जैविक खेती और नवाचार के लिए राजस्थान के सांभर उपखण्ड के ग्राम कालख के रहने वाले गंगाराम सेपट स्वयं तो 5 बीघा से भी कम जमीन के मालिक हैं, लेकिन तीनों भाईयों की संयुक्त 14 बीघा भूमि पर जैविक खाद व जैविक कीटनाशक का प्रयोग कर तकनीकी खेती के माध्यम से बंपर पैदावार लेकर बड़े कारनामे कर चुके हैं।
उद्यानिकी विभाग से सलाह लेकर इस किसान ने सबसे पहले अपनी डेढ़ बीघा जमीन में पॉलीहाउस लगाकर तकनीकी खेती की शुरूआत की। आज इनकी हरी, ताजी व निरोगी सब्जियां लोगों के लिए स्वास्थ्यवर्धक जड़ी बूटी साबित हो रही हैं। किसान ने जैविक खाद व जैविक कीटनाशक के प्रयोग से पिछले वर्ष टमाटर व अन्य सब्जियों से लाखों की कमाई की है। केंचुआ खाद व जैविक कीटनाशक के प्रयोग से वर्तमान में बैंगन, चुकंदर, ब्रोकली, स्ट्रॉबेरी के साथ अन्य पौधे बहार पर हैं।
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स्कूल छोड़कर खेती में उतरे Strawberry cultivation
गंगाराम सेपट पुत्र हनुमान प्रसाद निवासी कालख, तहसील फुलेरा जिला जयपुर ने एमए, बीएड के पश्चात बड़े भाई दुर्गालाल के साथ प्राइवेट स्कूल खोला। ग्रामीण इलाके में बेहतरीन शिक्षा व्यवस्था के चलते इन भाईयों के स्कूल में स्टूडेंट स्ट्रेंथ आशानुरूप हो गई। एक कृषक परिवार में 25 नवंबर 1975 को जन्मे गंगाराम सेपट ने एक समाचार पत्र में जब पंजाब प्रांत में रासायनिक खेती से कैंसर जैसी घातक बीमारी से हर साल बढ़ती मौतों के बारे में पढ़ा तो उन्होंने इन दुष्प्रभाव को रोकने के लिए अपने इलाके में जैविक खेती के जरिए किसानों के लिए एक मिसाल कायम करने के उद्देश्य से खेती की ओर रुख किया। वर्ष-2012 में गंगाराम सेपट ने स्कूल संचालन का पूर्ण जिम्मा बड़े भाई दुर्गालाल को सौंप कर तीनों भाईयों की कुल 14 बीघा भूमि पर आधुनिक तरीके से खेती शुरू कर दी।
आठ साल में रचा इतिहास
कृषि को घाटे का सौदा मानने वाले उन किसानों के लिए गंगाराम सेपट मिसाल बन गए हैं। उन्होंने महज आठ साल में अपनी 14 बीघा भूमि पर ऐसी फसलों का उत्पादन ले लिया जोकि राजस्थान की जलवायु के अनुकूल नहीं थी। उन्होंने स्ट्रॉबेरी की फसल लेकर प्रदेश में इतिहास रच दिया। इनके इस इनोवेश को राज्य के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने प्रोत्साहित किया। स्वयं कृषि मंत्री ने इनके सेपट आॅर्गेनिक फार्म का भ्रमण किया। यही नहीं, गंगाराम सेपट को अत्याधुनिक तरीके से आॅर्गेनिक खेती करने पर वर्ष-2020 में उत्कृष्ट किसान के राज्य स्तरीय पुरस्कार के रूप में एक लाख रुपए नकद व प्रशंसा पत्र भी मिल चुका है।
स्ट्रॉबेरी की खेती कर बने सफल किसान
गंगाराम सेपट ने स्ट्रॉबेरी की खेती के दम पर न केवल राजस्थान में अपनी अलग पहचान बनाई है, बल्कि उससे लाखों की कमाई भी कर रहे हैं। उनका सेपट आॅर्गेनिक कृषि फार्म के नाम से फार्म भी है। गंगाराम सेपट को सबसे पहले स्ट्रॉबेरी की खेती करने की प्रेरणा एक दोस्त रविंद्र स्वामी के स्वामी कृषि फार्म गोलाना झालावाड़ से मिली। जो अपने फार्म में स्वयं स्ट्रॉबेरी की खेती करते हैं।
उन्होंने जयपुर जैसे मेट्रो शहर में स्ट्रॉबेरी की अच्छी खपत की संभावना को देखते हुए स्ट्रॉबेरी की खेती का ट्रायल करने के लिए इसकी जानकारी इंटरनेट से ली और पुणे महाराष्ट्र से उत्तक संवर्धन तकनीकी द्वारा तैयार 5000 पौधे स्ट्रॉबेरी के लगभग 1 बीघा जमीन में लगाए। इनमें से 450 पौधे तेज तापमान की वजह से मर गए और फिर जो बाकी बचे उनको तेज धूप से बचाने के लिए लो टनल का उपयोग किया, पूरे खेत में फव्वारे चलाए। तेज धूप के साथ-साथ रोगों और कीटों के नियंत्रण के लिए बायो रोगनाशक और बायो कीटनाशक पदार्थ का उपयोग किया।
किसान सम्मेलन में रही चर्चा में
गंगाराम सेपट को 17 नवंबर 2020 को किसान सम्मेलन में अपनी स्ट्रॉबेरी की प्रदर्शनी लगाने का मौका मिला। इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उनकी मेहनत को खूब सराहा। अब तक लगभग 10 क्विंटल स्ट्रॉबेरी का उत्पादन कर चुके हैं। इसमें उन्हें लगभग 80,000 का शुद्ध लाभ मिल चुका है।
आॅर्गेनिक को दे रहे बढ़ावा Strawberry cultivation
गंगाराम सेपट ने अपने फार्म पर अब तक 15 तरह की आॅर्गेनिक फसलें भी ऊगाई हुई हैं। इनमें से एक बीघा में स्ट्रॉबेरी की खेती के साथ-साथ एक बीघा में ब्रोकली, एक बीघा में चकुंदर, साढे चार बीघा में खीरा, तीन बीघा में काला व सामान्य गेंहू, तीन प्रकार के लेट्यूस, खीरा तीन छह प्रकार की बहुवर्षीय घास की खेती की हुई है। इससे पहले वे खरबूजा, काचरी, मिर्ची, स्वीट कॉर्न और टिंडे की खेती भी कर चुके हैं।
सिंचाई की आधुनिक पद्धति से मिला लाभ
भूमिगत जल का स्तर 450 फीट से भी अधिक गहरा होने की वजह से गंगाराम ने बरसाती पानी का संग्रह कर अपनी पूरी भूमि को कृषि योग्य बना लिया है। उन्होंने वर्ष पर्यन्त खेती के लिए 75 लाख लीटर क्षमता का फार्म पौंड बनाया। फार्म पौंड में जल संग्रह के लिए तीन पॉली हाउस स्थापित किए। इन पॉली हाउस से पाइपों के माध्यम से पूरा बरसाती पानी एकत्रित करके सालभर खेत में सिंचाई कार्य के लिए उपयोग कर रहे हैं। यही नहीं ड्रिप सिस्टम के जरिए खेत में सिंचाई करते हैं। इन फार्म पौंड में गंगाराम मछली पालन भी सफलतापूर्वक कर रहे हैं। ड्रिप सिस्टम चलाने के लिए गंगाराम ने तीन सोलर पैनल भी लगाए हुए हैं। इन सब उपकरणों पर उन्होंने 50 लाख रुपए का लोन लेकर खर्च किए हैं।
खुद बनाते हैं जैविक कीटनाशक
किसान गंगाराम पूर्णतया जैविक करते हैं, इसके लिए वे जैविक खाद व कीटनाशक तैयार करते हैं। वे 5 लीटर कीटनाशक तैयार करने के लिए 20 लीटर गोमूत्र, 5 किलो देसी नीम की पत्ती व 5 किलो धतूरा पत्ता आदि अन्य सामग्री मिलाकर कढ़ाई में उबालते हैं। इस मिश्रित घोल को तब तक उबाला जाता है जब तक कि उसमें 5 लीटर का घोल शेष रह जाए। गोबर व गोमूत्र के लिए उन्होंने अपने फार्म पर पशुपालन कार्य भी शुरू किया हुआ है।
हतोसाहित करने वालों ने अपनायी जैविक खेती
गंगाराम सेपट बताते हैं कि जब उन्होंने वर्ष 2012 में जैविक खेती की शुरूआत की तो इसे घाटे का सौदा बताते हुए कई लोगों ने हत्तोसाहित किया, मगर अपनी जिद व जुनून के चलते आखिरकार इसमें वे सफल हुए। अब वे लोग भी जैविक खेती को अपना चुके हैं। यही नहीं, जैविक खेती में मिसाल बन चुके गंगाराम के इन कार्यों को देखने व समझने के लिए कृषि स्नातक के स्टूडेंटस व किसान आए दिन सेपट फार्म की विजिट करते हैं। यहां तक कि कृषि वैज्ञानिक व कॉलेज के प्रोफेसर भी समय-समय पर आते रहते हैं।
सालाना कमाई 25 लाख रुपए
गंगाराम 14 बीघा भूमि में दो फसलों की पैदावार लेते हैं। इनमें तमाम तरह के खर्चों के अलावा वे हर साल औसतन 25 लाख रुपए का लाभ ले रहे हैं। बकौल गंगाराम यदि अत्याधुनिक ढंग से खेती करें तो यह कभी भी घाटे का सौदा नहीं साबित होगी। केवल बारिश के पानी से लाखों रुपए का मुनाफा देने वाली फसलों का उत्पादन करने वाले गंगाराम को कई सम्मान मिल चुके हैं। अब वे आए दिन युवा किसानों को कृषि के नवाचारों की ट्रेनिंग देकर जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं।