Diabetes

खान-पान की आदत सुधारें,डायबिटीज़ से बचाव करें

खराब जीवनशैली, एक्सरसाइज की कमी और खान-पान की गलत आदतों के चलते डायबिटीज़ आज के समय में सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। इस समस्या से लगभग हर दूसरा व्यक्ति परेशान है। डायबिटीज़ में ब्लड शुगर लेवल इतना बढ़ जाता है, जिससे बॉडी की इंसुलिन प्रोडक्शन पर असर होने लगता है।

कई बार ऐसा भी होता है कि बॉडी एक्टिव रूप से इंसुलिन का इस्तेमाल ही नहीं कर पाती है। डायबिटीज को कंट्रोल करने के उपायों के बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए। नहीं तो यह बीमारी बॉडी के अन्य अंगों पर अपना असर दिखाने लगती है। जी हां, डायबिटीज़ एक ऐसी बीमारी है, जिस पर अगर कंट्रोल ना किया जाए, तो यह कई बीमारियों और हेल्थ प्रॉब्लम्स जैसे हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट और किडनी रोग, स्ट्रोक, आंखों में समस्याएं, पैरों में अल्सर आदि होने का खतरा बढ़ जाता है।

डायबिटीज क्या है? Diabetes

Diabetesहम जो खाते हैं उससे शरीर को एनर्जी मिलती है। हमारा शरीर भोजन को पचाकर उससे निकली शुगर को एनर्जी में बदलती है। इस पूरी प्रक्रिया में इंसुलिन का बहुत योगदान होता है। इंसुलिन शरीर में बनने वाला एक ऐसा हॉर्मोन है जो ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करता है। यह हमारे शरीर में पैनक्रियाज नामक एक ग्लैंड में बनता है। इसके असर से ब्लड में मौजूद शुगर हमारे शरीर के सेल्स में स्टोर हो जाती है।

डायबिटीज में या तो हमारी बॉडी में इंसुलिन बनता ही नहीं है या हमारी बॉडी के सेल्स इंसुलिन के प्रति संवेदनशील नहीं रह जाते हैं और शुगर उनमें स्टोर न होकर ब्लड में मौजूद रहती है। अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं, तो अपना शुगर लेवल आप घर में भी मशीन लाकर चेक कर सकते हैं। डायबिटीज दो तरह की होती हैं, जिसमें पहला है टाइप 1 और दूसरा है टाइप 2 और दोनों तरह के डायबिटीज में काफी अंतर होता है।

डायबिटीज़ के लक्षण: Diabetes

हर किसी को डायबिटीज़ के कुछ लक्षणों का पता होना जरूरी है। इसके कई ऐसे आम से दिखने वाले लक्षण होते हैं, जिन पर अगर आप समय रहते हुए ध्यान देते हैं तो इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। नीचे हम ऐसे ही कुछ शुगर के लक्षण आपको बता रहे हैं।

  • बार-बार पेशाब आना।
  • लगातार शरीर में दर्द की शिकायत होना।
  • बार-बार त्वचा और प्राइवेट पार्ट्स में संक्रमण होना।
  • घाव का जल्दी न भरना।
  • गला सूखना या बार-बार प्यास लगना।
  • आंखों की रोशनी कमजोर होना।
  • वजन का अचानक से ज्यादा बढ़ना या कम होना।
  • लगातार थकान या कमजोरी महसूस होना।
  • जरूरत से ज्यादा भूख लगना।
  • व्यवहार में चिड़चिड़ापन होना।

डायबिटीज के कारण Diabetes

  • अगर आपके परिवार में किसी को डायबिटीज है, तो आपको भी डायबिटीज होने का खतरा हो सकता है।
  • ज्यादा तला या बाहर का खाना खाने से बढ़ता हुआ वजन भी डायबिटीज का कारण है।
  • व्यायाम या कोई शारीरिक श्रम ना करना।
  • ज्यादा मीठा खाना।
  • अगर कोई हृदय संबंधी बीमारी है, तो डायबिटीज हो सकती है।
  • अगर गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज हुई हो या शिशु का वजन 9 पौंड से ज्यादा हो तो आगे चलकर टाइप 2 डायबिटीज होने की आशंका बढ़ जाती है।

डायबिटीज का इलाज Diabetes

इंसुलिन:

कई बार टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के मरीज, इंसुलिन के इंजेक्शन का उपयोग करते हैं। इसके अलावा डॉक्टर इंसुलिन पंप की भी सलाह देते हैं।

सही खान-पान :

डायबिटीज़ के मरीजों को अपने खान-पान का खास ख़्याल रखना चाहिए, इसलिए डॉक्टर डायबिटीज के लिए एक विशेष आहार चार्ट बनाते हैं और उसी के अनुरुप खान-पान की सलाह देते हैं। खाने में हरी पत्तेदार सब्जियां, गाजर, टमाटर खा सकते हैं। इसके अलावा पनीर और दही का भी सेवन करने की भी सलाह दी जाती है।

व्यायाम:

खाने-पीने के अलावा डॉक्टर व्यायाम और योगासन करने की भी राय देते हैं। फिजिकल एक्टिविटी करने से ब्लड ग्लूकोज लेवल संतुलित रहता है और आपका शरीर स्वस्थ रहता है। डॉक्टर, डायबिटीज के मरीजों को चलने, सुबह की सैर और हल्का-फुल्का व्यायाम करने की राय देते हैं। यह डायबिटीज के इलाज के सबसे आसान तरीके हैं।

दवाईयां:

डायबिटीज के मरीजों को दवाईयां लेने की भी सलाह दी जाती है। डॉक्टर, मरीज की बीमारी के अनुसार ही दवाई देते हैं।

क्या न खाएं?

  • कोल्ड ड्रिंक, शहद
  • केक, पेस्ट्री, मिठाई
  • अत्याधिक चावल, पास्ता या सफेद ब्रेड
  • डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ

डायबिटीज़ से बचाव के यह कुछ उपाय आपके काम आएंगे

  • अपने ग्लूकोज स्तर को जांचें। भोजन से पहले 100 और भोजन के बाद 125 से ज्यादा है तो सतर्क हो जाएं। हर तीन महीने पर एचबीए-1 सी टेस्ट कराते रहें ताकि आपके शरीर में शुगर के वास्तविक स्तर का पता चलता रहे। उसी के अनुरूप आप डॉक्टर से परामर्श कर दवाईयां लें।
  • अपनी जीवनशैली में बदलाव करें और शारीरिक श्रम करना शुरू करें। जिम नहीं जाना चाहते हैं तो दिन में तीन से चार किलोमीटर तक जरूर पैदल चलें या फिर योग करें।
  • कम कैलोरी वाला भोजन खाएं। भोजन में मीठे को बिल्कुल खत्म कर दें। सब्जियां, ताजे फल, साबुत अनाज, डेयरी उत्पादों और वसा के स्रोतों (शाकाहारी) को अपने भोजन में शामिल कीजिए। इसके अलावा फाइबर का भी सेवन करना चाहिए।
  • दिन में तीन समय खाने की बजाय उतने ही खाने को छह या सात बार में खाएं।
  • धूम्रपान और शराब का सेवन बिल्कुल छोड़ दें।
  • आफिस के काम की ज्यादा टेंशन न लें और रात को पर्याप्त नींद लें। कम नींद सेहत के लिए ठीक नहीं है। तनाव को कम करने के लिए आप सुमिरन करें, मेडिटेशन करें, संगीत आदि सुनें।
  • नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच कराते रहें और शुगर लेवल को रोजाना मॉनीटर करें ताकि वह कभी भी लेवल से ज्यादा नहीं हो। एक बार शुगर बढ़ जाता है तो उसके लेवल को नीचे लाना काफी मुश्किल काम होता है और इस दौरान बढ़ा हुआ शुगर स्तर शरीर के अन्य अंगों पर अपना बुरा प्रभाव छोड़ता रहता है।
  • गेहूं और जौ 2-2 किलो की मात्रा में लेकर एक किलो चने के साथ पिसवा लें। इस आटे की बनी चपातियां ही भोजन में खाएं।
  • डायबिटीज़ रोगियों को अपने भोजन में करेला, मेथी, सहजन, पालक, तुरई, शलगम, बैंगन, परवल, लौकी, मूली, फूलगोभी, ब्रौकोली, टमाटर, बंद गोभी और पत्तेदार सब्जियों शामिल करनी चाहिए।
  • फलों में जामुन, नींबू, आंवला, टमाटर, पपीता, खरबूजा, कच्चा अमरूद, मौसमी, जायफल, नाशपाती शामिल करें। केला, सेब, खजूर इत्यादि नहीं खाना चाहिए क्योंकि इनमें शुगर ज्यादा होता है।
  • मेथी दाना रात को भिगो दें और सुबह प्रतिदिन खाली पेट खाएं।
  • खाने में बादाम, लहसुन, प्याज, अंकुरित दालें, अंकुरित छिलके वाला चना, सत्तू और बाजरा आदि शामिल करें तथा आलू, चावल और मक्खन का बहुत कम उपयोग करें।

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