जब गौरवशाली इतिहास बन गया यह दिन
33वां पावन महा-परोपकार दिवस (23 सितम्बर) पर विशेष
एमएसजी डेरा सच्चा सौदा व मानवता भलाई केन्द्र के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने मानवता के हित में इस धरा पर, समाज के प्रति बेशुमार उपकार किए हैं और लगातार किए जा रहे हैं, जिनका बखान शब्दों में नहीं किया जा सकता। विश्वभर में साढ़े छह करोड़ से भी ज्यादा लोग आप जी को अपना प्रेरणास्त्रोत मानते हैं।
युवा आप जी को डॉ. एमएसजी, खिलाड़ी पापा कोच, शिष्य आप जी को पूज्य गुरु जी, सिने प्रेमी रॉक स्टार और विश्व आप जी को ‘युग प्रवर्तक’ के नाम से जानता है। डेरा सच्चा सौदा में तीसरी पातशाही के रूप में पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने अपने सच्चे मुर्शिदे-कामिल पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के हुक्मानुसार जब से (23 सितम्बर 1990 से) डेरा सच्चा सौदा की कमान संभाली है,
तब से आज तक इन 33 सालों में पूज्य गुरु जी का हर क्षण, हर पल सिर्फ और सिर्फ देश व समाज हित में समर्पित है। इन 33 सालों में पूज्य गुरु जी ने 159 मानवता भलाई कार्यों की शुरुआत कर सृष्टि व समाज में घर कर चुकी विभिन्न सामाजिक बुराइयों को खत्म करने का काम किया है और ये यत्न अब भी जारी हैं।
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पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने डेरा सच्चा सौदा के मौजूदा वारिस पूजनीय हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को 23 सितम्बर 1990 को स्वयं अपने पवित्र कर-कमलों से बतौर तीसरे पातशाह गुरगद्दी पर विराजमान किया। पूजनीय परमपिता जी ने साध-संगत में फरमाया कि ‘जैसा हम चाहते थे पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने उससे भी कई गुणा बढ़कर डेरा सच्चा सौदा का वारिस हमें ढूंढ कर दिया है।
ऐसा सर्वगुण सम्पन्न व तेजस्वी स्वरूप कि जो एक बार देख लेगा, देखता ही रह जाएगा।’ पूजनीय परमपिता जी ने 23 सितम्बर 1990 को अपने स्वरूप को मौजूदा पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के प्रत्यक्ष स्वरूप में कन्वर्ट कर अपनी जवान बॉडी को दुनिया के सामने प्रकट किया। पूजनीय बेपरवाही वचनों की सार्थकता अब सबके सामने है। पूजनीय सतगुरु जी की इस अपार बख्शिश को देख-देखकर दुनिया अचम्भित है।
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पवित्र जीवन झलक:
पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां अपने पूजनीय माता-पिता जी की इकलौती संतान हैं। आप जी ने 15 अगस्त 1967 को पूजनीय पिता नम्बरदार सरदार मग्घर सिंह जी के घर अति पूजनीय माता नसीब कौर जी इन्सां की पवित्र कोख से उनके विवाह के लगभग 18 साल के लम्बे इंतजार के बाद सृष्टि पर अवतार धारण किया। आप जी सिद्धू वंश के बहुत ऊंचे घराने से संबंध रखते हैं।
आप जी राजस्थान राज्य के पवित्र गांव श्री गुरुसर मोडिया तहसील सूरतगढ़, जिला श्री गंगानगर के रहने वाले हैं। आप जी ने बपचन में 5-6 वर्ष की आयु में 25 मार्च 1973 को पूजनीय परमपिता जी से डेरा सच्चा सौदा सरसा में नाम-दान, गुरुमंत्र प्राप्त किया और अपने सतगुरु जी को ही अपने जीवन का ध्येय बना लिया। आप जी मात्र 23 वर्ष की आयु में थे, जब पूजनीय परमपिता जी ने 23 सितम्बर 1990 को आप जी को अपना उत्तराधिकारी बनाकर डेरा सच्चा सौदा में बतौर तीसरे पातशाह विराजमान किया।
स्वर्णिम लम्हे-रूहानी दौलत की बख्शिश:
पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने डेरा सच्चा सौदा के भावी वारिस यानि अपने उत्तराधिकारी की तलाश के लिए साल 1989 से लगातार हर महीने सेवादारों से मीटिंगें की। उन मीटिंगों में पूजनीय परमपिता जी ने सेवादारों से स्पष्ट कहा कि आप लोग डेरा सच्चा सौदा की गुरगद्दी के लिए एक योग्य सेवादार का नाम हमें दें। हम भी उसकी पूरी पड़ताल करेंगे। पूजनीय परमपिता जी के ऐसा बार-बार कहने पर कुछ सेवादारों द्वारा पूजनीय परमपिता जी के शाही परिवार में से एक आदरणीय पारिवारिक सदस्य का नाम लिख कर दिया गया।
इस पर पूजनीय परमपिता जी ने फरमाया, ‘नहीं भाई, यह कोई हमारी निजी पारिवारिक जमीन-जायदाद नहीं है। यह रूहानी दौलत किसी काबिल हस्ती को ही दी जाएगी।’ इसके साथ ही पूजनीय परमपिता जी ने गुरगद्दी के लिए काबिल हस्ती के बारे में भी सेवादारों को बताया कि हमें ऐसी काबिल हस्ती चाहिए। सेवादारों ने हाथ जोड़कर माफी मांगते हुए कहा कि पिता जी, हम तो अंधे हैं। हम अंधे किसी आंखों वाले को कैसे पहचान सकते हैं। आप जी जो करेंगे, हमें मंजूर है।
सतगुरु को सतगुरु ही प्रकट कर सकता है:
सतगुरु को सतगुरु ही प्रकट कर सकता है। केवल वो ही (सतगुरु) इस असल भेद का जानकार होता है। पूजनीय परमपिता जी ने करीब सवा साल सेवादारों से मीटिंगें करके सभी के हर तरह के भ्रम, शंकाएं दूर कर दी और समय आने पर खुद मालिक की जो रजा थी, सब कुछ वैसा ही हुआ। पूजनीय परमपिता जी ने पहली एक-दो मीटिंगों में स्पष्ट कर दिया था कि हम ऐसा काम करेंगे, जो आज तक किसी ने भी नहीं किया होगा और शायद ही कोई कर सकेगा। सबकुछ हम अपने हाथों से ही करेंगे। आप जी ने पूजनीय मौजूदा गुरु हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को पूरी दुनिया के सामने खुद प्रकट कर अपना वारिस घोषित करके एक महान परोपकार किया, जिसकी कल्पना भी नहीं हो सकती।
वसीयतनामा ‘आज से ही’:
पूजनीय परमपिता जी ने गुरगद्दी बारे पवित्र कार्य पूरे पक्की सरकारी लिखतों से पूरा किया। आप जी के गुरगद्दी बख्शिश करने से लगभग तीन महीने पहले ही गुरगद्दी की अपनी वसीयत पूज्य गुरु जी के नाम पक्के तौर पर पूरी करवा ली थी। पूजनीय परमपिता जी ने अपनी उस वसीयत में यह बात विशेष तौर लिखवाई कि ‘आज से ही’। वसीयत का मतलब आमतौर पर ‘मेरे बाद’ लिखा जाता है,
परंतु पूजनीय परमपिता जी ने तीन महीने पहले ही पूज्य गुरु जी के नाम अपनी वसीयत में यह लिखवाया कि ‘डेरा, धन, जमीन, जायदाद, नकदी पैसा-पाई और डेरे का सबकुछ ‘आज से ही’ (‘आज से ही’ शब्द स्पैशल जोर देकर लिखवाया) गुरमीत सिंह जी (पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां) का है।’ वाकई गद्दीनशीनी का ऐसा पहलू दुर्लभ है। गुरगद्दी की बाकायदा पवित्र रस्म 23 सितम्बर 1990 को साध-संगत की उपस्थिति में सम्पन्न हुई।
दोनों जहां की दौलत गुरगद्दी बख्शिश से पहले ही:
22 सितम्बर 1990 दिन शनिवार को डेरा सच्चा सौदा की दूसरी पातशाही पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के हुक्मानुसार पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां अपने परिवार सहित तेरावास में पूजनीय परमपिता जी से मिले। पूजनीय परमपिता जी ने आप जी को गुरगद्दी बख्शिश करने बारे पूजनीय बापू नम्बरदार सरदार मग्घर सिंह जी (पूज्य गुरु जी के आदरणीय जन्मदाता) व पूजनीय माता जी से पूछा, ‘क्यों बेटा, खुश तो हो?’ तब पूजनीय बापू जी व पूजनीय माता जी ने हाथ जोड़कर कहा कि सच्चे पातशाह जी, सब कुछ आप जी का ही है। हमारी तो जमीन-जायदाद भी बेशक ले लो, हमें तो यहां दरबार में एक कमरा दे दो।
आप जी के दर्शन कर लिया करेंगे, सेवा-सुमिरन करेंगे और इन्हें (पूज्य गुरु जी को) भी देख लिया करेंगे। इस पर पूजनीय परमपिता जी ने फरमाया, ‘आपसे कुछ नहीं लेंगे। हमने इनकी (पूज्य गुरु जी) झोली में दोनों जहानों की दौलत डाल दी है। तुम किसी बात का फिक्र न करो। मालिक हमेशा तुम्हारे साथ है।’ इसके बाद अगले दिन 23 सितम्बर 1990 को सुबह 9 बजे पूजनीय परमपिता जी ने भरी साध-संगत में पूज्य गुरु जी को शाही स्टेज पर
अपने साथ विराजमान करके स्वयं अपने पवित्र कर-कमलों से फूलों का हार पहनाकर तथा हलवे का पावन प्रसाद प्रदान कर गुरगद्दी की पवित्र रस्म अदा की। पूजनीय परमपिता जी ने इस प्रकार पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को बतौर तीसरे पातशाह डेरा सच्चा सौदा में विराजमान किया। इसलिए आज का दिन 23 सितम्बर डेरा सच्चा सौदा के इतिहास में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है। 23 सितम्बर 1990 का वो स्वर्णिम लम्हा डेरा सच्चा सौदा का इतिहास बना।
जो जीव इन पर विश्वास करेगा वो मानो हम पर विश्वास करता है:
पवित्र हुक्मनामा: पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने आप जी को अपना उत्तराधिकारी घोषित करते हुए साध-संगत के नाम अपना हुक्मनामा भी पढ़वाया –
संत श्री गुरमीत सिंह (पूज्य संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां) को जो शहनशाह मस्ताना जी के हुक्म से बख्शिश की गई है, वह सतपुरुष को मंजूर थी, इसलिए
- जो भी इनका हुक्म मानेगा, वो मानो हमारा हुक्म मानता है।
- जो जीव इन पर विश्वास करेगा, वो मानो हम पर विश्वास करता है।
- जो इनसे भेदभाव करेगा, वो मानो हमारे से भेदभाव करता है।
- यह रूहानी दौलत किसी बाहरी दिखावे पर बख्शिश नहीं की जाती। इस रूहानी दौलत के लिए वो बर्तन पहले से ही तैयार होता है, जिसे सतगुरु अपनी नजर-मेहर से पूर्ण करता है। अपनी नजर-मेहर से उनसे वो काम लेता है, जिसके लिए दुनिया वाले सोच भी नहीं सकते। जैसे कि एक मुस्लमान फकीर के वचन हैं-
‘विच शराबे रंग मुसल्ला, जे मुर्शिद फरमावे।
वाकिफकार कदीभी हुंदा,
गल्दी कदी न खावे।।’
- यह सब पहले भी आपके सामने हुआ। शहनशाह मस्ताना जी ने जो खेल खेला, उस वक्त किसी के भी समझ नहीं आया। जो बख्शिश शहनशाह मस्ताना जी महाराज ने अपनी दया-मेहर से की, उसको दुनिया की कोई ताकत भी हिला-डुला नहीं सकी। मन आपको मित्र बनकर धोखा देगा। इसलिए जो प्रेमी सतगुरु का वचन सामने रखेगा, मन से वो ही बच सकेगा और सतगुरु उसके सदा अंग-संग रहेगा।
पहाड़ भी टकराएगा तो चूर-चूर हो जाएगा:
पूजनीय परमपिता जी ने पूज्य गुरु जी को 23 सितम्बर 1990 को रूहानी स्टेज पर अपने साथ विराजमान किया और गुरगद्दी की रस्म को स्वयं मर्यादापूर्वक सम्पन्न करते हुए एक चमकदार फूलों का हार पूज्य गुरु जी को पहनाया और अपनी रहमत-ए-नजर का इलाही प्रसाद (हलवे का प्रसाद) अपने पवित्र कर-कमलों से बख्शा। पूज्य गुरु जी को अपना वारिस (डेरा सच्चा सौदा के तीसरे पातशाह) बनाकर पूजनीय परमपिता जी बहुत प्रसन्न थे।
पूजनीय परमपिता जी ने साध-संगत में फरमाया, ‘आज हम अपने आपको फूल के समान ‘हल्का-फुलका’ महसूस कर रहे हैं। एक बहुत भारी जिम्मेदारी का बोझ हमारे सिर से उतर गया है। हम इन्हें ऐसा बब्बर शेर बनाएंगे, जो दुनिया को मुंह तोड़ जवाब देंगे। पहाड़ भी अगर टकराएगा, तो वह चूर-चूर हो जाएगा। पूजनीय परमपिता जी लगभग 15 महीने पूज्य हजूर पिता जी के साथ साध-संगत में विराजमान रहे।
डेरा सच्चा सौदा बुलंदियों पर:
पूज्य गुरु जी ने अपने मुर्शिदे-कामिल के हुक्म से गुरगद्दी पर विराजमान होते ही अपना पूरा ध्यान साध-संगत व डेरा सच्चा सौदा की संभाल व सेवा के साथ-साथ समाज तथा मानवता भलाई के लिए केन्द्रित कर लिया। रूहानियत के साथ-साथ समाज व मानवता भलाई के प्रति उठाए कदम बेमिसाल हैं। गुरगद्दी के 33 वर्षों में पूज्य गुरु जी ने देश तथा समाज व मानवता हित में 159 कार्य शुरु किए हैं, जो पूरे विश्व में मिसाल साबित हुए।
हो पृथ्वी साफ मिटे रोग अभिशाप:
समाज भलाई के इस अद्भुत कार्य के द्वारा पूज्य गुरु जी ने देश को साफ-स्वच्छ तथा प्रदूषण रहित करने का बीड़ा उठाया। आप जी ने इस कार्य की शुरुआत 21 सितम्बर 2011 को देश की राजधानी दिल्ली से की। आप जी के पावन सानिध्य में 21-22 सितम्बर 2011 को लाखों सेवादारों ने पूरी दिल्ली को मात्र पौने दो दिन में चकाचक करके देश को सफाई की अनुपम सौगात दी। उपरांत सफाई का यह महा अभियान ऋषिकेश व हरिद्वार से पवित्र गंगा जी की सफाई सहित देश के 35 नगरों-महानगरों में चलाया गया, जो पूरी दुनिया में उदाहरण बना। पूज्य गुरु जी की प्रेरणा से गुरुग्राम के अलावा पूरे हरियाणा राज्य व हरियाणा से 8 गुणा बड़े राजस्थान राज्य को लाखों सेवादारों ने मात्र कुछ घंटों में सफाई करके चकाचक किया और एक विशाल रिकॉर्ड स्थापित किया।
पूज्य गुरु जी के अनुकरणीय कार्य:
पूज्य गुरु जी द्वारा मानवता भलाई के साथ-साथ समाज हित में किए जा रहे कार्य अनुकरणीय उदाहरण साबित हुए हैं। पूज्य गुरु जी ने दर्जनों वेश्याओं को गंदगी की दलदल से निकालकर शुभ देवियां बनाकर उनका विवाह सम्पन्न परिवारों में करवाया और इस तरह समाज में उन्हें मान-सम्मान प्रदान किया। मरणोपरांत आंखें दान, देहदान व अस्थियों पर पेड़ लगाना, जिसके बारे में पूज्य गुरु जी ने वर्ष 2011 में ही वचन कर दिए थे,
आदि कार्य भी पूज्य गुरु जी के आह्वान पर डेरा सच्चा सौदा से ही शुरु किए गए हैं। बेटियों को बेटों के समान अधिकार दिलाना, उन्हें बराबर सम्मान दिलाना (कन्या भ्रूण हत्या रोकने की कोशिश) भी पूज्य गुरु जी की पहल रही है। अर्थात् पूज्य गुरु जी ने समाजहित में ऐसे दुर्लभ कार्य करके दिखाए कि कोई सोच भी नहीं सकता और न हीं इससे पहले किसी ने ऐसा किया था। करना तो बहुत दूर, शायद ऐसा कभी सोचा भी नहीं होगा।
किन्नर समाज को समाज में सम्मान दिलाते हुए पूज्य गुरु जी ने उन्हें सुखदुआ समाज का दर्जा दिया। आप जी ने देश की माननीय सुप्रीत कोर्ट से इस समाज को थर्ड जेंडर का दर्जा दिलाकर इन्हें देश के नागरिकों की तमाम सुविधाएं भी दिलाई हैं। संक्षेप में यही कहा जा सकता है कि पूज्य गुरु जी द्वारा निर्धारित मानवता भलाई के ये सभी कार्य डेरा सच्चा सौदा में साध-संगत के सहयोग से निरंतर चलाए जा रहे हैं। पूज्य गुरु जी द्वारा चलाए इन 159 कार्यों में से दर्जनों कार्य नारी उत्थान व शिशु संभाल से संबंधित हैं। पूज्य गुरु जी द्वारा मानवता भलाई हित चलाए अधिकतर कार्य विश्व रिकॉर्ड भी साबित हुए हैं। पौधारोपण और रक्तदान के क्षेत्र में डेरा सच्चा सौदा का नाम तीन-तीन बार गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज हो चुका है।
रक्तदान के क्षेत्र में विश्व रिकॉर्ड:
1. 7 दिसम्बर 2003 को 15432 यूनिट रक्तदान करने पर।
2. 10 अक्तूबर 2004 को 17921 यूनिट रक्तदान करने पर।
3. 8 अगस्त 2010 को 43732 यूनिट रक्तदान करने पर।
ये तीनों विश्व रिकॉर्ड गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में डेरा सच्चा सौदा के नाम पर दर्ज हैं।
12 अप्रैल 2014 को डेरा सच्चा ध्सौदा के सेवादारों द्वारा देश के अलग-अलग भागों में एक ही दिन तथा एक ही समय में आयोजित 200 से ज्यादा रक्तदान कैंपों में 75711 यूनिट रक्तदान किया गया, जोकि डेरा सच्चा सौदा के नाम एक और विशाल रिकॉर्ड बना है। इस तरह डेरा सच्चा सौदा की तरफ से मानवता हित में अब तक 5 लाख यूनिट से ज्यादा रक्तदान किया जा चुका है।
इसी प्रकार पौधारोपण (पर्यावरण संरक्षण) क्षेत्र में भी डेरा सच्चा सौदा की बहुत अहम् भूमिका है। पौधारोपण क्षेत्र में डेरा सच्चा सौदा के नाम तीन विश्व कीर्तीमान हैं।
1. 15 अगस्त 2009 को एक घंटे में 9 लाख 38 हजार 7 पौधे लगाने पर।
2. 15 अगस्त 2009 को पूरे एक दिन यानि 8 घंटे में 68 लाख 73 हजार 451 पौधे लगाने पर।
3. 15 अगस्त 2011 को 1 घंटे में 19 लाख 45 हजार 535 पौधे लगाने पर।
ये तीनों विश्व कीर्तीमान गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में डेरा सच्चा सौदा के नाम पर दर्ज हैं। 15 अगस्त 2012 को 1 घंटे में 20 लाख 39 हजार 747 पौधे लगाने पर भी एक महान रिकॉर्ड बना है। इस तरह डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत द्वारा अब तक 5 करोड़ से भी ज्यादा पौधे रोपित किए जा चुके हैं, जो आज फलदार व छायादार पेड़ों के रूप में पृथ्वी पर महक रहे हैं। इसके अतिरिक्त दर्जनों और रिकॉर्ड पूज्य गुरु जी के नाम एशिया बुक और इंडिया बुक आॅफ रिकार्ड में दर्ज हैं। और ये सभी भलाई कार्य देश-विदेश की साध-संगत आज भी ज्यों के त्यों कर रही है। स्वस्थ समाज की स्थापना के प्रति पूज्य गुरु जी का करम बहुत ही सराहनीय है और देश को भी वो बल मिल रहा है, जो आज के समय में देशहित के लिए बहुत ही आवश्यक है।
डेरा सच्चा सौदा के दूसरे पातशाह पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने पूज्य मौजूदा गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को 23 सितम्बर 1990 को अपना उत्तराधिकारी व डेरा सच्चा सौदा में बतौर तीसरे पातशाह विराजमान करके साध-संगत पर अपना महान उपकार किया है। पूजनीय परमपिता जी के महान परोपकारों की बदौलत इस महा पवित्र दिहाड़े को डेरा सच्चा सौदा में ‘महा परोपकार दिवस’ के रूप में हर साल खूब धूमधाम से भण्डारे की तरह मनाया जाता है।
इस महा पवित्र ‘महा परोपकार दिवस’ की समूह साध-संगत को हार्दिक बधाई, लख-लख मुबारकां जी।