अपनी कमजोरियां सब को न बतायें :
इंसान जब किसी को अपना समझने लगता है तो दिल की तहों में सदियों से दबे पड़े गहरे राज तक बतला देता है। सही है कि, जिससे मन मिल जाये, उसके सामने तो दिल में छुपी राजदार बातें स्वत: ही खुल जाती हैं। दूसरी बात यह भी होती है कि जो अपने दिल के करीब आ जाता है, जाने क्यूं उससे कुछ छिपाना अनुचित और सौतेलापन सा लगने लगता है। इसी वजह से हम और आप सामने वाले से राजदार बातें भी कह डालते हैं।
बात ठीक भी है। सामनेवाला आपका हमराज है, गहरा दोस्त है। उससे अन्दर की बात बतलाने में कोई बुराई नहीं है क्योंकि दोस्त तो दोस्त होता है, उससे कुछ छिपाना चाहकर भी नहीं छिपा सकता।
कई बार ऐसा होता है कि आप दिल में कोई समस्या अथवा कोई व्यक्तिगत कमी दबाए रखे होते हैं। उसे दोस्त के सामने उजागर करते हैं तो वह न केवल समस्या का समाधान बतलाता है बल्कि आपकी समस्या को हल करवाने में भी यथासंभव मदद करता है। बात यहां तक तो ठीक है पर कभी-कभी यह भी देखा जाता है कि जिसे आप अभी कुछ दिनों से जान रहे हैं या थोड़े समय पहले परिचित हुए हैं, थोड़ी बहुत घनिष्ठता भी बढ़ गयी है, उस पर भी आप विश्वास कर लेते हैं और उसे अपना हमदर्द, अपना हमराज समझ लेते है और भावुकता में बहकर राजदार बातें तक बतला देते हैं जो बहुधा ही हमारे और आपके लिए एक बड़ी समस्या बनकर सामने आती हैं।
थोड़े समय के किसी परिचित पर विश्वास करके भावुकता में बहकर अथवा सामने वाले से थोड़ा सा प्यार, आत्मीयता अथवा अपनापन पाकर अपने दिल का गहरा राज बतला देना कहां की बुद्धिमता है ? सामनेवाला आपके दिल के कितनी करीब क्यों न आ जाये ? आप उससे खुलें ही नहीं। दिल में छिपा कोई ऐसा राज न बतायें, जिसके उजागर होने पर आपकी प्रतिष्ठा पर कोई आंच आये अथवा आपको शर्मिंदगी महसूस करनी पड़े या आपके लिए कोई नई मुसीबत खड़ी हो जाने की संभावना हो।
सामने वाले का व्यवहार आपके प्रति कितना भी अच्छा-सच्चा क्यों न हो, दिल की कोई बात न बताएं। याद रखें कि किसी भी इंसान को चन्द मुलाकातों में और थोड़े दिनों की पहचान परिचय से पहचाना नहीं जा सकता। सामनेवाले का व्यंवहार दोस्त जैसा हो सकता है पर हर कोई सच्चा दोस्त हो, हमराज हो जिस पर भरोसा किया जाये, ऐसा बहुत कम ही होता है। कई बार ऐसा होता है कि आदमी दिखता कुछ है और निकलता कुछ और है।
अत: आप किसी भी अजनबी की चन्द मुलाकातों में ही उस पर भरोसा न करने लगें और न ही उसके व्यवहार, और आत्मीयता से प्रभावित होकर, अथवा भावुकता में बह कर दिल का राज, अथवा अन्दर की बात बतायें। हां, जिससे आप चिरपरिचित हैं, जिस पर पूरा भरोसा हो, उस दोस्त से अन्दर की बात निस्संदेह कर सकते हैं पर उससे भी सब कुछ न बता डालें। यह भी याद रखें कि कुछ बातें अपने तक सीमित रखना ही बेहतर होता है।
– प्रेम कुमार