बच्चे चाहते हैं मां-बाप का ध्यान -अपने बच्चों का भविष्य सुखद बनाने की कल्पना हर माता-पिता करते हैं और वे इस कल्पना को सच बनाने के लिए हर कठिनाई का सामना करते हैं। इसके लिए वह बच्चों के पालन पोषण की ओर विशेष ध्यान देते हैं परन्तु आज शायद बहुत कम माता-पिता हैं जो बच्चे को समय दे पाते हैं।
आज की तेज रफ्तार भरी जिंदगी जहां माता-पिता दोनों काम करते हैं, वे बच्चे को सिर्फ उसकी फरमाइशें व जरूरतें पूरी करके संतुष्ट कर रहे हैं परन्तु उन्हें इतनी फुर्सत नहीं कि वे बच्चों की रूचि व चाहत पर ध्यान दे सकें, उन्हें भरपूर प्यार दे सकें। इसलिए अधिकतर बच्चों पर माता-पिता का नियंत्रण नहीं है क्योंकि उनका सही व सम्पूर्ण विकास नहीं हो पाता।
बच्चों के सही विकास के लिए जरूरी है उन्हें समय देना, उनके मानसिक विकास के लिए अनुकूल वातावरण देना, उनमें आत्मविश्वास पैदा करना और उनकी जिम्मेदारियों से उन्हें अवगत करवाना। आज के इस गतिशील दौर में माता-पिता दोनों का काम करना एक जरूरत बन गया है परन्तु यह न भूलें कि आप जो मेहनत कर रहे हैं वह अपने व अपने बच्चों के सुखद भविष्य के लिए है और यह भविष्य तभी सुखद हो सकता है जब आप अपने बच्चों में यह अहसास न पैदा होने दें कि उनके माता-पिता के पास उनके लिए समय नहीं है।
अगर आप नौकरीपेशा हैं तो निम्न बातों का ध्यान रखें:-
- बच्चों को नैनी या हैल्पर के जिम्मे पूरी तरह से ना छोड़ें। मां आखिर मां ही होती है और वह जिस तरह से अपने बच्चों की देखभाल कर सकती है, नौकर नौकरानियां वैसे नहीं कर सकते। दफ्तर जाने से पहले नौकर/नौकरानी को समझा कर जाएं कि बच्चे के स्कूल लौटने पर उसे क्या खाना देना है। अगर सहूलियत हो तो दफ्तर से दोपहर को फोन कर बच्चे से बात कर लें व पूछ लें कि उसने खाना ठीक तरह से खाया है कि नहीं। इससे बच्चे को आपके घर न होने पर भी आपकी मौजूदगी का आभास होगा।
- ट्यूशन-टीचर लगा देने से आप उसकी पढ़ाई की जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो जाती। इसलिए स्वयं भी उसकी पढ़ाई पर ध्यान दें और उसकी ट्यूशन-टीचर से सम्पर्क कर उसकी पढ़ाई की स्थिति के बारे में जानकारी लेते रहें।
- समय मिलने पर उसकी कापियों की जांच भी करें ताकि वह स्कूल में सही ढंग से पढ़ रहा है कि नहीं, इसकी भी जानकारी मिलती रहे।
- बच्चे के खेलने का समय भी निर्धारित कर लें क्योंकि पढ़ाई के साथ-साथ खेल भी बहुत जरूरी है। बच्चे के शारीरिक विकास के लिए खेल बहुत आवश्यक है।
- जब भी आपकी छुट्टी है या आपने छुट्टी ली है, बच्चे को अधिक से अधिक समय दें। उसे कहीं बाहर घुमाने ले जाएं ताकि आप उसकी सप्ताह भर की कमी पूरी कर सकें।
- आजकल कम्प्यूटर के बढ़ते प्रभाव के कारण माता-पिता बच्चे को कम्प्यूटर खरीद कर तो दे देते हैं परन्तु यह ध्यान नहीं दे पाते कि बच्चे कम्प्यूटर से क्या करते हैं। इंटरनेट के बढ़ते प्रभाव के कारण बच्चे तरह-तरह के लोगों से सम्पर्क बनाते रहते हैं जिसकी जानकारी मां-बाप को नहीं होती। इसलिए कम्प्यूटर लगवाने से पहले कम्प्यूटर की जानकारी आप ले लें और वह साइट्स व सॉफ्टवेयर ब्लॉक कर दें, जो बच्चे के लिए ठीक नहीं है।
- बच्चा जो कुछ देखता है वही सीखता है, इसलिए घर के वातावरण को ऐसा बनाएं जिससे वह कुछ गलत न सीखे।
- बच्चों पर थोड़ी-थोड़ी जिम्मेदारियां डालें, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। इससे वे आप पर कम निर्भर रहेंगे व उनमें आत्म विश्वास की भावना उत्पन्न होगी।
- बच्चों की वही फरमाइशें पूरी करें जो उसकी उम्र व आवश्यकता के अनुसार हों। उनकी हर फरमाइश पूरी कर आप उन्हें जिद्दी बना देंगे।
-सोनी मल्होत्रा