Your partner in crisis like Corona - Emergency Fund

कोरोना जैसे संकट में आपका साथी – एमरजेंसी फंड

आपको अपना एमरजेंसी फंड आसानी से निकालने लायक विकल्प में रखना चाहिए। यह आपके पास नकदी के रूप में रखा हो या सेविंग बैंक अकाउंट के रूप में रखा हो। किसी ऐसे ही विकल्प में एमरजेंसी फंड को रखा जाना चाहिए जहां से इसे तुरंत निकाला जा सके।

एमरजेंसी फंड वो पैसे हैं, जिन्हें जमा करते समय थोड़ा बोझ लग सकता है लेकिन जब इनको इस्तेमाल करने की बारी आती है तो खुद ही पीठ थपथपाने का मन करता है। ये वो फंड है, जो आपके बुरे समय में अच्छे दोस्त की तरह खड़ा रहता है। कोई आपके काम आए या नहीं लेकिन ये आपके काम जरूर आ जाता है। इस फंड की जरूरत वो लोग अच्छे से समझ सकते हैं, जिनकी कमाई का जरिया पिछले साल के लॉकडाउन में डांवाडोल हो गया है। इन लोगों ने असल दिक्कत तब महसूस की, जब कमाई का जरिया बंद होने के बाद उनकी सेविंग खत्म हुई और फिर हाथ में पैसों के नाम पर कुछ नहीं था। उनको दिक्कत न होती अगर उन्होंने एमरजेंसी फंड का इंतजाम किया हुआ होता। ये आपकी मदद तब करता जब आपके पास पैसों के नाम पर कुछ नहीं था।

इसलिए आज ही से एमरजेंसी फंड बनाने की शुरूआत कर दीजिए, कैसे होगा ये जान लीजिए –

कितना बड़ा हो एमरजेंसी फंड?

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि आप सामान्य दिनों में कमाई करते हैं तो आपको इसका कुछ हिस्सा अपनी एमरजेंसी के लिए जमा कर रखना चाहिए। आम समय में आपको इस फंड को किसी दूसरे उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। वास्तव में किसी व्यक्ति के लिए एमरजेंसी फंड के रूप में उसके मासिक वेतन का करीब 6 गुना रकम रखा होना चाहिए।

एमरजेंसी फंड की रकम

आपको अपना एमरजेंसी फंड आसानी से निकालने लायक विकल्प में रखना चाहिए। यह आपके पास नकदी के रूप में रखा हो या सेविंग बैंक अकाउंट के रूप में रखा हो। किसी ऐसे ही विकल्प में एमरजेंसी फंड को रखा जाना चाहिए जहां से इसे तुरंत निकाला जा सके। एमरजेंसी फंड के रूप में रखी रकम को आप लिक्विड म्युचुअल फंड में भी रख सकते हैं, जो सिर्फ मनी मार्केट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं। इस वजह से इनमें निवेश का जोखिम बहुत कम होता है। फिक्स डिपॉजिट या रेकरिंग डिपाजिट जैसे विकल्पों में भी आप एमरजेंसी फंड बना सकते हैं।

कभी हो जाए कर्ज तो

समय किसी ने नहीं देखा है लेकिन सोचिए अगर कभी आप पर कर्ज हो जाए तो…तो कैसे निपटाया जाएगा ये बोझ। तब अपने एमरजेंसी फंड से ये बोझ आसानी से उतार पाएंगी। हो सकता है आप पूरा बोझ ना उतार पाएं लेकिन कुछ बोझ तो इससे उतर ही जाएगा। इस वक्त आपको धीरे धीरे करके जमा किए गए इस एमरजेंसी फंड की अहमियत जरूर समझ आ जाएगी। तब अहमियत समझने से अच्छा है कि आप अभी इसकी अहमियत समझ लें।

अकेला कमाऊ

हो सकता है कि आपके पति या आप खुद घर के अकेले कमाने वाले लोग हों। इस स्थिति में भी। एमरजेंसी फंड से काफी मदद मिल जाती है। ये फंड अचानक से आए खर्चों को संभाल लेता है। कभी एक अकेले कमाने वाले की नौकरी जाने पर भी इसके पैसों से काफी मदद मिल जाती है। इसलिए आपका परिवार भी इस स्थिति में हो तो एमरजेंसी फंड की शुरूआत जरूर कर लें। ये फंड कभी न कभी आपकी मदद जरूर करेगा, यकीन कीजिए।

बीमारी का चक्र

कई बार ऐसा होता है कि आपके परिवार में किसी न किसी को खतरनाक बीमारी घेर लेती है। इस वक्त भी कई बार आर्थिक स्थिति से ज्यादा खर्चा करना पड़ जाता है। ऐसे में तो कई परिवार घर तक बेच देते हैं। ऐसी स्थिति आपके साथ न हो इसलिए एमरजेंसी फंड का बनाया जाना जरूरी है। क्योंकि याद रखिए मेडिकल एमरजेंसी बता कर नहीं आती है। ये तो बस जिंदगी को बर्बाद कर देती है और बाकी की जिंदगी बस इसे संभालने में लगा देते हैं।

लॉकडाउन का समय

पिछले साल जब लॉकडाउन लगाया गया तो देश को आर्थिक हानि हुई और खामियाजा कइयों ने अपनी नौकरी गंवा कर चुकाया। ढेरों लोगों ने आर्थिक दिक्कत भी झेली जो अभी तक संभली नहीं है। ऐसा समय दोबारा आएगा तो फिर वैसी ही पैसों की दिक्कत हो सकती है इसलिए परेशानी भले आप तक ना आए लेकिन आप इसका सामना करने की तैयारी जरूर कर लें। एमरजेंसी फंड लॉकडाउन के समय भी आपकी आर्थिक मदद जरूर करेगा।

कैसे बनाएं ये फंड

  • इस फंड की शुरूआत करें तो कभी भी महीने की तय रकम से ही शुरूआत ना करें। बल्कि थोड़ा पैसा उसमें पहले से डाल दें ताकि फंड शुरूआत से ही मजबूत होता जाए।
  • तीन से चार महीने की कमाई जितनी रकम तो इसमें होनी ही चाहिए।
  • आपको हर महीने नियम से अपनी कमाई का कुछ प्रतिशत इसमें डालना ही होगा। इसमें कोई कमी न रखें।
  • ये फंड बैंक के एकाउंट में भी हो सकता है और घर की किसी गुल्लक में भी।
  • इसके लिए सबसे पहले अपने हर महीने के खर्चों का अंदाजा लगाएं।
  • एक ध्येय निर्धारित करें ताकि ये निर्णय हो जाए कि अगले कुछ दिनों में आपके पास कुल कितनी धनराशि होनी चाहिए।
  • एमरजेंसी फंड को अपने लिए इंश्योरेंस फंड की तरह देखें। ये इसी तरह आपकी मदद भी करेगा। जब आप इसे इतनी अहमियत देंगी तब ही ये पैसे जुड़ पाएंगे।

बीमारी की हालत में दवाओं के खर्चे एमरजैंसी फंड से पूरे किये जा सकते हैं। अब सबसे बड़ा सवाल है कि एमरजेंसी फंड के लिए पैसा इक्ट्ठा करने के क्या-क्या विकल्प हैं।

आइए इसके बारे में जानें-

ओवरनाइट फंड

यह डेट फंड है जो एक दिन में मेच्योर होने वाले बॉन्ड में निवेश करता है। हर कारोबारी दिन की शुरूआत में बॉन्ड खरीदे जाते हैं जो अगले कारोबारी दिन मेच्योर होते हैं। सुरक्षित रिटर्न चाहने वालों के लिए ओवरनाइट फंड बेहतर विकल्प है, जहां मेच्योरिटी एक दिन की होती है। 1 दिन की मेच्योरिटी होने से 100 फीसदी रकम कोलैटरलाइज्ड बॉरोइंग और लेंडिंग आॅब्लिगेशन मार्केट में निवेश करने के चलते यहां रिस्क कम हो जाता है। हालांकि 1 दिन मेच्योरिटी होने से इनमें रिटर्न कुछ कम है।

अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड

ये फंड डेट और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट में तीन महीने के लिए निवेश करते हैं। इनमें अलग अलग फंडों का रिटर्न चेक करें तो एक साल में निवेशकों को 9 फीसदी तक रिटर्न मिला है।

शॉर्ट ड्यूरेशन फंड

इसमें आमतौर पर छह महीने से 1 साल के लिए पैसा लगाया जाता है। इनमें अलग-अलग फंडों का रिटर्न चैक करें तो एक साल में निवेशकों को 10 से 12 9 फीसदी तक रिटर्न मिला है।

लिक्विड फंड

लिक्विड फंड बचत खाते की तरह काम करता है, जहां जरूरत पड़ने पर आसानी से पैसा निकाला जा सकता है. ये ओपन एंडेड फंड होते हैं, जो डेट और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट में 30 दिन से 91 दिन के लिए निवेश करते हैं।

एक साल की एफडी

एक साल के लिए एफडी करने का भी विकल्प है। अधिकांश बैंकों में न्यूनतम एफडी 1000 रुपये से शुरू होती है। अधिकतम राशि कुछ भी हो सकती है।

रेकरिंग डिपॉजिट

पोस्ट आॅफिस में आरडी पर 5.8 फीसदी सालाना ब्याज मिल रहा है वहीं, अलग-अलग बैंकों में पांच से छह फीसदी के बीच ब्याज मिल रहा है। एक साल तक की अवधि वाले आरडी को 10 साल तक के लिए आगे बढ़ा सकते हैं।

(डिस्कलेमर: सच्ची शिक्षा मैग्जीन किसी भी तरह के निवेश की सलाह नहीं देती है। निवेश करने से पहले अपने स्तर पर पड़ताल करें या अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से परामर्श अवश्य करें।)

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