुहिम के तहत 15 जरूरतमंद महिलाओं को सिलाई मशीनें दी गई ताकि वे स्वयं का रोजगार चलाने में सक्षम हो पाएं।

नामचर्चा से पूर्व आयोजित रक्तदान शिविर का शुभारंभ आदरणीय शाही परिवार ने धन धन सतगुरू तेरा ही आसरा का पवित्र नारा लगाकर किया। कैंप में अलग-अलग राज्यों की दस टीमें रक्त संग्रहण के लिए पहुंची हुई थी, जिसमें लॉयंस ब्लड बैंक नई दिल्ली, लाइफ केयर ब्लड बैंक जयपुर, गुरूनानक ब्लड बैंक लुधियाना, सर्वोेदय ब्लड बैंक हिसार, बापू मग्घर सिंह जी इन्टरनेशनल ब्लड बैंक सरसा, गोयल ब्लड बैंक भठिंडा, पुरोहित ब्लड बैंक श्री गंगानगर, लोकमान्य ब्लड बैंक गोंडेया महाराष्टÑ, लाइफ लाइन ब्लड बैंक नागपुर महाराष्टÑ की टीमें शामिल थी।

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शिविर में रक्तदाताओं का उत्साह भी देखते ही बन रहा था। रजिस्ट्रेशन के लिए सेवादारों की लंबी-लंबी लाइनें यह दर्शा रही थी कि रक्तदान में डेरा सच्चा सौदा का कोई सानी नहीं है। खून दान करने का ऐसा जज्बा अन्यंत्र कहीं देखने को नहीं मिल सकता, क्योंकि यहां 60 साल का बुजुर्ग भी रक्तदान करने की इच्छा रखता है, वहीं टीनऐज के युवा भी ऐसे परमार्थी कार्यों के लिए लालायित रहते हैं। तभी डेरा सच्चा सौदा के हर रक्तदान कैंप में टारगेट से ज्यादा रक्त यूनिट एकत्रित हो जाता है।

सेवादारों का लाजवाब समर्पण, सेवा, सहयोग

पावन अवतार दिवस पर इतनी बड़ी संख्या में पहुंची साध-संगत के लिए पूरी व्यवस्था का दारोमदार सेवादारों के कंधों पर ही टिका था। डेरा सच्चा सौदा के सेवादारों का सेवा का जज्बा हमेशा ही बेमिसाल रहा है। इस बार भी पावन दिवस पर उमड़ी साध-संगत के लिए सेवादारों ने जिस समर्पण से सेवा का नमूना पेश किया वह अपने आप में लाजवाब था। सेवादारों द्वारा साध-संगत के लिए की गई हर व्यवस्था चाहे वो ट्रैफिक हो, सफाई हो, पेयजल हो, मेडिकल हो, लंगर हो या दिव्यांग-बुजुर्गों को सत्संग पंडाल या उनके गंतव्य तक पहुंचाना हो, हर सेवा देखने योग्य थी।

हजारों की संख्या में सेवादारों ने जिस नि:स्वार्थ भाव से पूरी व्यवस्था को मैनेज किया उसकी हर कोई प्रशंसा कर रहा था। खास बात यह भी है कि इन सेवादारों में एक आम इन्सान से लेकर प्रोफेसर, डाक्टर, वकील जैसे बड़े रसूख वाले लोग भी शामिल हैं जो मानवता की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। डेरा सच्चा सौदा के इस विशाल कार्यक्रम को लेकर संगत एक दिन पूर्व ही आनी शुरू हो गई थी, वहीं कार्यक्रम के अगले दिन तक साध-संगत आश्रम में बड़ी संख्या में मौजूद रही। यानि तीन दिन तक चले इस विशेष आयोजन पर बड़े स्तर पर संगत की आवाजाही रही, लेकिन सेवादारों ने हर सेवा क्षेत्र में बड़ी उत्सुकता व लगन से कार्य किया।

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यहां तक आश्रम में सफाई व्यवस्था का जिम्मा भी इन सेवादारों ने ही संभाले रखा। सेवादार गुरबचन सिंह, नरेश कुमार, विजय आदि ने बताया कि मानवता की सेवा ही उनका मुख्य ध्येय है, पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां से उन्हें यही शिक्षा हमेशा मिली है कि जितना हो सके दीन-दुखियों की सेवा करो, सेवा के हर कार्य में बढ़-चढ़कर भागीदारी करते रहो।

वाहनों से अटे रहे ट्रेफिक ग्राउंड

डेरा सच्चा सौदा की प्रबंधन समिति की ओर से पावन अवतार दिवस के उपलक्ष्य में कई दिन पूर्व ही तैयारियां शुरू कर दी गई थी। खासकर ट्रेफिक पंडालों को लेकर विशेष प्रबंध किए गए थे। कई जगह ट्रेफिक ग्राउंड बनाए गए थे, लेकिन साध-संगत का अथाह प्रेम इस कदर उमड़ा कि यह ग्राउंड ओवर फ्लो हो गए।

  डेरा सच्चा सौदा की ओर आने वाले वाहनों की लाइनें इस कदर लंबी होती चली गई कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थीं। दोपहर तक ट्रैफिक पंडालों में इस कदर वाहन पहुंच चुके थे कि सेवादारों को कई वैकल्पि ग्राउंड हाथों-हाथ तैयार करने पड़े। हालांकि यातायात का जिम्मा संभाल रहे सेवादारों को ट्रेफिक व्यवस्था को दुरूस्त बनाए रखने के लिए काफी दौड़-धूप करनी पड़ी, लेकिन इन सेवादारों की मेहनत सदका साध-संगत को लेशमात्र भी परेशानी नहीं हुई।

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