टी.वी. युग की देन गैस्ट्रिक ट्रबल gastric problem -आज से बीस वर्ष पहले गैस्ट्रिक या अपच की बीमारी का अनुपात बहुत कम हुआ करता था। बहुत कम लोग इस समस्या से परेशान थे परन्तु आज तो चौदह वर्ष के युवक क्या, छोटे बच्चे भी गैस अपच या गैस्ट्रिक से परेशान रहते हैं। यह समस्या हमारे दैनिक जीवनचर्या पर निर्भर करती है। हमारे जीवन से कसरत या सैर तो समाप्त ही हो चुकी है।
अपने दैनिक कार्यों के अतिरिक्त एक आम व्यक्ति काफी समय टी.वी. देखते हुए बिताते हैं। बच्चे तो और भी अधिक समय टी.वी. देखते हैं। इससे उनकी गलत जीवन शैली, अनुचित एवं गरिष्ठ भोजन का खाना, सब का बोझ आमाशय पर पड़ता है। इससे पाचन रस पूर्ण रूपेण स्त्रावित नहीं हो पाते तो गरिष्ठ भोजन बोझ बन कर गैस पैदा करता है।
भोजन नली के नीचे आमाशय का भोजन जब पुन: भोजन नली में आए तो छाती में जलन या अपच महसूस होती है। पेट के ऊपरी हिस्से को कार्डियक पार्ट कहते हैं और इसमें गैस रहती है। यह गैस कार्बनडाईआक्साईड या हाईड्रोजन सल्फाईड हो सकती है।
ये गैसें दिल को हानि पहुंचाती हैं और दिल की धड़कन बढ़ जाती है। इनसे मन घबराता है। व्यक्ति को ऐसा लगता है कि हार्ट ट्रबल हो गई हो, क्योंकि दिल की धड़कन बढ़ जाती है। डकारें भी आती हैं। घबराहट बढ़ जाती है। लोग इसे दिल की बीमारी समझ कर अस्पताल तक में भर्ती हो जाते हैं।
पेट में हाईड्रोक्लोरिक अम्ल तो होता ही है। इसकी मात्रा बढ़ जाने से समस्याएं होती हैं। बदहजमी बेतरतीब, बेतहाशा बेवक्त खाने से होती है। शादी विवाह में तो कुछ लोग हद कर देते हैं। ऐसा लगता है कि वे सप्ताह भर का भोजन एक ही बार खा लेते हैं। नर हो या नारी, गरिष्ठ भोजन खाने से तोंद का बढ़ना व्यक्तित्व पर ठोस प्रहार करता है।
कई लोग दूध नहीं पचा सकते। उनको दूध पीने से गैस बनती है। ऐसे लोग दही का प्रयोग करें। दही से गैस नहीं बनेगीं।
कोई भी रोग हो, डॉक्टर से उसके बारे में परामर्श लेना चाहिए। बहुत से लोग तो डॉक्टर के पास तब जाते हैं जब रोग ज्यादा बढ़ जाता है। पहले वे हींग, अजवायन के टोटके करते रहते हैं।
दवा के साथ अपनी जीवन शैली, दिनचर्या व खानपान में भी परिवर्तन लाएं। इलाज से परहेज बेहतर होता है। वे वस्तुएं जिससे आपको गैस बनती है, त्याग दें।
खानपान में परिवर्तन एवं डॉक्टर की सलाह से दवा लेकर इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
- सोने का ढंग बदलें। सिर ऊंचा रखें। बाईं करवट सोएं।
- दिन छिपने से पहले भोजन करें व समय पर सोएं।
- नशीली वस्तुएं- जैसे तम्बाकू, शराब, तम्बाकू, सिगरेट आदि त्यागें।
- प्रतिदिन प्रात: दो से तीन किलोमीटर सैर करें।
- टी.वी. के सामने कम से कम बैठें। वजन न बढ़ने दें। अतिरिक्त चर्बी को व्यायाम कर और संतुलित, भोजन खाकर कम करें।
- शादी, विवाह, पार्टी, भोज, सहभोज में संयम से भोजन खाएं। सभी प्रकार के भोजन का स्वाद लेने के चक्कर में पेट को डस्टबीन न बनाएं।
- वसायुक्त भोजन व गरिष्ठ भोजन कम खाएं।
- चिकनाई भोजन, रोस्टेड और ग्रिल्ड भोजन खाएं।
- भोजन भूख से कम खाएं। पेट में ठूंस-ठूंस कर न खाएं। जीने के लिए खाएं, खाने के लिए न जिएं।
- रेशेदार भोजन का सेवन अधिक से अधिक करें ताकि कब्ज न होने पाए।
- चाय-कॉफी, कहवे का सेवन कम से कम करें। चाय पीने से पहले पानी पिएं। चाय खाली पेट मत पिएं।
- भोजन के साथ-साथ जल मत पिएं। इसे पीने से पाचक रस पतले पड़ जाते हैं और पाचन में कठिनाई होती है। जल भोजन के आधा घण्टा बाद पिएं।
-विजेन्द्र कोहली