ऐतिहासिक धरोहरों से सजा हम्पी
विजयनगर शहर भी ऋषि विद्यारण्य के सम्मान में विद्यानगर के रूप में भी जाना जाता है। इस जगह के स्मारकों को हरिहर से लेकर सदाशिव राया के समय से ई 1336-1570 के बीच बनाया गया था। हम्पी के साथ एक पौराणिक एसोसिएशन भी जुडी हुई है।
स्थानीय लोगों और लोककथाओं के अनुसार, इस क्षेत्र को रामायण में पौराणिक किष्किन्दा वानर राज्य कहा जाता था और यह वह जगह है जहां राम और लक्ष्मण ने सीता की खोज करने के लिए लंका जाने से पहले पनाह ली थी। आज के पहाड़ों और कई स्थानों पर सुग्रीव, बाली, हनुमान और राम के रुकने की कहानियां हैं।
सितम्बर-अक्तूबर महीने में घूमने का अपना ही एक मजा है। सुहाना मौसम होता है, क्योंकि उस दौरान न ही ज्यादा ठंड पड़ती है और ना ही ज्यादा गर्मी। ऐसे में आप जहां चाहें वहां आसानी से घूमने के लिए जा सकते हैं। घूमने का प्लान बना रहे हैं तो कर्नाटक के हम्पी शहर जा सकते हैं। यहां ऐतिहासिक धरोहरों की खूबसूरती आपका दिल जीतने के लिए काफी है।
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ऐतिहासिक धरोहरों का खजाना है हम्पी शहर। यह जगह भारत की मशहूर विश्व विरासतों में एक है। यहां स्मारक और कई ऐसी ऐतिहासिक चीजे हैं। इसके अलावा यहां के शानदार महल, स्मारक, पहाड़, मंदिर आपका मन मोह लेंगे। तुंगभद्रा नदी के तट पर बसा कर्नाटक का हंपी शहर प्राचीन समय में विजयनगर राजवंश की राजधानी हुआ करता था। हंपी नाम तुंगभद्रा नदी के पुराने नाम पंपा से पड़ा है जोकि ब्रह्मा जी की पुत्री है। इस शहर को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया है, क्योंकि इस शहर में विजयनगर शासनकाल के अनेक मंदिर और महल मौजूद हैं। बैंगलोर से 350 किमी दूर स्थित इस ऐतिहासिक शहर हंपी को देखने आप वीकएंड पर आ सकते हैं।
इतिहास और पुरातत्व के लिहाज से हम्पी खास है। अपने समय में यह दुनिया का सबसे विशाल और समृद्ध गाँवों में से एक माना जाता था। हम्पी गोल चट्टानों के टीलों के रूप में फैला हुआ है जिनमें 500 से अधिक स्मारक चिन्ह हैं। यहाँ मन्दिर, महल, तहखाने, खंडहर, पुराने बाजार समेत कई अन्य इमारतें हैं। हम्पी को 1986 में यूनेस्को द्वारा ‘विश्व विरासत स्थलों’ में शामिल किया गया है। इसे एशिया का सबसे बड़ा खुले स्मारकों वाला शहर भी माना जाता है।
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हम्पी का इतिहास:
हम्पी का इतिहास प्रथम शताब्दी से प्रारंभ होता है। उस समय इसके आसपास बौद्धों का कार्यस्थल था। सम्राट अशोक के माइनर रॉक शिलालेख नुत्तुर और उडेगोलन के अनुसार यह साम्राज्य अशोक साम्राज्य का ही भाग था। बाद में हम्पी विजयनगर साम्राज्य की राजधानी बना। विजयनगर हिन्दुओं के सबसे विशाल साम्राज्यों में से एक था। हरिहर और बुक्का नामक दो भाईयों ने 1336 ई. में इस साम्राज्य की स्थापना की थी।
कृष्णदेव राय ने यहाँ 1509 से 1529 के बीच हम्पी में शासन किया और अपने साम्राज्य का विस्तार किया। हम्पी में शेष रहे अधिकतर स्मारकों का निर्माण कृष्णदेव राय ने करवाया था। यहाँ चार पंक्तियों की किलेबंदी नगर की रक्षा करती थी। इस साम्राज्य की विशाल सेना दूसरे राज्यों से इसकी रक्षा करती थी। विजयनगर साम्राज्य के अन्तरगत कर्नाटक, महाराष्ट्र और आन्ध्र प्रदेश के राज्य आते थे।
उस समय विजयनगर में तकरीबन 5,00,000 निवासी रहने लगे थे। कृष्णदेवराय की मृत्यु के बाद इस विशाल साम्राज्य को बीदर, बीजापुर, गोलकुंडा, अहमदनगर और बरार की मुस्लिम सेनाओं ने 1565 में नष्ट कर दिया। कर्नाटक राज्य में स्थित हम्पी को रामायणकाल में पम्पा और किष्किन्धा के नाम से जाना जाता था। हम्पी नाम हम्पादेवी के मंदिर के कारण पड़ा। हम्पादेवी मंदिर ग्यारहवीं से तेरहवीं शताब्दी के बीच बनवाया गया था।
दर्शनीय स्थल:
इतिहास में खो जाएं:
इस शहर के हर एक खंडहर बन चुकी सरंचना को देखकर आपको इसके समृद्ध इतिहास का अहसास होगा। इस जगह के बारे में संक्षेप में जानने पर आपको यहां शासन करने वाले महान शासकों के बारे पता चलेगा।
मंकी मंदिर:
मंकी मंदिर के रास्ते में आप बंदरों को कुछ खिला भी सकते हैं। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 575 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर पर पहुंचने के बाद आपको हंपी शहर का खूबसूरत नजारा दिखाई देगा। यहां से कुछ ही दूरी पर विरुपक्षा मंदिर भी है। यहां सूर्यास्त और सूर्योदय के समय आना सबसे अच्छा रहता है।
रॉक क्लाइंबिंग:
सेशन रॉक क्लाइंबिंग सेशन हंपी में हर जगह पत्थर फैले हैं, जिन पर चढ़कर इस शहर के खूबसूरत नजारों का आनंद लिया जा सकता है। इन पत्थरों में सबसे ऊंचाई पर पहुंचने के लिए आप रॉक क्लाइंबिंग भी कर सकते हैं।
कोरेकल में सैर:
कोरेकल में सैर तुंगभद्रा नदी के पास आप कोरेकल राइड का मजा भी ले सकते हैं। कोरेकल गोलाकार पारंपरिक नाव होती है, जिसमें एक-साथ दो लोग बैठकर नदी की सैर कर सकते हैं। नदी के तट पर स्थित संरचनाओं को भी इस दौरान देखा जा सकता है।
हाउस आॅफ विक्टरी:
हाउस आॅफ विक्टरी स्थान विजयनगर के शासकों का आसन था। इसे कृष्णदेवराय के सम्मान में बनवाया गया जिन्होंने युद्ध में ओडिशा के राजाओं को पराजित किया था। वह हाउस आॅफ विक्टरी के विशाल सिंहासन पर बैठते थे और नौ दिवसीय दसारा पर्व को यहाँ से देखते थे।
हाथीघर:
हम्पी का हाथीघर जीनान क्षेत्र से सटा हुआ है। यह गुम्बदनुमा इमारत है जिसका इस्तेमाल राजकीय हाथियों के लिए किया जाता था। इसके प्रत्येक चेम्बर में एक साथ ग्यारह हाथी रह सकते थे। यह हिन्दू-मुस्लिम निर्माण कला का उत्तम नमूना है।
अन्य आकर्षक स्मारक:
पवित्र केंद्र, अच्युत राय के मंदिर, ससिवेकलु गणेश, रॉयल केंद्र, महानवमी डिब्बा, ग्रनारीस, हरिहर पैलेस वीरा, रिवरसाइड खंडहर, करैले क्रॉसिंग, जज्जल मंडप, पुरंदरदास मंडप, तालरिगट्टा गेट अहमद खान मस्जिद और मकबरे, कमालपुर, पुरातत्व संग्रहालय, भीमा के गेटवे, गनीगित्ति मंदिर, गुंबददार गेटवे, अनेगोंदी, विरुपपुर गडदे, बुक्का के जलसेतु, हाकपा मंडप, पंपा सरोवर, माटुंगा हिल।