Bal Katha

बाल कथा : परीक्षा में प्रथम कौन आया

राजू और सीनू दोनों पिंटू की कक्षा में पढ़ते थे। एक बार उन में परीक्षा में प्रथम स्थान पाने के लिए होड़ लग गई थी। तब वे 10वीं कक्षा में थे।
राजू कहता था, इस साल मैं ही प्रथम आऊंगा। दूसरी तरफ सीनू कहता था, पढ़ाई में मुझ से आगे निकलने वाला छात्र तो कोई है ही नहीं।

पहली मासिक परीक्षा में सीनू कक्षा में प्रथम आया। दूसरे नंबर पर राजू था। उस के सीनू से केवल 25 अंक कम थे। अब तो सीनू अपने सभी दोस्तों को अपने से छोटा समझने लगा। उसे घमंड हो गया। राजू भी सीनू से कुछ कुछ दबने लगा किंतु इस परीक्षा के बाद उस ने पहले से ज्यादा मेहनत करनी शुरू कर दी। खेल की जगह उस ने पढ़ाई में ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया।

अगली मासिक परीक्षा में पहले नंबर पर तो सीनू ही रहा पर इस बार राजू के उस से केवल 15 अंक ही कम थे। एक दिन हंसी-हंसी में कक्षा के कुछ छात्र पिंटू से कहने लगे, ’पिंटू, तुम भी काफी समझदार हो, यदि तुम मेहनत करो तो परीक्षा में सीनू और राजू दोनों से ज्यादा अंक प्राप्त कर सकते हो।

उस समय तो पिंटू उनकी बात सुन कर हंस पड़ा था पर उस दिन से पिंटू ने भी मन लगाकर पढ़ना-लिखना शुरू कर दिया। घर आकर पिंटू कड़ी मेहनत करने लगा। खेलने के लिए पिंटू ने केवल शाम को 5 से 6 बजे तक का समय ही तय किया। रात को पिंटू् 10 बजे तक पढ़ता और सुबह पढ़ने के लिए ठीक 4 बजे उठ जाता था।

पिंटू को इतनी मेहनत करते देखकर उस के पापा को बड़ी खुशी हुई। एक दिन वह पिंटू से बोले, ’पिंटू, क्या कक्षा में प्रथम आने की तैयारी कर रहे हो? पिंटू ने कहा, ’पापा, प्रथम तो मैं क्या आ सकता हूँ। हमारी कक्षा में सीनू और राजू, दो ऐसे लड़के हैं जिन से आगे निकलना मुश्किल है। फिर भी मेहनत से पढ़ना तो हर छात्र का कर्तव्य है।

पिंटू की बात सुनकर पापा पहले तो मुस्कुराए, फिर कहने लगे, ‘देखो, पढ़ाई में सफलता पाने के दो गुर तो मैं तुम्हें बता सकता हूँ। पहला गुर यह है कि कक्षा में टीचर जो पढ़ाते हैं, उस पर पूरा ध्यान दो। दूसरा गुर यह है कि अपनी लिखाई सुधार लो। सुंदर और शुद्ध लिखाई से प्रश्नपत्र जांच करने वाले पर एकदम अच्छा असर पड़ता है।

पिंटू ने पापा की बात पर अमल करना शुरू कर दिया। कक्षा में पिंटू ध्यान से पढ़ने लगा। इससे उसे बहुत फायदा हुआ। उसे पाठ कक्षा में ही याद होने लगे। घर पर आ कर रटने की जरूरत बहुत कम रह गई। अब लिखने के लिए पिंटू को खूब समय मिलने लगा। लिखने से हर पाठ के एकएक शब्द से परिचित होने लगा।

इस मेहनत का फल तीसरे ही मास दिखाई देने लगा। पिंटू का कक्षा में चौथा स्थान रहा। हैरानी यह थी कि इस बार राजू प्रथम आया था और सीनू द्वितीय। सीनू ने केवल 5 अंक कम पाए थे। राजू और सीनू के इस मुकाबले में अब कक्षा शिक्षक भी रूचि लेने लगे थे।

देखते ही देखते कई महीने बीत गए और वार्षिक परीक्षा को 2 महीने ही रह गए। इस बीच की परीक्षाओं में कभी राजू 2-3 अंक ज्यादा लेता रहा तो कभी सीनू 5-6 अंक ज्यादा पाता रहा। एक दिन कक्षा में सीनू और राजू की खूब चर्चा हुई। एक छात्र प्रवेश कहने लगा, ’मैं दावे से कहता हूं कि इस बार वार्षिक परीक्षा में सीनू ही प्रथम आएगा।

इस पर कई छात्र जो राजू के दोस्त थे, कहने लगे, ‘नहीं, राजू सीनू को मात दे देगा। इस तरह सब अपनी अपनी बात दावे सहित कहने लगे। सभी छात्र खूब मेहनत करने लगे। धीरे-धीरे वार्षिक परीक्षा भी खत्म हो गई। परीक्षा परिणाम निकलने से 2 दिन पहले कक्षा के 10-15 छात्र मिल कर झील पर नाव चलाने के लिए गए। इन में सीनू, राजू और पिंटू भी शामिल थे। नाव में सैर करके हंसते-खेलते जब वे लौट रहे थे तो रास्ते में उन के कक्षा शिक्षक मिल गए।

पिंटू पर नज़र पड़ते ही लपक कर कक्षा शिक्षक ने पिंटू का हाथ पकड़ लिया और बोले, ’पिंटू, वाह! तुम ने तो कमाल ही कर दिया। इस बार तुम प्रथम आए हो। हैं! कह कर सारे छात्र शिक्षक को घेर कर खड़े हो गए थे। बाद में पिंटू को बधाई देने वालों में से राजू और सीनू सब से आगे थे।
-नरेंद्र देवांगन

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here
Captcha verification failed!
CAPTCHA user score failed. Please contact us!