निम्न रक्तचाप से जरूरी है बचाव

सुजाता को आजकल आॅफिस में अच्छा ही नहीं लगता था। आॅफिस पहुंचते ही उसे आलस आने लगता था। लंच में उसकी आंखें नींद से बोझिल हो जाती थी और घर पहुंचते-पहुंचते उसे इतनी थकान हो जाती थी कि उसका कोई काम करने को मन नहीं करता था।

आशा को अलग-थलग जीने की आदत पड़ चुकी थी। पार्टियों, शार्दियों आदि में भी जाकर वह उदासीनता की चादर ओढ़े रहती थी। पति राकेश के ज्यादा फोर्स करने पर वह चिड़चिड़ा जाती थी कि आखिर वह क्यों मुस्कराए? किसी भी कार्य में उसकी रूचि न के बराबर थी। आशा और सुजाता की स्थिति लगभग एक जैसी है। दोनों जिन लक्षणों की शिकार हैं, डॉक्टरी भाषा में उसे हम ‘लो ब्लड प्रेशर‘ या ‘निम्न रक्तचाप‘ के नाम से जानते हैं।

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निम्न रक्तचाप के लक्षण:-

  • थकान,
  • कमजÞोरी,
  • उदासीनता,
  • चिंता,
  • किसी काम में मन न लगना,
  • बैठे-बैठे झपकी आना,
  • चक्कर आना,
  • सोकर उठने के बाद भी थका-थका महसूस करना,
  • पेट में जलन,
  • दस्त आना आदि निम्न रक्तचाप के प्रमुख लक्षण हैं।

निम्न रक्तचाप होने के कारण:-

घंटों खड़े रहने से, धूप में लगातार चक्कर लगाते रहने से, बहुत यादा आरामतलबी की आदत से, सूर्य की रोशनी के अभाव में या बाहर का बना हुआ गंदा भोजन खाने से भी हम निम्न रक्तचाप की चपेट में आ सकते हैं।

डॉक्टरों के अनुसार रक्तचाप की भूमिका होती है महत्त्वपूर्ण अंगों यानी दिल, दिमागÞ और किडनी को पर्याप्त मात्र में खून पहुंचाना। निम्न रक्तचाप से पीड़ित व्यक्ति को अत्यंत सावधानी बरतनी चाहिए। ऐसे व्यक्ति की हृदयगति कब रूक जाए, किसी को नहीं पता। अगर रोगी थोड़ी सी सावधानी से चलें तो निम्न रक्तचाप से बच सकता है।

आइए जानें ऐसी ही कुछ बातें जिन्हें अपनाकर आप काफी हद तक इस गंभीर बीमारी पर काबू पा सकते हैं:-

  • पहला और महत्त्वपूर्ण उपाय है खान-पान पर ध्यान देना। रोगी को विटामिन, लौह और वसा से भरपूर भोजन करना चाहिए।
  • हफ्ते में एक बार पूरे शरीर की मालिश करना चाहिए जिससे शरीर में एक्टिवनेस बरकÞरार रहे।
  • व्यायाम से कभी नाता नहीं तोड़ना चाहिए। रोजÞ दिन की शुरूआत कुछ हल्के फुल्के व्यायामों जैसे मार्निंग वॉक, जागिंग, रस्सी कूदना और कुछ योगासनों जैसे प्राणायाम आदि के साथ करनी चाहिए।
  • दिन में जितना हो सके, पानी पीना चाहिए। चाहें तो नींबू भी मिला सकते हैं। पानी पीते रहने से आपकी ऊर्जा और शक्ति निरंतर बनी रहेगी।
  • सबसे आखिरी और प्रमुख बात है चिंता से जितना हो सके बचना। दुख किस के जीवन में नहीं आते लेकिन इसका यह मतलब बिलकुल नहीं कि आप अपने को सिर्फ दुखों में ही घेरे रहें।
  • याद रखिए जीवन बहुत छोटा है इसलिए आप उसमें चिंतामुक्त रह कर जिएं जिससे निम्न रक्तचाप या ऐसी किसी भी बीमारी से आप बच सकें। तरन्नुम

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