पावन एमएसजी गुरुमंत्र भंडारा मनाने के लिए साध-संगत उत्साहित

पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन वचनों व दिशा-निर्देशन एवं पावन रहनुमाई में डेरा सच्चा सौदा व मानवता भलाई केंद्र सरसा में पूरा साल अर्थात् लगभग सभी 12 महीनों में पावन भंडारे मनाए जाते हैं।

जैसे हर साल पाक-पवित्र जनवरी माह (25 जनवरी) में पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के पावन अवतार दिवस का पावन एमएसजी अवतार दिवस भंडारा, फरवरी माह में 28 फरवरी को पावन एमएसजी महारहमोकरम (पूजनीय परमपिता जी का गुरगद्दीनशीनी) दिवस भंडारा, 29 अप्रैल को पावन एमएसजी रूहानी स्थापना दिवस (डेरा सच्चा सौदा का रूहानी स्थापना दिवस व जाम-ए-इन्सां गुरु का दिवस) भंडारा,

मई माह के आखिरी रविवार को पावन एमएसजी सत्संग-भंडारा, 15 अगस्त को हर साल पावन एमएसजी अवतार दिवस (पूज्य गुरु जी का पावन अवतार दिवस) भंडारा और इसी प्रकार 23 सितंबर को पावन एमएसजी महापरोपकार दिवस (पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां का पावन गद्दीनशीनी दिवस) भंडारा, नवंबर माह में पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज के पावन अवतार दिवस (कार्तिक पूर्णिमा के दिन) का पावन एमएसजी अवतार दिवस भंडारा और दिसंबर माह में 13-14-15 दिसंबर याद-ए-मुर्शिद परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज की पवित्र याद में दिसंबर का पूरा महीना सेवा को समर्पित पावन एमएसजी सेवा माह को भंडारे के तौर पर मनाया जाता है। उपरोक्त विषय के अनुरूप ही डेरा सच्चा सौदा में मार्च के आखिरी रविवार को मार्च महीना पावन एमएसजी गुरुमंत्र भंडारे के रूप में मनाया जाता है।

इस पावन दिवस की पृष्ठभूमि की ओर नजर दौड़ाएं तो इस दिन के महत्व और इसके उद्देश्य को हम भली-भांति जान पाएंगे। जैसा कि हम जानते हैं कि पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने 14 मार्च 1954 को पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज से उन्हीं के वचनों के अनुसार घुकांवाली दरबार में सत्संग के बाद नाम-शब्द लिया कि हरबंस सिंह जी (पूजनीय परमपिता जी के बचपन का नाम) आज रात को आप को भी नाम-शब्द का हुक्म हुआ है। आप अंदर जाकर हमारे मूढे के पास बैठो, हम भी अभी आते हैं। लेकिन मूढे के पास खाली जगह न होने के कारण आपजी नामवालों में पीछे ही बैठ गए थे। जब पूजनीय बेपरवाह जी अंदर आए तो आपजी को आगे अपने मूढे के पास बिठाकर नाम दिया कि आपको इसलिए पास बिठाकर नाम देते हैं कि आपसे कोई काम लेना है।

आपको जिंदाराम (रूहानियत) का लीडर बनाएंगे, जो दुनिया को नाम जपाएगा। पूजनीय बेपरवाह जी ने 28 फरवरी 1960 को आपजी को अपना रूप बख्शकर स्वयं मौजूद सारी साध-संगत में डेरा सच्चा सौदा में बतौर दूसरे पातशाह गद्दीनशीन करते हुए अपने पावन वचनों को साकार किया और फरमाया, ‘ये वो ही सतनाम है, जिसके सहारे सारे खण्ड-ब्रह्मंड खड़े हैं। जिसे दुनिया जपती-जपती मर गई। देखा है किसी ने! इन्हें हमने अपने सच्चे दाता सार्इं सावण शाह जी के हुक्म से अर्शों से लाकर तुम सबके सामने बिठा दिया है।’ आपजी ने गुरगद्दी पर विराजमान रहते हुए 1990 तक 11 लाख से ज्यादा लोगों को नाम-गुरुमंत्र प्रदान कर उन्हें नशे आदि सभी बुराइयों से मुक्त कर सचखण्ड का अधिकारी बनाया। पूज्य मौजूदा गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने 5-6 वर्ष की आयु में डेरा सच्चा सौदा सरसा में 25 मार्च 1973 को पूजनीय परमपिता जी से नाम-गुरुमंत्र लिया।

उस दिन नाम-दान का प्रोग्राम शाह मस्ताना जी धाम के तेरावास व सचखण्ड हाल के बीच वाले पंडाल में निश्चित था। आपजी अपने पूजनीय बापू जी के साथ नाम वालों में पीछे ही बैठे हुए थे। पूजनीय परमपिता जी ने आपजी को आगे बुलाकर कि ‘काका, अग्गे आ जाओ।’ और कुशलक्षेम आदि पूछकर और अपनी कुर्सी (स्टेज) के पास बिठाकर नाम-गुरुमंत्र बख्शा। पूजनीय परमपिता जी ने आपजी को 23 सितंबर 1990 को सरेआम साध-संगत में अपने पवित्र कर-कमलों से डेरा सच्चा सौदा का वारिस और अपना उत्तराधिकारी घोषित कर गुरगद्दी पर विराजमान किया। आपजी ने साध-संगत में ये भी वचन किये कि ये हमारा ही रूप हैं।

इनका हुक्म हमारा हुक्म है। आपजी ने ये भी फरमाया कि ‘हम थे, हम हैं और हम ही रहेंगे और हम ही हैं।’ जबकि डेरा सच्चा सौदा व साध-संगत की हर तरह की जिम्मेवारी आपजी ने गुरगद्दी बख्शिश करने से कुछ महीने पहले ही आपजी के नाम पक्के सरकारी कागजों पर लिखित रूप में वसीयत कर दी थी।

इसी तरह पूजनीय बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज ने डेरा ब्यास में अपने मुर्शिद प्यारे पूजनीय हजूर बाबा सावण सिंह जी महाराज से मार्च महीने में ही नाम-शब्द लिया था। पूजनीय हजूर बाबा जी ने आपजी को बागड़ का बादशाह बनाकर तथा अपनी अनेकों बख्शिशों से नवाज कर सरसा में भेज दिया कि ‘सरसा में जाओ, कुटिया-डेरा बनाओ और मालिक का नाम जपाकर बागड़ को तारो। बागड़ तुम्हारे सुपुर्द किया।’ आपजी ने अपने पूजनीय सच्चे मुर्शिदे-कामिल के आदेशानुसार 29 अप्रैल 1948 को सरसा में डेरा सच्चा सौदा सर्वधर्म संगम की स्थापना की।

आपजी ने 1960 तक 12 वर्षों में हरियाणा, राजस्थान, पंजाब आदि राज्यों के अनेकों गांवों, कस्बों, शहरों में सैकड़ों सत्संग लगाकर हजारों लोगों को रामनाम (नाम, शब्द, गुरुमंत्र) प्रदान कर उन्हें हर तरह की बुराइयों व नशों से छुटकारा दिलाया व उन्हें मोक्ष-मुक्ति का अधिकारी बनाया। आपजी ने अपने समयाकाल में डेरा सच्चा सौदा के नाम से दर्जनों डेरे भी इन राज्यों में जगह-जगह बनवाए और स्थानीय लोगों में राम-नाम के प्रति आस्था जागृत की।

इस प्रकार डेरा सच्चा सौदा का पावन नाम आज उन्हीं बेपरवाही ईलाही वचनों के अनुरूप पूज्य मौजूदा गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन रहनुमाई में इस पूरे यूनिवर्स, पूरे विश्व में पवित्र भावनाओं से जाना जाता है। पूज्य गुरु जी ने समूची मानवता की भलाई के लिए 161 कार्य चलाए हैं, जिसके तहत डेरा सच्चा सौदा के लगभग सात करोड़ अनुयायी, शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर फोर्स विंग के सेवादार व समूची साध-संगत, बच्चा-बच्चा अपने पूज्य मुर्शिद प्यारे के दिशा-निर्देशन में दीन-दुखियों, बेसहारों, बीमारों, लाचारों व जरूरतमंदों तथा भूखे-प्यासे लोगों व पशु-पक्षियों आदि सभी के लिए सहारा साबित हो रहे हैं।

सच्चा सौदा तारा अखियां दा, साडे दिल दा चैन सहारा ए।
जिंद वारिये गुरु तों लख वारी, सानूं जान तों वी लगदा प्यारा ए।
तो मार्च महीने का पावन एमएसजी गुरुमंत्र भंडारा साध-संगत डेरा सच्चा सौदा में पूरे उत्साह व हर्षोल्लास से मना रही है। इस पावन एमएसजी गुरुमंत्र भंडारे की समस्त साध-संगत को बहुत-बहुत बधाई हो जी।
-सम्पादक।

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