holidays -sachi shiksha hindi

उठाइए छुट्टियों का लुत्फ

मई जून यानी छुट्टियों का मौसम। छात्रें को भीषण गर्मी से बचाने के लिए ही यह मौसम छुट्टियों के लिए रखा गया है। बहुत सारे बच्चे इन दिनों घूमने फिरने, मौज मस्ती करने का आनंद लेते हैं। कुछ बच्चे दादा-दादी, नाना-नानी या अपने प्रिय नजदीकी रिश्तेदारों के यहां घूमने का प्रोग्राम बहुत पहले ही तय कर लेते हैं।

शहर के बच्चों के लिए गांवों की अमराईयों, बगीचों में खेलने, कच्ची अमियों का स्वाद लेने, वहां की स्वच्छ जलवायु और ‘देसी‘ खान-पान का आनंद लेने, अपनी गांव के संस्कृति और परम्पराओं को जानने का अवसर देती हैं ये छुट्टियां। वहीं गांवों के बच्चों को इन दिनों शहर में घूमने फिरने, वहां के व्यस्त और भागमभाग वाले जीवन को नजदीक से देखने, शहरी चकाचौंध से दो-चार होने, वहां के पिज्जा, बर्गर और चाऊमिन खाने, इडली, डोसा अथवा आईस्क्र ीम का स्वाद चखने का मौका मिलता है। बहुत से बच्चे छुट्टियों का समय वीडियो गेम खेलने, लूडो, कैरम खेलने, ताश खेलने आदि में बिता देते हैं।

ठीक भी है, आखिर छुट्टियां होती भी मस्ती मारने, खेलने-कूदने, धमाचौकड़ी करने के लिए ही हैं न, लेकिन 40-50 दिन का लम्बा वक्त इन सब कामों के लिए भी ज्यादा ही रह जाता है। 10-11 बजे से ही सूरज की भयंकर गर्मी के सताए बच्चे घरों में कैद होकर रह जाते हैं। आउटडोर गेम्स के लिए यह समय सर्वथा अनुपयुक्त ही होता है तो इनडोर गेम्स जैसे बैडमिंटन, टेबल टेनिस आदि हरेक के बस की बात नहीं, ऊपर से जरा सी शारीरिक मेहनत करते ही सर से पैर तक बहती पसीने की नदी तथा गर्मी में शीघ्र थक जाने के कारण भी ये गेम्स सूट नहीं करते। ऐसे में किशोरावस्था के बच्चे करें तो क्या करें।

इस समय चलने वाली खतरनाक लू भी कम घातक नहीं होतीं। अब प्रश्न उठता है कि ऐसे में मां-बाप क्या करें कि बच्चे सुरक्षित भी रहें और छुट्टियों का मजा भी ले लें। प्रत्येक मां-बाप का कर्तव्य होता है कि वे अपने बच्चे के अंदर छिपी प्रतिभा को जानें और उसकी रूचियों का भी ध्यान रखें। जरूरी नहीं कि हर बच्चा बस पढ़ाकू ही हो। उसमें हर क्षेत्र की अपनी नैसर्गिक प्रतिभा होती है। यदि छुट्टियों के खाली समझे जाने वाले वक्त में उनकी रूचियों और प्रतिभाओं को थोड़ा-सा तराशा जा सके तो इन्हीं बच्चों के अंदर छिपा कोई खिलाड़ी, कोई कलाकार या कोई इंजीनियर अथवा अभिनेता सामने आ सकता है। आज के भारी प्रतिस्पर्धा के युग में शैक्षिक-सत्र के दौरान इन प्रतिभाओं को संवारने, तराशने का वक्त न शिक्षक के पास है और न ही छात्रों के पास।

इन छुट्टियों में किशोर वय के छात्र-छात्रओं के लिए विशेष मौका है कि वे अपनी रूचियों को समय के पूर्व ही अपने मम्मी-पापा को बता दें और आसपास के किसी अच्छे संस्थान से अपनी रूचियों को पूरा करने का प्रशिक्षण लेकर छुट्टियों की मस्ती को दोगुना और सार्थक भी कर लें।

कुछ रुचियां जैसे पॉट पेंटिग, फेब्रिक पेंटिग, पोस्टर पेंटिग, कोलाज बनाना, आलेखन बनाना, रंगोली बनाना, नृत्य सीखना, कढ़ाई, बुनाई, सिलाई सीखना, कढ़ाई का प्रशिक्षण लेना, पैचवर्क सीखना, बंधेज का कार्य सीखना, सीपियों या अन्य आर्टीफिशियल सामानों व प्राकृतिक साधनों से विभिन्न चित्र, वस्तुएं बनाना, गुड़िया बनाना व सजाना सीखना, गुलदस्ता बनाना सीखना, आरकंडी के फूल वगैरह बनाना सीखना व सजाना आदि अनेक कार्य लड़कियों के लिए तो बहुत अच्छे व काम के हैं ही, लड़के भी यदि इन्हें सीखें तो समय के साथ अच्छे व्यवसायी बन सकते हैं।

यही नहीं, इस दौरान तैराकी प्रशिक्षण, क्रि केट, हॉकी या अन्य खेलों की कोचिंग ज्वायन करने का यह स्वर्णिम अवसर होता है। कम्यूटर, टाइपिंग, संगीत वाद्य बजाना, गायन के अलावा आजकल टूरिज्म, गाईड एम. बी. ए., बी बी. ए., पी. एम. टी., पी. ई. टी. आदि की तैयारी के लिए भी किसी अच्छे कोचिंग संस्थान की मदद लेकर भविष्य के भवन की आधारशिला रखी जा सकती है।

चूंकि छुट्टियों में आपके अधिकांश सहपाठी फ्री होते हैं अत: उनके साथ पिकनिक, पर्यटन, फोटोग्राफी, संग्रहण, तथा गु्रप डिस्कशन आदि का भी आनंद लिया जा सकता है।

यही नहीं, इन दिनों प्राय: हर शहर में ही कुछ जाने-माने संस्थान बच्चों के लिए भी नाट्य प्रशिक्षण शिविर आदि का भी आयोजन करते हैं तथा जाने-माने विशेषज्ञों को भी इन शिविरों में आमंत्रित किया जाता है अत: इन शिविरों का भी पूरा लाभ ले लेना चाहिए।

तो, अब तो आप समझ ही गए होंगे कि छुट्टियों की मस्ती को कुछ काम की बातें सीखकर, अपनी रूचियों को पूरा करके और भी बढ़ाया जा सकता है।
-घनश्याम बादल

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here
Captcha verification failed!
CAPTCHA user score failed. Please contact us!