फिट रहने की ख्वाहिश तो हर किसी के मन में रहती है, बेशर्ते कि शरीर को कोई तकलीफ ना हो। International Cycle Day
वैसे हृष्ट-पुष्ट रहने के लिए व्यायाम एक कारगर उपाय है, लेकिन हर इन्सान के पास एक रटा-रटाया तर्क होता है कि समय का अभाव है। अपनी जीवनशैली को और सुगम बनाने के लिए हर व्यक्ति सुविधाओं की भरमार करने में जुटा है। लेकिन इस भाग-दौड़ के बीच फिटनेस की बात बेमानी सी नजर आती है।
बिगड़ती जीवनशैली के चलते देशभर में मोटापा जैसी बीमारियां पैर पसारने लगी हैं।
वर्ल्ड ओबिसिटी फेडरेशन के वैश्विक सर्वे के अनुसार, दुनिया में करीब 15 करोड़ बच्चे और किशोर मोटापे से ग्रसित हैं। अगले दस साल में यह संख्या 25 करोड़ पहुंच जाएगी। संगठन की चाइल्डहुड ओबिसिटी रिपोर्ट के मुताबिक, पांच से 19 साल के आयुवर्ग में चीन के 6.19 करोड़ और भारत के 2.75 करोड़ बच्चे इसकी जद में हैं।
अध्ययन में चेताया गया है कि अगले एक दशक में बच्चों का मोटापा बड़ी महामारी का रूप ले लेगा। ऐसे हालातों से बचने के लिए आवश्यकता है खुद को हृष्ट-पुष्ट रखने की। हर व्यक्ति को स्वयं के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना होगा। विशेषज्ञों की मानें तो शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखने का एकमात्र सरल व सुगम उपाय है व्यायाम। इस व्यायाम में अहम कड़ी साबित हो सकता है साइकलिंग करना। साइकलिंग करने से फिटनेस के साथ-साथ अन्य कई सामान्य बीमारियों जैसे घुटने में दर्द, कमर दर्द, पैरों में सूनापन आदि समस्या से भी छुटकारा पा सकते हैं। वजन घटाने की सारी कोशिशें करके हार चुके व्यक्ति को अवश्य कुछ दिन साइकिल चलानी चाहिए।
International Cycle Day खास बात यह भी कि यह जरूरी नहीं कि आप साइकिल चलाने के लिए अलग से समय निर्धारित करें, या समय निकालें। चाहें तो अपने दैनिक कार्यों को पूरा करने के लिए साइकिल चला सकते हैं और इसका भरपूर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
वैसे साइकिल का इतिहास बड़ा दिलचस्प है। माना जाता है कि दो पहियों वाली पहली साइकिल जर्मनी में बनी थी, जिसके आविष्कारक थे बेरोन कार्ल वॉन ड्रेस डी साउबू्रन।
वर्ष 1817 में उन्होंने 14 किमी. तक इसकी सवारी की थी। 1818 में इस अनोखी मशीन को लोगों ने पहली बार पेरिस में लगाई गई एक प्रदर्शनी में देखा। वॉन अपनी सवारी को ‘रनिंग मशीन’ कहते थे। दरअसल, यह जमीन पर दौड़ लगाने वाली सवारी थी, जो काठ यानी लकड़ी की बनी थी। इसमें पैडल नहीं था। इसे चलाने के लिए साइकिल की सीट पर बैठकर चालक को जमीन पर दौड़ लगाना पड़ता था।
International Cycle Day भारत में भी साइकिल के पहियों ने आर्थिक तरक्की में अहम भूमिका निभाई। 1947 में आजादी के बाद अगले कई दशक तक देश में साइकिल यातायात व्यवस्था का अनिवार्य हिस्सा रही। खासतौर पर 1960 से लेकर 1990 तक भारत में ज्यादातर परिवारों के पास साइकिल थी। यह व्यक्तिगत यातायात का सबसे ताकतवर और किफायती साधन था। गांवों में किसान साप्ताहिक मंडियों तक सब्जी और दूसरी फसलों को साइकिल से ही ले जाते थे।
गांवों से पास से कस्बाई बाजारों तक दूध की सप्लाई साइकिल के जरिये ही होती। डाक विभाग का तो पूरा तंत्र ही साइकिल के बूते चलता था। आज भी पोस्टमैन साइकिल से चिट्ठियां बांटते हैं। समाज में बदलाव के साथ-साथ बेशक दोनों पहियों की रफ्तार भी बढ़ गई है, लेकिन बावजूद इसके भारत में साइकिल की अहमियत अभी भी खत्म नहीं हुई है। शायद यही वजह है कि चीन के बाद दुनिया में आज भी सबसे ज्यादा साइकिल भारत में बनती हैं।
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International Cycle Day कुछ बातों का रखें ध्यान:
साइकिल चलाने से पहले ज्यादा नहीं खाना चाहिए और साइकिल चलाने के तुरंत बाद भी खाना खाने से बचें। भरपूर मात्रा में पानी पीना चाहिए, जिससे साइकलिंग के वक्त पसीने के रूप में निकले पानी की पूर्ति की जा सके।
- साइकिल चलाते हुए ज्यादा ढीले कपड़े पहनने से बचें, क्योंकि इससे साइकिल चलाने के दौरान कपड़े के साइकिल में फंसने का खतरा बना रहता है।
- साइकिल चलाते वक्त अपने साथ पानी जरूर रखें, क्योंकि अधिक शारीरिक गतिविधि के कारण शरीर में पानी की मात्रा कम होने का खतरा बना रहता है।
- इस दौरान हैलमेट पहनना न भूलें, क्योंकि यह सुरक्षा के लिहाज से बेहद जरूरी है।
International Cycle Day पालिये साइकलिंग का शौंक:
- साइकलिंग का शौंक आपके लिए रामबाण साबित हो सकता है। अगर आप हर रोज कुछ देर के लिए भी साइकिल चला रहे हैं तो दिल से जुड़ी बीमारियों के होने का खतरा स्वयंत: ही कम हो जाता है। साइकिल चलाने से दिल की धड़कन तेज होती है और रक्त संचार बेहतर होने लगता है।
- साइकिल चलाने से पैरों का अच्छा व्यायाम हो जाता है, जिससे पैरों की मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं। इससे हमारे शरीर के सभी अंग सक्रिय रूप से काम करने लगते हैं।
- नियमित रूप से साइकिल चलाकर आप कुछ ही दिनों में वजन कम कर सकते हैं। ये शरीर में मौजूद अतिरिक्त चर्बी को घटाने में मददगार है। रोजाना साइकिल चलाकर आप चुस्त और दुरुस्त शरीर पा सकते हैं।
- रोजाना साइकिल चलाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। दरअसल साइकिल चलाने से रक्त संचार तेज होता है, जिससे त्वचा और कोशिकाओं यानी सेल्स को ज्यादा मात्रा में आॅक्सीजन और पोषक तत्व मिलते हैं।
- साइकिल की सवारी तनाव को कम करने में काफी हद तक लाभकारी है। विशेषज्ञों की मानें तो किसी भी खेल से तनाव को दूर करने में मदद मिलती है, मगर साइकिल से मानसिक तनाव दूर होता है और साथ ही शारीरिक तंदुरुस्ती भी बनी रहती है। इस कारण नियमित रूप से साइकिल चलाने वालों को अवसाद और तनाव की शिकायत होने की आशंका बहुत कम होती है।
- कैंसर जैसे रोगों से बचने के लिए साइकिल चलाना एक कारगर उपाय सिद्ध हो चुका है। विशेषज्ञों का मानना है कि साइकलिंग आंतों के कैंसर के खतरे को कम करती है। इससे दिल की धड़कन बढ़ती है और सांसें तेज चलती हैं, जिससे आंतों को लाभ होता है।
- आंकड़ों की मानें तो नियमित साइकिल चलाने वाले लोगों का दिमागी स्तर आम लोगों की अपेक्षा 15 प्रतिशत ज्यादा बेहतर होता है। इसके अलावा आपके शरीर में नए ब्रेन सेल्स भी बनते हैं और लगातार साइकलिंग करने से आपका दिल भी सुरक्षित रहता है।
- डाइबिटीज विभिन्न रोगों जैसे हृदय रोग, त्वचा रोग, नेत्र रोग, किडनी रोग और कई अन्य रोगों के लिए भी खतरा होता है। डाइबिटीज को नियंत्रित करने में साइकलिंग बहुत फायदेमंद हो सकती है, क्योंकि साइकिल चलाने से कोशिकाओं में उपस्थित ग्लूकोज कम या फिर समाप्त हो जाता है। फिर रक्त में उपस्थित ग्लूकोज को कोशिकाएं अवशोषित करके उपयोगी ऊर्जा में परिवर्तित कर देती हैं।
- शहरों में नींद कम आना एक आम समस्या है, मगर साइकिल चलाने से तनाव कम होता है, जिससे नींद खुद-ब-खुद बढ़ जाती है। सुबह जल्दी उठकर साइकिल चलाना थोड़ा सा थकान भरा जरूर हो सकता है, लेकिन शरीर के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है।
भारत में साइकिल की शुरूआत: International Cycle Day
वर्ष 1956 में हीरो ग्रुप कंपनी का गठन हुआ, जो भारत की पहली साइकिल का निर्माण करने वाली ईकाई थी। ओम प्रकाश मुंजाल (26 अगस्त 1928 से 13 अगस्त 2015), हीरो साइकिल के सेवानिवृत्त अध्यक्ष और हीरो ग्रुप के सह-संस्थापक थे। हीरो साइकिल वर्ष 1980 के दौर में दुनिया में सबसे ज्यादा साइकिल की निर्माता कंपनी बन गई। विश्व के सबसे बड़े साइकिल निर्माता के तौर पर वर्ष 1986 में हीरो साइकिल का नाम गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हुआ।
क्या हुआ गर साइकिल नहीं तो… International Cycle Day
यदि आप साइकिल खरीदने की क्षमता नहीं रखते तो निराश मत होईये। आप साइकलिंग व्यायाम के द्वारा भी खुद को फिट रख सकते हैं। इसके लिए आप सबसे पहले पीठ के बल लेटें। सामान्य श्वास लेते हुए दायीं टांग उठायें और साइकिल जैसे चलायें, टखने को लचीला रखते हुए आहिस्ता-आहिस्ता टांग के साथ यथासंभव बड़े चक्र बनायें। आगे 10 बार और पीछे 10 बार चक्र चलायें, दूसरी टांग के साथ भी इस अभ्यास को दोहरायें।
फिर प्रारंभिक स्थिति में लौट आयें। यह व्यायाम पेट की और टांगों की मांसपेशियों को मजबूत करता है। कूल्हों और घुटनों को लचीला रखता है। रक्त संचारण को बढ़ाता है, विशेष रूप से टांगों में और स्फीत शिराओं की घनास्त्रता को दूर करने में सहायक होता है। कूल्हे, घुटने और टखनों के जोड़ों में रक्तपूर्ति सुधारता है। यह व्यायाम ध्यान मुद्रा के लिए अच्छी तैयारी है।
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