Millionaire was made millionaire by his mercy

Millionaire was made millionaire by his mercyकखपति को अपनी रहमत से बनाया लखपति  Millionaire was made millionaire by his mercy
प्रेमी गुरसेवक सिंह इन्सां पुत्र सचखण्ड वासी हरनेक सिंह जी गली न.12 प्रीत नगर सरसा(हरियाणा) अपने परिवार पर पूज्य हजूर पिता संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की हुई अपार रहमत का वर्णन करते हुए बताते हैं कि जनवरी 2005 की बात है, मैंने पूजनीय हजूर पिता जी को भेंट करने के लिए एक कोठी का मॉडल तैयार किया, जिस में तेरा वास की तरह बगीचा बनाया गया, बीच पानी वाला फुव्वारा चलता था।

मैंने काफी मेहनत की या यूँ कहें कि मैंने इस तरह आईटमें बनाने के लिए कोई ट्रेनिंग नहीं ली थी। पिता जी ने मुझे खुद की खुशी देने के लिए मेरे से वह तैयार करवाया। मैं यह मॉडल भेंट करने के लिए डेरा सच्चा सौदा शाह सतनाम जी धाम सरसा पहुँचा गया। उस समय प्यारे गुरु जी मजलिस की समाप्ति करके शाही स्टेज से उतर रहे थे। मैं नीचे सचखण्ड हाल के गेट के पास वह मॉडल लेकर खड़ा हो गया।

पूजनीय पिता जी जब मेरे नजदीक आए तो मैं मॉडल पिता जी को देने के लिए पेश कर दिया। पूजनीय पिता जी ने वचन फरमाया, ‘बहुत ही बढ़िया बनाया है, बहुत ही बढ़िया।’ पिता जी ने यह वचन दो-तीन बार दोहराये और साथ में यह वचन भी फरमाए, ‘बेटा! हमारी तरफ से तू ही रख ले।’ मैंने अर्ज की कि पिताजी, यह आप के लिए ही है व आप ने ही तो बनवाया है। पूजनीय पिता जी ने अपने पवित्र कर-कमल मॉडल पर रख दिए तथा फरमाया, ‘बेटा! हमारी तरफ से तू ही रख ले।’ उस समय मेरी आंखों में से आँसू बहने लगे। प्यारे पिता जी ने बड़े प्यार से पूछा, ‘बेटा क्या बात है?’ एक बार तो मैं चुप कर गया।

पिता जी ने दोबारा पूछा, ‘क्या बात है?’ मैंने कहा कि मेहरबान पिता जी! मेरे पास किराए का एक छोटा सा कमरा है, उसमें अलमारी नहीं है। उस कमरे में जगह नहीं है। अगर रख भी दिया तो बच्चे देखते-करते तोड़-फोड़ देंगे या हमसे भी टूट सकता है। पिता जी! यह मजबूरी है। सर्व सामर्थ सतगुरु दयालु दातार जी ने फिर वचन फरमाए ‘बेटा! चिन्ता न कर, मालिक बहुत शक्तिशाली है, तेरा तो इतना बड़ा घर है।

चिन्ता न कर, मालिक रहमत करेंगे।’ फिर पिता जी ने सेवादार भाई को आदेश दिया, ‘बेटा! इससे यह पकड़ कर ले आओ, बड़ी मेहनत से बनाया है।’ मुझे फरमाया, ‘बेटा! तुझे कोई और पे्रम निशानी देंगे।’ दूसरे दिन पिता जी ने मुझे बहुत बढ़िया प्रेम निशानी दी। इसके बाद एक प्रेमी सेवादार हरविंदर सिंह ने मुझे आकर कहा कि तू एक प्लॉट ले ले या तुझे दिलवा देते हैं। बहुत बढ़िया व सस्ता बनता है। परन्तु मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि मेरा घर बनेगा। लेकिन सतगुरु के वचन थे।

फिर मैंने घर बनाने के लिए प्लॉट खरीदने बारे सोचा, परन्तु दूसरी तरफ अपनी आमदनी के साधन को देखा तो सोच-विचार का नतीजा यह निकला कि मजदूरी के पैसों से बच्चे पलेंगे कि घर बनेगा। मेरे माँ-बाप ने कह रखा था कि हमने तेरी शादी कर दी है, परन्तु हम तुझे और कुछ देने में असमर्थ हैं। परन्तु मालिक-सतगुरु के वचनों के उपरान्त मेरे माँ-बाप ने कहा कि, अपने हिस्से की टूमें(सोने के गहने) ले जा, हमसे नहीं संभलती। वह गहने बेच कर व और रुपये मिला कर मंैने 85 वर्ग गज का प्लॉट गली न. 12 प्रीत नगर में खरीद लिया।

अब मैं सोचने लगा कि प्लॉट तो ले लिया, परन्तु घर कैसे बनेगा। मालिक-सतगुरु ने साधन बनाया। मेरी पत्नी आंगनवॉड़ी में नौकरी करने लगी। मालिक-सतगुरु ने मेरे रिश्तेदारों में बसकर उनसे कहलवा दिया कि गुरसेवक घर बना, हम तेरी मदद करेंगे। मालिक की रहमत व वचनानुसार मेरा घर बन गया।

उसके बाद मैंने सारा पैसा उतार दिया। इस तरह मालिक-सतगुरु ने अपने वचनों से एक मजदूर को मकान मालिक बना दिया। कखपति को लखपति बना दिया। मुझे आज किसी भी चीज की कमी नहीं है। मेरी परम पूजनीय हजूर पिता जी के चरणों में विनती है कि इसी तरह अपनी दया-मेहर-रहमत बनाए रखना जी। जे मैं वेखां अपने वल्ले, कुछ नहीं मेरे पल्ले। जे मैं वेखां तेरी रहमत वल्ले, तां बल्ले-बल्ले।

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