खूब खाएं तरबूज Eat plenty of watermelon
गर्मी का मौसम शुरू होते ही बाजारों में और सड़क के किनारे भी तरबूज के भारी-भरकम ढेर नजर आने लगते हैं। तरबूज गर्मी के मौसम का ठंडी तासीर वाला बड़े आकार का सस्ता फल है। वास्तव में सख्त हरे छिलके के भीतर काले अथवा सफेद बीजों से युक्त लाल रसदार गूदे वाला ग्रीष्म ऋतु का एक बेमिसाल फल है तरबूज।
तरबूज को मतीरा, पानीफल, कालिन्द आदि विभिन्न नामों से भी जाना जाता है। इसे संस्कृत में ‘कालिन्द’ तथा मराठी में ‘कलिंगड़’ कहा जाता है। ग्रीष्म ऋतु का फल तरबूज प्रकृति की अनमोल देन है। इसे ‘प्रकृति प्रदत्त अनुपम ठंडाई’ माना गया है।
गर्मी के मौसम में अत्यधिक पसीना आने से शरीर में प्राकृतिक लवणों की मात्रा कम होने लगती है, जिससे शरीर में कमजोरी आने लगती है। गर्मी के मौसम में प्यास भी बहुत लगती है, तरबूज के सेवन से प्यास तो शांत होती ही है, साथ ही यह पोषक तत्वों एवं विभिन्न लवणों का अथाह भंडार होने के कारण शरीर के लिए आवश्यक लवणों की पूर्ति भी करता है।
तरबूज के सेवन से बेचैनी एवं घबराहट दूर होती है। इसके सेवन से भीषण गर्मी और धूप के प्रभाव के कारण उत्पन्न होने वाली खुश्की तथा इस वजह से उत्पन्न होने वाले अन्य दुष्प्रभाव भी दूर होते हैं। तरबूज खाने से आंतों को चिकनाई मिलती है और इससे आंतों की जलन भी मिटती है। तरबूज एक अच्छा मल शोधक फल है।
इसके सेवन से पेट की गंदगी मल के जरिये निकलकर पेट साफ रहता है। तरबूज खून को साफ करता है और शरीर में रक्त की मात्रा में भी वृद्धि करता है। तरबूज में मौजूद विटामिन ए, बी व सी तथा आयरन खून के रंग को लाल सुर्ख बनाते हैं। तरबूज खाने से लू से बचाव होता है। इसके नियमित सेवन से नेत्रज्योति बढ़ती है। प्रतिदिन नियमित रूप से 2-3 गिलास तरबूज का रस पीने से गुर्दे की पथरी नष्ट हो जाती है।
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जांचें, परखें, फिर खरीदें:-
चाहे गोल तरबूज हो या ओवल शेप का, खरीदते समय यह जरूर देखें कि वह समान रूप से बढ़ा हुआ ही हो। उस पर कोई खरोंच या चोट का निशान न हो।तरबूज का जो हिस्सा जमीन से सटा होता है, उस हिस्से पर स्पॉट (धब्बा) होता है।
अगर यह स्पॉट हरा है, तो समझें कि अभी यह पका हुआ नहीं है। यही निशान अगर पीले रंग का दिखे, तो समझें तरबूज पक गया है। यही नहीं अगर तरबूज पका है, तो ठोकने पर उसमें से टप-टप की आवाज आएगी। तरबूज में लगभग 80-90 प्रतिशत तक पानी भरा होता है। इसलिए वही तरबूज लें, जो शेप और वजन में भारी हो।
रासायनिक गुण:-
तरबूज के 100 ग्राम गूदे में 95.8 ग्राम जल, 3.3 ग्राम काबोर्हाइड्रेट, 0.2 ग्राम प्रोटीन, 0.2 ग्राम वसा, 0.2 ग्राम रेशा, 12 मिलीग्राम फास्फोरस, 11 मि.ग्रा. कैल्शियम, 7.9 मि.ग्रा. लौह तत्व, 1 मि.ग्रा. विटामिन सी, 0.1 मि.ग्रा. नियासिन, 0.04 मि.ग्रा. राइबोफ्लेविन, 0.02 मि.ग्रा. थायमिन, 16 किलो कैलोरी ऊर्जा इत्यादि अनेक पोषक-तत्व पाए जाते हैं। तरबूज में लाइकोपिन पाया जाता है। लाइकोपिन हमारी त्वचा को जवान बनाए रखता है! ये हमारे शरीर में कैंसर को होने से भी रोकता है।
आयुर्वेदिक गुण:-
आयुर्वेद के अनुसार, तरबूज मस्तिष्क एवं हृदय को ताजगी प्रदान करने वाला, नेत्रज्योति बढ़ाने वाला, मन-मस्तिष्क एवं शरीर को शीतलता प्रदान करने वाला, कफनाशक, पित्तनाशक, वातनाशक और प्यास बुझाने वाला मधुर फल है। तरबूज के सेवन से उच्च रक्तचाप, सीने, आंतों तथा पेट में जलन, फेफड़ों के रोगों, चर्म रोगों, पेशाब में जलन, मूत्र रोगों, बवासीर, पीलिया, उल्टी, जी मिचलाना, पेचिश, कब्ज, पथरी, जोड़ों का दर्द, लीवर, मोटापा, सिर दर्द इत्यादि अनेक रोगों में लाभ होता है।
तरबूज के फायदे :
- जिन व्यक्तियों को कब्ज की शिकायत रहती है, उनके लिए तरबूज का सेवन करना अच्छा रहता है, क्योंकि इसके खाने से आँतों को एक प्रकार की चिकनाई मिलती है।
- इसका सेवन उक्त रक्तचाप को बढ़ने से भी रोकता है।
- खाना खाने के उपरांत तरबूज का रस पीने से भोजन शीघ्र पच जाता है। इससे नींद भी अच्छी आती है। इसके रस से लू लगने का अंदेशा भी नहीं रहता।
- मोटापा कम करने वालों के लिए यह उत्तम आहार है।
- पोलियो रोगियों को तरबूज का सेवन करना बहुत लाभकारी रहता है, क्योंकि यह खून को बढ़ाता है और उसे साफ भी करता है। त्वचा रोगों में भी यह फायदेमंद है।
- तपती गर्मी में जब सिरदर्द होने लगे तो तरबूज के आधा गिलास रस को मिश्री मिलाकर पीना चाहिए।
- पेशाब में जलन हो तो ओस या बर्फ में रखे हुए तरबूज का रस निकालकर सुबह शकर मिलाकर पीने से लाभ होता है।
- गर्मी में नित्य तरबूज का ठंडा-ठंडा शरबत पीने से शरीर को शीतलता तो मिलती ही है, चेहरे पर गुलाबी आभा भी दमकने लगती है। इसके लाल गूदेदार छिल्कों को हाथ-पैर, गर्दन व चेहरे पर रगड़ने से सौंदर्य निखरता है।
- सूखी खाँसी में तरबूज खाने से खाँसी का बार-बार चलना बंद होता है।
- जिन लोगो को डिप्रेशन या जो लोग काम के तनाव में अधिक रहते हैं उनके लिए तरबूज बहुत फायदेमंद होता है।
- तरबूज में विटामिन ए और सी अच्छी मात्रा में पाया जाता है। विटामिन सी हमारे शरीर के प्रतिरक्षा तन्त्र को मजबूत बनाता है। शरीर में विटामिन सी होने से आपको कभी फ्लू नहीं होगा साथ ही आपकी स्किन भी स्वस्थ्य रहेगी।
- इसमें आयरन, मैगनीशियम, कैल्शियम, मैगनीज, जिंक, पोटैशियम और आयोडीन होता है जो कि हड्डियों और दातों के लिये बहुत ही अच्छा माना जाता है।
- तरबूज की फांकों पर काली-मिर्च पावडर, सेंधा व काला नमक बुरककर खाने से खट्टी डकारें आना बंद होती हैं।
- धूप में चलने से ज्वर आया है, तो फ्रिज का ठंडा-ठंडा तरबूज खाने से फायदा होता है।
- तरबूज का गूदा लें और इसे ‘ब्लैक हैडस’ के प्रभावित एरिया पर आहिस्ता-आहिस्ता रगड़ें। 10 मिनट उपरांत चेहरे को गुनगुने पानी से साफ कर लें। चेहरे पर ताजगी दिखेगी।
तरबूज के बीज के गुण :-
- तरबूज के बीज शरीर में पौष्टिक, गर्मी का शमन करने वाले, कृमिनाशक, दिमागी शक्ति बढ़ाने वाले, दुर्बलता मिटाने वाले, गुर्दों की कमजोरी दूर करने वाले, गर्मी की खाँसी एवं ज्वर को मिटाने वाले क्षय एवं मूत्ररोगों को दूर करने वाले हैं।
- तरबूज के बीज के सेवन की मात्रा हररोज 10 से 20 ग्राम है। तरबूज के ज्यादा बीज खाने से तिल्ली की हानि होती है।
- तरबूज के बीजों को छीलकर अंदर की गिरी खाने से शरीर में ताकत आती है। मस्तिष्क की कमजोर नसों को बल मिलता है। टखनों के पास की सूजन भी ठीक हो जाती है।
- तरबूज के बीजों की गिरी की ठंडाई बनाकर प्रात: नियमित पीने के स्मरण-शक्ति बढ़ती है।
- बीजों की गिरी में मिश्री, सौंफ, बारीक पीसकर मिलाकर खाने से गर्भ में पल रहे शिशु का विकास अच्छा होता है।
- बीजों को चबा-चबाकर चूसने से दाँतों के पायरिया रोग में लाभ होता है।
- पुराने सिरदर्द को दूर करने के लिये तरबूज के बीजों की गिरी को पानी के साथ पीसकर लेप तैयार कर नियमित माथे पर लगायें।
विशेष ध्यान रखें :-
- गर्म तासीर वालों के लिए तरबूज एक उत्तम फल है, लेकिन वात व कफ प्रकृतिवालों के लिए हानिकारक है। अत: सर्दी-खांसी, श्वास, मधुप्रमेह, कोढ़, रक्तविकार के रोगियों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
- तरबूज खाकर तुरंत पानी या दूध, दही या बाजार के पेय नहीं पीने चाहिए।
- तरबूज खाने के 2 घंटे पूर्व तथा 3 घंटे बाद तक चावल का सेवन न करें।
- गर्म या कटा बासी तरबूज सेवन न करें। इससे कई बीमारियाँ फैलने की आशंका रहती है।
- खाली पेट तरबूज का सेवन न करें।
- दमे के मरीजों को तरबूज का सेवन नहीं करना चाहिए।
- काटकर ज्यादा समय तक रखे गए तरबूज का सेवन करने से बचें।
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