संभालें दिल की धड़कन
प्रश्न:- Palpitations क्या है? युवा वर्ग में इसे लेकर काफी असहजता है।
उत्तर:- Palpitations जिसे सामान्य भाषा में हृदय स्पंदन (धड़कन) को महसूस करना कहा जाता है। एक आम शिकायत देखने को मिलती है। यह सामान्य अथवा असामान्य दोनों तरह की हो सकती है। सामान्य तौर पर जीवनकाल में कई बार धड़कन सामान्य तौर पर भी बढ़ती है, जैसा कि चिंताग्रस्त होने पर, अवसाद के समय, घबराहट होने पर, प्रेग्नेंसी के दौरान, अत्यधिक चाय/कॉफी के सेवन से तथा किसी भी तरह के उत्तेजक दवा/नशों के सेवन से। परिस्थितिवश बढ़ने वाली धड़कन कम समय के लिए बढ़ती है एवं सामान्यत: स्वत: ही अथवा अंतर्निहित कारण के निवारण के साथ पुन: सामान्य हो सकती है।
प्रश्न:- धड़कन का असामान्य तौर पर बढ़ना क्या है?
उत्तर:- कई बार धड़कन बढ़ने का कारण थायरॉइड (Hyper Thyroidism ) हृदय वाल्व या पंपिंग से जुड़े कारण भी रहते हैं। ऐसी स्थिति में धड़कन लंबे समय तक बढ़ी रहती है। उचित जांच या ईलाज के द्वारा ही इसका समाधान होता है।
प्रश्न:- कौन से टैस्ट प्रारंभिक रूप से धड़कन की समस्या के लिए आवश्यक हैं?
उत्तर:-
- ईसीजी: सबसे उपयोगी टैस्ट है, यदि तुरंत किसी निकटतम चिकित्सा संस्थान में ईसीजी संभव हो।
- इको कार्डियोग्राफी: इससे हृदय की वाल्व संबंधी अथवा पंपिंग संबंधी समस्याओं का पता लगाया जाता है।
- थायरॉड फंक्शन टैस्ट: थायरॉइड संबंधी जांच होती है।
- Serum Electrolytes (सोडियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम कैल्शियम) – रक्त में Electrolytes के असामान्य लेवल होने पर भी धड़कन अनियमित हो सकती है।
प्रश्न:- कई बार धड़कन असामान्य रूप से 200 या उससे अधिक होेने पर कुछ मरीजों में उपर्युक्त वर्णित सभी टैस्ट सामान्य होने पर भी कारण का पता नहीं चल पाता है, यह कैसी अवस्था है?
उत्तर:- कई बार कुछ मरीजों में धड़कन कुछ समय के लिए असामान्य रूप से 150 से 300 तक हो जाती है। ऐसी स्थिति में ईसीजी काफी सहायक होती है। यदि यह स्थिति कुछ सेकेंड या मिनट के लिए होती है और ईसीजी तुरंत संंभव ना हो तो E.P. Study (Electrophysiology Study) एक आधुनिक तकनीक है जिससे हृदय के जिस हिस्से से असामान्य रूप से धड़कन बढ़ रही है, नस के रास्ते तार द्वारा उस बिंदु (स्थान) का पता लगाया जाता है। आवश्यक होने पर उस बिंदु (स्थान) को ठीक कर दिया जाता है जिसे RFA ( Radio Frequency Ablation ) कहते हैं जिससे काफी हद तक भविष्य में धड़कन बढ़ने की पुर्नावर्ति से बचा जा सकता है।
प्रश्न:- यदि धड़कन का बढ़ना कुछ समय के लिए हो एवं ईसीजी की सुविधा आस-पास अथवा समय पर उपलब्ध ना हो तो अन्य क्या विकल्प है?
उत्तर:- Holter Study मोबाईलनुमा एक यंत्र है जिसे शरीर के साथ लगाकर रखने से 24 से 72 घंटों तक ईसीजी की डिजिटल रिकॉर्डिग संभव है। जिसे बाद में कम्प्यूटर की मदद से देखा व परखा जा सकता है। यदि धड़कन बढ़ने की पुर्नावर्ति कई-कई दिनों अथवा महीनों से होती है, उस स्थिति में E.P. Study (Electrophysiology Study) जिसके बारे में पूर्व में बताया गया था, वह जांच आवश्यक हो जाती है।
प्रश्न:- क्या हृदय की पंपिंग क्षमता कम होने पर भी धड़कन बढ़ सकती है?
उत्तर:- कई बार पूर्व में आए हार्ट अटैक की वजह से अथवा किसी अन्य आनुवांशिक अथवा इन्फेक्शन के कारण हृदय की पम्पिंग क्षमता बहुत कम होती है। ऐसे लोगों में हृदय की धड़कन असामान्य रूप से बहुत अधिक बढ़ने की संभावना होती है, जिसे VT/VF (Ventricular Tachycardia/Fibrillation) कहा जाता है। यदि समय पर इसका ईलाज (दवा द्वारा अथवा आवश्यकता पड़ने पर डी.सी. शॉक) किसी चिकित्सा संस्थान में ना मिले तो यह स्थिति जानलेवा भी हो सकती है।
प्रश्न:- हृदय की धड़कन का अनियमित होना क्या है, इसके क्या नुकसान हैं?
उत्तर:- ऐसी स्थिति को Atrial Fibrillation/Flutter कहा जाता है। जिससे ईसीजी में धड़कन अनियमित होती है। सामान्य भाषा में कहें तो कभी कम कभी अधिक। अधिक उम्र, अधिक बी.पी., शराब के अधिक सेवन, थाईराइड हार्मोन की अधिकता आदि कई कारण जिन्हें Nonvalvular कहा जाता है। जब हृदय के वाल्व संबंधी समस्या भी इसके साथ हो तो इसे Valvular कहा जाता है। इस स्थिति में लंबे समय तक रहने से हृदय की पंपिंग कम होने का, हार्ट फेलियर का एवं ब्रेन स्ट्रोक (लकवा) होने का खतरा रहता है।
प्रश्न:- ऐसी परिस्थितियों में डाक्टरी परामर्श की क्या उपयोगिता है?
उत्तर:- जैसा कि पूर्व में भी हमने चर्चा की है कि धड़कन का बढ़ना सामान्य अथवा असामान्य हो सकता है। इसलिए हृदय चिकित्सक के परामर्श एवं आवश्यक जांच प्रक्रिया द्वारा इसे समझा जा सकता है। दवा एवं किसी आधुनिक ईलाज पद्धति की आवश्यकता सभी तरह के केस में नहीं होती है। किंतु यदि यह असामान्य हो तो शीघ्रातिशीघ्र जांच व ईलाज करवा लेना चाहिए।