सिर्फ प्रकृति के माध्यम से पूर्ण स्वास्थ्य Naturopathy
नेचूूरोपैथी का मूल सिद्धांत यह है कि शरीर से विजातीय तत्वों को बाहर निकालना और जीवन शक्ति को बढ़ावा ही असली उपचार है। जब शरीर में ये विजातीय तत्व बढ़ जाते है। तो वात, पित्त और कफ का संतुलन बिगड़ने लगता है। और साथ ही पंच महाभूतों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) का संतुलन भी कमजोर हो जाता है। लेकिन जब हम शुद्ध, प्राकृतिक और जीवन शक्ति से भरपूर आहार का सेवन करते हैं तो हमारा शरीर स्वयं अपनी चिकित्सा करने की शक्ति को पुन: प्राप्त कर लेता है और धीरे-धीरे वात, पित्त व कफ असंतुलन में आ जाते हैं, जिससे स्वास्थ्य अपने आप लौट आता है। ‘सच्ची शिक्षा’ की ओर से नेच्युरोपैथी विषय पर चिकित्सक जितेंद्र सिंह इन्सां (बी.ए.एम.एस.(ए.एम.) से की गई बातचीत के कुछ अंश:
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प्रकृति से दूरी और शरीर में होने वाले परिवर्तन
डॉ. जितेंद्र सिंह इन्सां बताते हैं कि आज की आधुनिक जीवनशैली में मनुष्य धीरे-धीरे प्रकृति से दूर होता जा रहा है, यही कारण है कि उसका शरीर भी बीमारियों की ओर बढ़ता जा रहा है। नेचुरोपैथी के अनुसार, जब हम प्राकृतिक तत्वों से दूर हो जाते हैं, तो शरीर और मन में असंतुलन शुरु हो जाता है। नेचुरोपैथी यही सिखाती है कि प्राकृतिक तत्वों के साथ सामंजस्य में जीना ही सच्चा स्वास्थ्य है।
सूर्य से दूरी:-
सूर्य से हमें विटामिन डी और जीवन के लिए आवश्यक ऊर्जा प्राप्त होती है। यदि हम सूर्य से दूरी बनाते हैं तो हमारे शरीर की हड्डियां कमजोर, मन उदास, थकान और रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है।
चंद्रमा से दूरी:-
चंद्रमा हमारे मन, विचारों और हार्मोन संतुलन पर असर डालता है। ऐसे में यदि हम चंद्रमा की ऊर्जा से दूर होते हैं तो तनाव, अनिंद्रा, मूड स्विंग और मानसिक बेचैनी जैसी समस्याएं सामने आने लगती हैं।
मिट्टी से दूरी (धरती तत्व):-
मिट्टी में ऐसे सूक्ष्म तत्व होते हैं जो मानव शरीर के चार्जिंग सिस्टम को संतुलित करते हैं। जब इन्सान मिट्टी से दूर होता है तो शरीर में स्टेटिक चार्ज, तनाव, त्वचा रोग और ऊर्जा की कमी दिखाई देने लगती है।
पर्याप्त पानी न पीना:-
बहुत से इन्सान दिनभर कार्य के बावजूद पर्याप्त पानी नहीं पीते हैं। पानी शरीर की सफाई करता है। कम पानी पीने से विषैले तत्व शरीर में जमा हो जाते हैं, जिससे त्वचा सूख जाती है और पाचन खराब हो जाता है।
समय पर सही भोजन न करना:-
जब हम गलत समय पर और पोषण रहित भोजन करते हैं तो शरीर में गंदगी जमा हो जाती है। प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स और गुड फैट की कमी इसी का कारण है।
शारीरिक व्यायाम की कमी:-
व्यायाम शरीर की तंदरुस्ती के लिए बेहद जरूरी है। गति की कमी से वात दोष बढ़ता है। इसके कारण: शरीर में दर्द, कमजोरी, मन की थकावट, और सोचने की क्षमता कमजोर हो जाती है, जो धीरे-धीरे बीमारियां बन जाती हैं।
प्राकृतिक तत्वों का प्रदूषण और उसका शरीर पर प्रभाव:-
प्रकृति ने हमें जीवन जीने के लिए तीन मुख्य तत्व दिए हैं हवा, पानी और भोजन। लेकिन आज का इन्सान इन्हीं जीवनदायिनी तत्वों को रासायनिक और कृत्रिम तरीकों से दूषित कर चुका है।
भोजन में मिलावट और रसायन का प्रयोग
आज अधिकांश खाद्य पदार्थों में कीटनाशक, रक्षार्थक रसायन और कृत्रिम रंग मिलाए जा रहे हैं। बहुत सी वस्तुएं तो पूरी तरह से रसायनों से बनी होती हैं, जैसे- फास्ट फूड, प्रोसेस्ड पैकेज्ड फूड आदि। यह सब हमारे शरीर में जाकर पाचन तंत्र, लीवर, हार्मोन, त्वचा और दिमाग को नुकसान पहुंचाते हैं।
जल का शुद्धिकरण और उसका प्रभाव
आज अधिकतर लोग पानी को फिल्टर या आरओ से साफ करके पीते हैं। इससे पानी के अंदर मौजूद प्राकृतिक खनिज तत्व जैसे कैल्शियम, मैग्नशियम, फ्लोराइड आदि भी हट जाते हैं। यदि पानी बिना फिल्टर पीया जाए, तो उसमें मौजूद केमिकल, बैक्टीरिया या दवाओं के अंश शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। दोनों ही स्थितियां शरीर के लिए हानिकारक होती हैं।
वायु प्रदूषण
फैक्ट्रियों, वाहनों, और केमिकल उद्योगों से निकलने वाला धुआं और रसायन वातावरण को प्रदूषित कर रहे हैं। यह प्रदूषित वायु हमारे फेफड़ों के द्वारा शरीर में प्रवेश करती है और श्वसन रोग, एलर्जी, अस्थमा, हार्ट प्रॉब्लम, तथा यहाँ तक कि कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बनती है।
परिणाम- बढ़ती बीमारियाँ:-
इस दूषित हवा, पानी और भोजन के कारण आज हर उम्र का व्यक्ति पीड़ित हो रहा है। हृदय रोग, किडनी रोग, लीवर की समस्या, त्वचा रोग, डायबिटीज, थायराइड, हार्मोनल इमबैलेंस और मानसिक तनाव आदि तेजी से बढ़ रहे हैं।
एमएसजी नेचुरोपैथी Naturopathy में उपचार की प्रक्रिया
एमएसजी नेचुरोपैथी सेंटर में इलाज की शुरुआत शरीर के पंच तत्वों और तीन दोषों वात, पित्त और कफ की स्थिति की जांच से होती है। यह समझा जाता है कि शरीर में किस दोष का असंतुलन है और मूल कारण क्या है।
दोषों की पहचान
सबसे पहले यह देखा जाता है कि शरीर में कौन सा दोष (वात, पित्त या कफ) बढ़ा हुआ है। इसके अनुसार आगे का उपचार तय किया जाता है।
यदि दोष भोजन और पानी में संतुलित हो सकते हैं:
ऐसे व्यक्ति को एक विशेष डाइट प्लान दिया जाता है। जिसे वह घर पर रहते हुए ही फॉलो कर सकता है। इस डाइट में प्राकृतिक, बिना रसायन वाले, मौसमी और संतुलित तत्व होते हैं। कोई दवाई नहीं, सिर्फ प्राकृतिक खानपान।
यदि दोष योग या व्यायाम से संतुलित हो सकते हैं:
ऐसे व्यक्ति को उसके अनुसार योग अभ्यास या हल्के व्यायाम बताए जाते हैं। जिन्हें वह घर पर ही कर सकता है। इससे गतिशीलता ऊर्जा और मानसिक संतुलन वापस आता है।
यदि बीमारी का मूल कारण शरीर में गंदगी का जमाव है:
ऐसे शरीर से उस गंदगी को बाहर निकालने के लिए नैच्यूरल डिटोक्स थैरेपी की जाती है। जैसे हाइड्रोकोलोन थेरेपी, मिट्टी चिकित्सा, जल चिकित्सा, स्टीम बाथ, सन बाथ, एनिमा आदि। इसमें न दवाइयों की जरुरत होती है, न किसी आॅपरेशन की।
एमएसजी नेचुरोपैथी Naturopathy – दिव्य वरदान
एमएसजी नेचुरोपैथी कोई साधारण चिकित्सा पद्धति नहीं, बल्कि पूज्य हजूर पिता संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा दिया गया, एक दिव्य वरदान है। जो न सिर्फ शरीर को ठीक करता है, बल्कि जीवन जीने का एक संतुलित, प्राकृतिक और आध्यात्मिक तरीका सिखाता है।
बीमारी से पहले ही बचाव
इस पद्धति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें हम बीमारी होने का इंतजार नहीं करते, बल्कि अपने शरीर और जीवनशैली को पहले से ही इस तरह ढालते हैंं कि बीमारियां पास भी न आएं। पूज्य पिता जी ने हमें सिखाया है कि स्वास्थ्य सिर्फ शरीर का ठीक होना नहीं, बल्कि मन, आत्मा और प्रकृति के साथ सामंजस्य है।
एमएसजी नेचुरोपैथी Naturopathy में जो विशेष बातें हैं:-
- यह पंच तत्वों (मिट्टी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) के संतुलन पर आधारित है।
- यह बिना दवाइयों, बिना आॅपरेशन-शरीर को स्वयं ठीक करने की शक्ति देता है।
- यहां हर व्यक्ति को उसकी प्रकृति के अनुसार डाइट, योग, थैरेपी और दिनचर्या दी जाती है।
- यहां सिखाता है कि कैसे प्राकृतिक भोजन, सही समय पर नींद, व्यायाम और सकारात्मक सोच से हम पूरी जिंदगी स्वस्थ रह सकते हैं।
- एमएसजी का लक्ष्य
यहां व्यक्ति प्रकृति से जुड़कर, आत्मा से शांत होकर और शरीर से सक्रिय होकर स्वस्थ, सुखी और संतुलित जीवन जी सकता है। एमएसजी नेचुरोपैथी सेंटर का मुख्य लक्ष्य है कि हर घर, हर व्यक्ति तक यह वरदान पहुंचे।